होम देश Supreme Court transferred case over release of film Udaipur Files to Delhi High Court फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के रिलीज की मंजूरी पर लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एचसी को भेजा मामला, India News in Hindi

Supreme Court transferred case over release of film Udaipur Files to Delhi High Court फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के रिलीज की मंजूरी पर लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एचसी को भेजा मामला, India News in Hindi

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केंद्र की ओर से नियुक्त समिति ने 6 जगह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया और डिस्क्लेमर में बदलाव की सिफारिश करते हुए आदेश दिया था। फिल्मकार की ओर से सीनियर वकील गौरव भाटिया ने इसका पालन का आश्वासन दिया।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 July 2025 02:21 PM

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ की रिलीज से जुड़ा मामला दिल्ली हाई कोर्ट को भेज दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय से सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करने की अपील की। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी समेत अन्य ने आरोप लगाया है कि फिल्म मुस्लिम समुदाय को बदनाम करती है। इससे पहले, गुरुवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र की ओर से नियुक्त समिति ने 6 जगह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया और डिस्क्लेमर में बदलाव की सिफारिश करते हुए आदेश दिया था। फिल्मकार की ओर से सीनियर वकील गौरव भाटिया ने इसका पालन का आश्वासन दिया।

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मौलाना अरशद मदनी की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की जिस समिति ने फिल्म को मंजूरी दी, उसके कई सदस्य एक ही सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के सदस्य थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ऐसा सभी सरकारों में होता है और उनकी नियुक्तियों को चुनौती नहीं दी जा सकती। जस्टिस बागची ने कहा कि सरकार हमेशा एक सलाहकार समिति रख सकती है और प्रथम दृष्टया इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल का क्या है तर्क

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की समिति से पारित आदेश के बारे में बताया, जिसने फिल्म के प्रमाणन की समीक्षा की और कहा कि कुछ दृश्यों में काट-छांट और संशोधन सुझाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता धर्म के मामले में तटस्थ है। शीर्ष अदालत ने फिल्म निर्माताओं से कहा कि रिलीज होने के कारण कन्हैया लाल दर्जी हत्याकांड के आरोपियों की छवि को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन फिल्म निर्माताओं को आर्थिक रूप से लाभ जरूर हो सकता है।

55 दृश्यों काटने का सुझाव

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मदनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 जुलाई को फिल्म की अगले दिन होने वाली रिलीज पर तब तक के लिए रोक लगा दी, जब तक केंद्र सरकार इस पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं ले लेती। फिल्म निर्माताओं ने दावा किया कि उन्हें सीबीएफसी से प्रमाणपत्र मिला है, जिसमें बोर्ड ने 55 दृश्यों काटने का सुझाव दिया है। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।

किस घटना है आधारित

उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी। हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा की पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी। इस मामले की जांच एनआईए ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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