होम देश Supreme Court says Continued loss of young lives reflect systemic failure इतने बच्चे सुसाइड कर रहे, अनदेखा नहीं कर सकते… सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों दी सख्त हिदायत, India News in Hindi

Supreme Court says Continued loss of young lives reflect systemic failure इतने बच्चे सुसाइड कर रहे, अनदेखा नहीं कर सकते… सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों दी सख्त हिदायत, India News in Hindi

द्वारा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि NCRB के आंकड़ों के जरिए विद्यार्थियों में बढ़ती आत्महत्याओं का एक चिंताजनक पैटर्न सामने आया है। SC ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार का एक अहम हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में युवाओं ने बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आत्महत्याओं की वजह से युवाओं की लगातार जान जाना व्यवस्थागत विफलता को दिखाया है और इस मुद्दे को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मुद्दे से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि इस संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़े डराने वाले हैं।

सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें विशाखापत्तनम में नीट की तैयारी कर रहे 17 साल के एक अभ्यर्थी की अप्राकृतिक मौत की जांच सीबीआई को सौंपने की याचिका खारिज कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अहम हिस्सा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘‘मनोवैज्ञानिक दबाव, शैक्षणिक बोझ, सामाजिक दबाव और संस्थागत असंवेदनशीलता जैसे कारणों की वजह से युवाओं की लगातार जान जा रही है, जिन्हें रोका जा सकता था। यह संस्थागत विफलता को दर्शाती है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’

भयावह आंकड़े

गौरतलब है कि भारत में 2022 में आत्महत्या के 1,70,924 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 7.6 फीसदी, यानी लगभग 13,044, विद्यार्थियों द्वारा की गई आत्महत्याएं थीं। एनसीआरबी के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पिछले दो दशकों में विद्यार्थियों में आत्महत्या की संख्या बढ़ी है। 2001 में 5,425 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की लेकिन यह आंकड़ा 2022 में बढ़कर 13,044 हो गया था। पीठ ने कहा कि इनमें से 2,248 मौतें सीधे तौर पर परीक्षाओं में फेल होने की वजह से हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइंस भी जारी किए हैं। पीठ ने कहा कि संकट की गंभीर प्रकृति को देखते हुए खासकर कोटा, जयपुर, सीकर, विशाखापत्तनम, हैदराबाद और दिल्ली जैसे शहरों में, जहां बड़ी संख्या में विद्यार्थी पहुंचते हैं, तत्काल अंतरिम सुरक्षा उपाय करने की जरूरत है। पीठ ने 15 दिशानिर्देश जारी किए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘विद्यार्थियों के छोटे समूहों को, विशेष रूप से परीक्षा के दौरान और शैक्षणिक बदलावों के दौरान, निरंतर, अनौपचारिक और गोपनीय सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित सलाहकार या काउंसलर नियुक्त किए जाएं।’’ वहीं सभी शैक्षणिक संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, स्थानीय अस्पतालों और आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन के लिए तत्काल रेफरल के लिए लिखित प्रोटोकॉल स्थापित करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने टेली-मानस और अन्य राष्ट्रीय सेवाओं सहित आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन नंबर छात्रावासों, कक्षाओं और वेबसाइटों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने का भी आदेश दिया।

ये भी पढ़ें:‘मां मेरा ख्याल नहीं रखती…’; सुसाइड नोट लिख फंदे से लटक गई इंजीनियर बेटी
ये भी पढ़ें:आखिर मेडिकल स्टूडेंट ने क्यों किया सुसाइड? बंद मोबाइल खोलेगा खुदकुशी के राज
ये भी पढ़ें:मैं जा रहा हूं पापा कहकर पी लिया जहर: जयपुर में 14 साल के नाबालिग ने किया सुसाइड

पीठ ने कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थान नियमित रूप से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर माता-पिता और अभिभावकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम (प्रत्यक्ष या ऑनलाइन) आयोजित करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थान गोपनीय रिकॉर्ड रखेंगे और एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेंगे जिसमें स्वास्थ्य हस्तक्षेपों, छात्र रेफरल, प्रशिक्षण सत्रों और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों की संख्या दर्शायी जाएगी।

वहीं पीठ ने शैक्षणिक बोझ को कम करने और छात्रों में परीक्षा के अंकों और रैंक से परे पहचान की व्यापक भावना विकसित करने के लिए परीक्षा पैटर्न की समय-समय पर समीक्षा करने का निर्देश दिया। पीठ ने आगे कहा, ‘‘छात्रावास मालिकों, वार्डन और ‘केयरटेकर’ सहित सभी आवासीय शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे कि परिसर उत्पीड़न, दबंगई, नशीली दवाओं आदि से मुक्त रहें।’’ वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया