छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि नाबालिग को ‘I Love You’ कहना यौन उत्पीड़न नहीं है, जब तक यौन इरादा साबित न हो। कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है। फैसले ने कानूनी और सामाजिक बहस छेड़ दी है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया है, जिसने सबका ध्यान खींच लिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी नाबालिग लड़की को ‘I Love You’ कहना अपने आप में यौन उत्पीड़न नहीं है, बशर्ते यह साबित न हो कि इन शब्दों के पीछे यौन इरादा था। इस फैसले के साथ कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया, जिसने नाबालिग को प्रेम का इजहार किया था।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला छत्तीसगढ़ के एक जिले से जुड़ा है, जहां एक व्यक्ति पर नाबालिग लड़की को ‘I Love You’ कहने के आरोप में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता का दावा था कि यह कथन यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। हालांकि, आरोपी ने तर्क दिया कि उसके शब्दों में कोई गलत इरादा नहीं था।
‘बिना यौन इरादे के नहीं है अपराध’
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस मामले में गहराई से विचार किया। जज ने अपने फैसले में कहा कि ‘I Love You’ जैसे शब्द अपने आप में यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आते, जब तक कि यह साबित न हो कि इन शब्दों में यौन इरादा छिपा था। कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट की धाराओं का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यौन उत्पीड़न का मामला तभी बनता है, जब शब्दों या व्यवहार में स्पष्ट यौन मंशा हो।
आरोपी को राहत, लेकिन सवाल बरकरार
कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया। फैसले में यह भी कहा गया कि इस तरह के मामलों में संदर्भ और परिस्थितियों का गहन विश्लेषण जरूरी है। हालांकि, इस फैसले ने समाज में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या ‘I Love You’ जैसे शब्दों को हमेशा हल्के में लिया जा सकता है? खासकर जब बात नाबालिगों की सुरक्षा की हो, तो क्या ऐसी टिप्पणियों को सामान्य माना जाए?