यह झड़प तब शुरू हुई जब महिला कर्मचारियों ने डीके के सहयोगी पर आपत्तिजनक व्यवहार का आरोप लगाया। इसके बाद मोहन कुमार ने अंजनेया के साथ इस मुद्दे पर बहस की, जो जल्द ही तीखी नोकझोंक में बदल गई।
कर्नाटक की सियासत का आपसी तनाव शुक्रवार को दिल्ली में खुलकर सामने आ गया, जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के विशेष कार्य अधिकारी (SDO) आपस में भिड़ गए। यह विवाद इतना बढ़ गया कि कर्नाटक भवन में दोनों अधिकारियों के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई, जिसके बाद औपचारिक शिकायतें दर्ज की गईं और मामले की जांच की मांग उठी।
सूत्रों के मुताबिक, यह टकराव मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी सी मोहन कुमार और उपमुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी एच अंजनेया के बीच हुआ। बताया जा रहा है कि मोहन कुमार ने अंजनेया को सबके सामने धमकाते हुए कहा कि वह उन्हें मार सकते हैं। यह पूरी घटना अन्य सरकारी कर्मचारियों की मौजूदगी में घटी।
एच अंजनेया ने इस मामले में अतिरिक्त रेजिडेंट कमिश्नर (ARC) और कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी राजनीश को एक औपचारिक शिकायत दी है। अपनी चिट्ठी में अंजनेया ने लिखा, “अगर मेरे साथ कोई ‘दुर्घटना’ होती है तो इसके लिए मोहन कुमार जिम्मेदार होंगे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोहन कुमार पहले भी एक व्यक्ति के साथ हिंसक व्यवहार कर चुके हैं। शिकायत में अंजनेया ने दावा किया, “मुझे जूते से मारा गया, जिससे मेरी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए और मुझे न्याय मिले।” उन्होंने विभागीय जांच की भी मांग की है।
इस विवाद की शुरुआत एक मौखिक बहस से हुई थी, लेकिन मामला तब और बिगड़ गया जब कर्नाटक भवन की कुछ महिला कर्मचारियों ने उपमुख्यमंत्री के अधिकारी एच अंजनेया पर अभद्र भाषा और अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया। सीएमओ के अधिकारियों का कहना है कि महिला कर्मचारियों की शिकायत के बाद मोहन कुमार ने अंजनेया से इस विषय में बात की, जिससे मामला और गरमा गया। दोनों अधिकारियों के बीच जोरदार बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
शाम को महिला कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की और डिप्टी सीएम के अधिकारी के व्यवहार को लेकर चिंता जताई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त रेजिडेंट कमिश्नर को निर्देश दिया कि वह महिला कर्मचारियों की शिकायत की जांच करें और आवश्यक हो तो औपचारिक जांच शुरू की जाए। इस पूरे घटनाक्रम ने कर्नाटक की राजनीति में अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी को एक बार फिर उजागर कर दिया है, जो अब दिल्ली की गलियों तक पहुंच चुकी है।
यह घटना कर्नाटक कांग्रेस के भीतर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच चल रही सत्ता की खींचतान का एक और उदाहरण है। दोनों नेताओं के बीच पहले भी कई बार प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दों पर मतभेद सामने आ चुके हैं, जिसमें बजट आवंटन, कैबिनेट पोर्टफोलियो और नौकरशाही नियुक्तियों जैसे मामले शामिल हैं।