थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद
धरती पर जंग का एक और नया फ्रंट खुल चुका है. दक्षिण पूर्वी एशिया के दो देशों की जंग शुरू हो चुकी है. ये दो देश हैं थाईलैंड और कंबोडिया. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पुराना सीमा विवाद है, लेकिन इस विवाद के जंग में बदलने का समय बहुत महत्वपूर्ण है. इस जंग का प्रायोजक है चीन. चीन को एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना है और इसके लिए वो थाईलैंड का इस्तेमाल कर रहा है. 24 जुलाई की सुबह शुरू हुई जंग में अबतक 14 लोग मारे जा चुके हैं. दोनों देश एक दूसरे पर MLRS हमले कर रहे हैं. थाईलैंड लड़ाकू विमानों से भी हमले कर रहा है. इस जंग के शुरू होने के पीछे क्या कारण है और चीन इससे क्या हासिल करना चाहता है?
24 जुलाई की सुबह एशिया में नई जंग शुरू हो गई. ये जंग है थाईलैंड वर्सेज कंबोडिया. दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आ गईं. सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी. कंबोडिया के सैनिक बड़ी तादाद में सीमा पर जमा हुए और हमले शुरू कर दिए. कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड पर MLRS यानी मल्टीपल लॉन्च्ड रॉकेट सिस्टम से हमले शुरू कर दिए. थाईलैंड के कई शहरों में तबाही का दौर शुरू हो गया.
थाईलैंड के तीन प्रांतों पर कंबोडिया का बारूद बरसने लगा. सीमा के करीब स्कूलों में बच्चों को बंकरों में भेजा जाने लगा. थाईलैंड कंबोडिया की सीमा पर बसे गांवों में अफरा-तफरी और भगदड़ मच गई. थाईलैंड की वायुसेना ने कंबोडिया पर हमले शुरू कर दिए. F-16 से फायर किया गया एक बम कंबोडिया के गैस स्टेशन पर गिरा. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पुराना है, इससे पहले मई के महीने में भी दोनों देशों की सेनाओं की झड़प हुई थी, लेकिन तब मामला इतना ज्यादा विध्वंसक नहीं हुआ था.
थाईलैंड ने 6 F-16 विमान जंग में उतारे
24 जुलाई की सुबह दोनों देशों की सेनाओं के बीच इन्फैंट्री और आर्टिलरी की जंग शुरू हुई और थाईलैंड की वायु सेना के हमले भी शुरू हो गए. थाईलैंड के सुरिन प्रांत और कंबोडिया के ओडर मेंची प्रांत की सीमा पर विवाद शुरू हुआ. सुबह करीब 7:30 बजे, थाईलैंड की टुकड़ी ने ता मुएन थोम मंदिर के आसपास कंबोडिया का एक ड्रोन देखा. इसी दौरान सीमा 6 कंबोडियाई सैनिक थाईलैंड की सीमा में घुसने की कोशिश करते देखे गए.
सुबह करीब 8:20 बजे, कंबोडियाई सेना की ओर से थाईलैंड के एक मिलिट्री पोस्ट पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी गई. यह पोस्ट ता मुएन थोम मंदिर से कुछ ही दूरी पर है. करीब 9:40 बजे, कंबोडिया की ओर से बीएम-21 रॉकेट लॉन्चर से थाईलैंड के अंदरूनी इलाकों को निशाना बनाया गया. इन रॉकेटों में से कई थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत के एक मंदिर के पास और कुछ रिहायशी इलाकों में गिरे, जिससे भारी नुकसान हुआ. इसके कुछ ही देर बाद, सुबह 9:55 बजे, कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के सुरीन प्रांत के काप चोएंग क्षेत्र में एक और रॉकेट हमला किया, जिससे तीन नागरिकों की मौके पर ही मौत हो गई और कुछ अन्य घायल हो गए. सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर थाईलैंड ने 6 F-16 विमान जंग में उतार दिए.
अमेरिका और चीन दोनों देशों के अपने हित
दोनों देश एक दूसरे पर पहले गोलीबारी का आरोप लगा रहे हैं. गोलीबारी के बाद जंग भड़कती गई और दोनों देशों की सेना तीन प्रांतों में आमने-सामने आ गई. दोनों देशों में अपनी सीमाओं को सील कर दिया. ये जंग एक हजार साल पुराने एक मंदिर पर दावेदारी को लेकर शुरू हुई है. ये मंदिर कंबोडिया की आमदनी का बड़ा जरिया है. इसे देखने लाखों पर्यटक हर साल कंबोडिया आते हैं. इसके साथ साथ अंकोरवाट जैसे विश्व धरोहरों को देखते हैं. दो देशों के विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा होते हैं और विवाद ही सुपरपावर्स का बाजार बन जाते हैं. यही इस युद्ध में होने की आशंका बढ़ गई है क्योंकि साउथ ईस्ट एशिया के इन देशों में अमेरिका और चीन अपना अपना प्रभाव बढ़ाने में जुटे हैं.
थाईलैंड को अमेरिका का सामरिक समर्थन है. उसके पास F-16 अमेरिकी लड़ाकू विमान हैं. कंबोडिया के साथ चीन खड़ा है जो उसके सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और सबसे ज्यादा विदेशी निवेश करता है. थाईलैंड अमेरिकी हथियारों का बाजार है. चीन कंबोडिया को अपने हथियार बेचता है, लेकिन चीन के हित दोनों देशों से जुड़े हैं. चीन का OROB यानी वन रोड वन बेल्ट प्रोजेक्ट दोनों देशों से होकर गुजरता है. चीन चाहता है कि थाईलैंड में अमेरिका का प्रभाव घटाया जाए. चीन ने दोनों देशों से शांति की अपील की है, लेकिन कंबोडिया को जंग के लिए हथियार भी वही दे रहा है.
चीन की मदद के बिना कंबोडिया जंग नहीं छेड़ सकता
अबतक की रिपोर्ट्स ये इशारा कर रही हैं कि जंग कंबोडिया ने शुरू की है और बिना चीन की मदद के कंबोडिया जंग नहीं छेड़ सकता है. सामरिक स्तर पर दोनों देशों की तुलना करें तो कंबोडिया थाईलैंड से बहुत कमजोर है और यही संकेत कि इतनी कमजोर हालत भी उसने जंग छेड़ी है, तो इसके पीछे चीन हो सकता है. जंग अगर शांत भी होती है तो आने वाले समय में दोनों देश एक दूसरे के लिए खतरा बने रहेंगे. ऐसी हालत में अपना डिफेंस बजट बढ़ाना होगा.
डिफेंस बजट बढ़ाने का मतलब है कि थाईलैंड को या तो अमेरिकी हथियार खरीदने होंगे जो कि महंगे हैं या फिर चीन से सस्ते हथियार खरीदने होंगे. दूसरी तरफ कंबोडिया को भी हथियार खरीदने होंगे, जिससे वो चीन का कर्जदार बनेगा. इससे दोनों देशों में चीन का वर्चस्व बढ़ना तय है. इसीलिए जिनपिंग युद्ध के प्रायोजक हैं, ताकि आपदा को अवसर में बदला जा सके.