होम बिज़नेस July manufacturing pmi hits above 17 year high in a sign of robust growth momentum what is mean for economy मैन्युफैक्चरिंग PMI के आंकड़े ने चौंकाया, 17 साल बाद मिला इतना बड़ा सरप्राइज, Business Hindi News

July manufacturing pmi hits above 17 year high in a sign of robust growth momentum what is mean for economy मैन्युफैक्चरिंग PMI के आंकड़े ने चौंकाया, 17 साल बाद मिला इतना बड़ा सरप्राइज, Business Hindi News

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ग्लोबल डिमांड और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी से भारत के प्राइवेट सेक्टर का परफॉर्मेंस जुलाई में मजबूत रहा। मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.2 हो गया, जो लगभग साढ़े 17 में इसका उच्चतम स्तर है।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 July 2025 04:07 PM

इकोनॉमी के मोर्चे पर एक अच्छी खबर है। दरअसल, ग्लोबल डिमांड और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी से भारत के प्राइवेट सेक्टर का परफॉर्मेंस जुलाई में मजबूत रहा। जानकारी के मुताबिक एचएसबीसी फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.2 हो गया, जो लगभग साढ़े 17 में इसका उच्चतम स्तर है। वहीं, कंपोजिट पीएमआई 60.7 पर पहुंच गया, जो एक साल से भी ज्यादा समय में सबसे तेज उछाल है। यह भारी डिमांड, तकनीकी निवेश और विस्तारित क्षमताओं के कारण है।

रोजगार के मोर्चे पर उछाल

रोजगार के मोर्चे पर विशेष रूप से सर्विस सेक्टर में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है। यह दिखाता है कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस, दोनों क्षेत्रों के विस्तार के साथ-साथ रोजगार सृजन भी बढ़ रहा है। भारतीय कंपनियां अगले 12 महीनों में उत्पादन वृद्धि को लेकर आशावादी बनी हुई हैं और निगरानी कंपनियों ने इस वृद्धि का श्रेय तेज डिमांड, तकनीकी निवेश और विस्तारित क्षमताओं को दिया है।

एचएसबीसी फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जून के 62.1 से बढ़कर जुलाई में 62.5 हो गया जबकि सर्विसेज पीएमआई बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स 60.4 से घटकर 59.8 पर आ गया। जुलाई के पीएमआई आंकड़े एक नरम और विस्तारित अर्थव्यवस्था की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, व्यावसायिक धारणा और रोजगार सृजन में नरमी चिंतित करता है।

क्या कहा एचएसबीसी के अर्थशास्त्री ने

एचएसबीसी के अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा- भारत का फ्लैश कंपोजिट पीएमआई जुलाई में 60.7 पर स्वस्थ रहा। कुल बिक्री, निर्यात ऑर्डर और उत्पादन स्तर में वृद्धि से मजबूत प्रदर्शन को बल मिला। भारतीय निर्माताओं ने तीनों मानकों के विस्तार की तेज दर दर्ज करते हुए अग्रणी भूमिका निभाई। इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क, दोनों बढ़ने से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ता जा रहा है।

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