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Hareli Festival at CM Residence Showcases Chhattisgarh Tradition and Progress छत्तीसगढ़ में CM हाउस में मनाया गयाहरेली उत्सव, परंपरा और प्रगति की अनूठी झलक, Chhattisgarh Hindi News

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हरेली उत्सव में मुख्यमंत्री निवास पर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और कृषि नवाचार का अनूठा संगम दिखा। परंपरागत-अधुनिक यंत्रों, लोक परिधानों की प्रदर्शनी हुई। मुख्यमंत्री साय ने प्रकृति के प्रति सम्मान और कृषि प्रगति की सराहना की।

Anubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 July 2025 12:45 PM

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता और कृषि परंपराओं का प्रतीक हरेली पर्व इस वर्ष मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निवास परिसर में अत्यंत हर्षोल्लास और गरिमा के साथ मनाया गया। इस मौके पर राज्य की समृद्ध विरासत, पारंपरिक कृषि यंत्रों, लोक परिधानों, खान-पान और आधुनिक कृषि तकनीकों का समन्वय देखने को मिला। कार्यक्रम स्थल को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी रंग-रूप में सजाया गया था, जहां ग्रामीण परिधान पहने अतिथि, कलाकार और आमजन लोक संस्कृति में रमे हुए नजर आए।

कृषि यंत्रों का प्रदर्शन

हरेली उत्सव के दौरान मुख्यमंत्री निवास में परंपरागत और आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री साय ने प्रदर्शनी स्थल का भ्रमण कर विभिन्न परंपरागत यंत्रों और वस्तुओं का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में काठा, खुमरी, झांपी, कांसी की डोरी और तुतारी जैसे ऐतिहासिक कृषि उपकरण प्रदर्शित किए गए। कृषि विभाग द्वारा आयोजित आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी में नांगर, कुदाली, फावड़ा, रोटावेटर, बीज ड्रिल, पावर टिलर और स्प्रेयर जैसे यंत्रों का प्रदर्शन हुआ। ‘काठा’ वह परंपरागत मापक है, जिससे पुराने समय में धान तौला जाता था; ‘खुमरी’ बांस और कौड़ियों से बनी छांव प्रदान करने वाली टोपी है; ‘झांपी’ शादी-ब्याह में उपयोग होने वाली वस्तुओं को रखने की बांस से बनी पेटी है; ‘कांसी की डोरी’ खाट बुनने में काम आती है और ‘तुतारी’ पशुओं को संभालने में उपयोग होती है।

हरेली: प्रकृति के प्रति सम्मान

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हरेली पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारे कृषि जीवन, पशुधन और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी किसानों, युवाओं और आमजनों के लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक रही। मुख्यमंत्री ने इन उपकरणों की जानकारी लेकर कृषि तकनीकी प्रगति की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ की खेती परंपरा और तकनीक के समन्वय से और भी अधिक लाभकारी व टिकाऊ बनेगी। किसानों को नई तकनीकों की जानकारी देकर हम राज्य की कृषि उत्पादकता को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम नागरिक, किसान, छात्र और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और कृषि नवाचार के अद्वितीय संगम को सजीव रूप में प्रस्तुत किया, जो राज्य की समृद्ध परंपरा और विकासशील सोच का प्रतीक है।

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