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कारगिल युद्ध में भारत के ये 8 ‘ब्रह्मास्त्र’ पाकिस्तान को घुटनों पर ले आए थे

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बोफोर्स तोप से लेकर पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर तक, कारिगल युद्ध में भारत में कई हथियारों का इस्‍तेमाल किया.

हर साल जुलाई का महीना हमारी आंखें नम करता है तो सीना गर्व से चौड़ा भी करता है. करगिल का युद्ध यूं तो मई में शुरू हुआ था लेकिन निर्णायक जंग जुलाई महीने में लड़ी गई थी. बीते 25 सालों से हर 26 जुलाई को हम भारतीय करगिल विजय दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. यह दिन हमें याद दिलाता है हमारे वीर जवानों की शहादत का, याद दिलाता है उनकी बहादुरी का और याद दिलाता है कि कैसे अनेक विपरीत हालातों में भी सेना के हमारे जवानों-अफसरों ने पाकिस्तानी सेना को इस जंग में धूल चटा दी थी.

26 जुलाई, 1999, यह तारीख भारतीय इतिहास में करगिल विजय दिवस के रूप में दर्ज है. इस दिन भारतीय सेना ने करगिल युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. यह युद्ध मई से जुलाई 1999 तक चला, जिसमें भारतीय सेना ने अदम्य साहस, रणनीति और अत्याधुनिक हथियारों के बल पर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. करगिल युद्ध न केवल भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह आधुनिक हथियारों और तकनीक ने युद्ध के परिणाम को भारत के पक्ष में मोड़ा.

करगिल युद्ध की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. इन पहाड़ियों से श्रीनगर-लेह हाईवे पर नजर रखी जा सकती थी, जो रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था. भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत इन पहाड़ियों को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए अभियान चलाया.

आइए, करगिल विजय दिवस के बहाने जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर वे कौन से हथियार थे, जिनके सहारे हमारे जांबाजों ने यह जंग लड़ी थी.

भारत में करगिल युद्ध में कौन-कौन से हथियार इस्तेमाल किए?

1- बोफोर्स हॉवित्जर (Bofors FH-77B Howitzer)

करगिल युद्ध में बोफोर्स तोपों की भूमिका सबसे अहम रही. 155 मिमी की ये हॉवित्जर तोपें ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन की चौकियों को निशाना बनाने में बेहद कारगर साबित हुईं. इन तोपों की मारक क्षमता और सटीकता ने दुश्मन के बंकरों को ध्वस्त कर दिया. बोफोर्स की वजह से भारतीय सेना को दुश्मन की पोजिशन पर लगातार और सटीक फायरिंग करने में मदद मिली.

Bofors Fh 77b Howitzer

बोफोर्स हॉवित्जर तोपें ऊंचाई वाले इलाकों दुश्मनों की चाल नाकाम करने में कामयाब हुई थीं.

2- मिग-21, मिग-27 और मिराज-2000 लड़ाकू विमान

भारतीय वायुसेना ने करगिल युद्ध में पहली बार मिराज-2000 विमानों का इस्तेमाल किया. इन विमानों ने लेजर-गाइडेड बम गिराकर दुश्मन के ठिकानों को नष्ट किया. मिग-21 और मिग-27 विमानों ने भी बमबारी और ग्राउंड सपोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मिराज-2000 की सटीकता और ऊँचाई पर उड़ान भरने की क्षमता ने युद्ध का रुख बदल दिया था. इसकी मदद से टाइगर हिल, टोलोलिंग एवं मुशकोह जैसी चौकियों को निशाना बनाने में मदद मिली.

Mig 21

मिग-21.

3- 5.56 मिमी INSAS राइफल

भारतीय सेना के जवानों के पास उस समय नई-नई आई INSAS (Indian Small Arms System) राइफलें थीं. ये राइफलें हल्की, सटीक और ऑटोमैटिक फायरिंग में सक्षम थीं. ऊँचाई वाले इलाकों में इनका इस्तेमाल सैनिकों के लिए फायदेमंद साबित हुआ.

4- AK-47 और LMG (Light Machine Gun)

भारतीय सेना के कुछ जवानों के पास AK-47 राइफलें भी थीं, जो दुश्मन के खिलाफ नजदीकी लड़ाई में बेहद कारगर साबित हुईं. इसके अलावा LMGs का इस्तेमाल भी दुश्मन की पोजिशन को दबाने के लिए किया गया.

Ak47 Rifle

एके-47 के जन्मदाता मिखाइल कलाश्निकोव.

5- मोर्टार और ग्रेनेड लॉन्चर

पाकिस्तानी बंकरों और चौकियों को नष्ट करने के लिए 81 मिमी और 120 मिमी मोर्टार का इस्तेमाल किया गया. ग्रेनेड लॉन्चर से दुश्मन के छिपे हुए सैनिकों को निशाना बनाया गया.

6- एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल

भारतीय सेना ने दुश्मन के बंकरों और चौकियों को नष्ट करने के लिए एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया. इन मिसाइलों ने दुश्मन के मजबूत ठिकानों को ध्वस्त करने में मदद की.

7- स्नाइपर राइफल्स

ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन के सटीक निशानेबाजों को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने स्नाइपर राइफल्स का भी इस्तेमाल किया. इससे दुश्मन के कमांडरों और महत्वपूर्ण सैनिकों को निशाना बनाया गया.

Pinaka

पिनाका (फाइल फोटो)

8- पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर

इस स्वदेशी सिस्टम ने दुश्मन की चौकियों पर खूब कहर बरपा किया. पिनाका एक साठ बारह रॉकेट फायर करने में सक्षम था. चालीस किलोमीटर तक यह हमला करने में सक्षम था. इसे बहुत सीमित संख्या में तैनात किया गया था लेकिन इसकी परफॉर्मेंस बहुत शानदार रही. हालांकि, पिनाका की चर्चा इस युद्ध के बहाने बहुत कम होती है.

हथियार तो थे ही तकनीक ने भी की भरपूर मदद

करगिल युद्ध में हथियारों के अलावा, भारतीय सेना ने संचार उपकरण, नाइट विजन डिवाइस, सैटेलाइट इमेजरी और टोही ड्रोन का भी इस्तेमाल किया. इससे दुश्मन की पोजिशन का पता लगाने और रणनीति बनाने में मदद मिली.

करगिल विजय दिवस केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि भारतीय सेना की अदम्य साहस, रणनीति और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक है. इस युद्ध ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक हथियारों और तकनीक के साथ-साथ सैनिकों की इच्छाशक्ति और देशभक्ति सबसे बड़ी ताकत होती है. करगिल युद्ध में इस्तेमाल किए गए हथियारों ने न केवल युद्ध के मैदान में भारत को जीत दिलाई, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने. आज जब हम करगिल विजय दिवस मनाते हैं, तो उन वीर सैनिकों और उनके हथियारों को भी याद करते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.

यह भी पढ़ें: कारगिल की जंग में कितने देश भारत के साथ थे, कितने पाकिस्तान के साथ?

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