होम विदेश “हमारे नाम का किया गलत इस्तेमाल”…वेस्टआर्कटिका ने गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने वाले हर्ष वर्धन जैन से तोड़ा नाता

“हमारे नाम का किया गलत इस्तेमाल”…वेस्टआर्कटिका ने गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने वाले हर्ष वर्धन जैन से तोड़ा नाता

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हर्षवर्धन की फर्जी एंबेसी

गाजियाबाद के कविनगर इलाके में एक लक्जरी बंगले से फर्जी विदेशी दूतावास चलाने वाले हर्ष वर्धन जैन को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है. आरोपी खुद को वेस्टआर्कटिका जैसे काल्पनिक माइक्रोनेशन का राजदूत बताकर न केवल लोगों को गुमराह कर रहा था, बल्कि डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स, फर्जी पासपोर्ट और एम्बेसी जैसी सुविधाएं इस्तेमाल कर रहा था.

अब इस मामले में खुद वेस्टआर्कटिका ने एक आधिकारिक बयान जारी कर आरोपी से पूरी तरह किनारा कर लिया है और कहा है कि हर्ष वर्धन जैन ने संगठन के नाम पर कई अनधिकृत गतिविधियां कीं, जो उनके नियमों के खिलाफ हैं. इसके साथ ही भारत की जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करने की भी बात कही है.

वेस्टआर्कटिका क्या है?

वेस्टआर्कटिका एक काल्पनिक माइक्रोनेशन है जिसे साल 2001 में अमेरिकी नागरिक ट्रैविस मैकहेनरी ने शुरू किया था. इसकी मुख्य गतिविधि पर्यावरणीय संरक्षण है, खासकर वेस्ट अंटार्कटिक आइस शीट को लेकर. 2014 में ये एक चैरिटेबल कॉर्पोरेशन बना और 2018 में इसे अमेरिका में टैक्स छूट मिल गई.

वेस्टआर्कटिका का बयान, वो कोई राजदूत नहीं था

वेस्टआर्कटिका ने कहा कि जैन 2016 में एक दानदाता के रूप में संगठन से जुड़ा था और उसे Honorary Consul to India की प्रतिष्ठित लेकिन सीमित भूमिका दी गई थी. उन्होंने साफ किया कि जैन को कभी भी राजनयिक शक्तियां या राजदूत का दर्जा नहीं दिया गया. उसका काम सिर्फ पर्यावरण और चैरिटी से जुड़ा था, वो भी भारत में स्वैच्छिक रूप से.

कौन-कौन सी गड़बड़ियां की?

हाल ही में उसकी गिरफ्तारी के वक्त उसके पास वेस्टआर्कटिका के नाम के फर्जी पासपोर्ट, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स और ‘एम्बेसी’ के तौर पर इस्तेमाल हो रहा घर पाया गया. वेस्टआर्कटिका ने अपने बयान में बताया कि संगठन के पास खुद के पासपोर्ट या डिप्लोमैटिक प्लेट्स नहीं होतीं, ऐसे में जैन का इनका निर्माण और उपयोग सीधा नियम उल्लंघन है. घर को एम्बेसी कहना और झूठे दस्तावेज़ बनाना, उनकी नीतियों के खिलाफ है.

संगठन ने उठाया सख्त कदम

वेस्टआर्कटिक ने हर्ष वर्धन जैन को अनिश्चितकाल के लिए सस्पेंड कर दिया है. संगठन ने कहा कि वह भारत की जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेगा. साथ ही, वो अपने पूरेHonorary Consular Corps की आंतरिक ऑडिट शुरू कर चुका है, ताकि भविष्य में कोई और गलत व्यक्ति उस नाम का दुरुपयोग न कर सके. अब बारी जांच एजेंसियों की है, जो यह पता लगाएंगी कि डिप्लोमैटिक ठगी के इस खेल में और कितने चेहरे शामिल हैं.

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