होम देश Free trade agreement signed between India and Britain know some of its special points कार, व्हिस्की और फर्नीचर होगा सस्ता, इन देसी सेक्टर्स को भी लाभ; UK संग FTA से भारत को होगा फायदा, India News in Hindi

Free trade agreement signed between India and Britain know some of its special points कार, व्हिस्की और फर्नीचर होगा सस्ता, इन देसी सेक्टर्स को भी लाभ; UK संग FTA से भारत को होगा फायदा, India News in Hindi

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 FTA signed between India and Britain: भारत और ब्रिटेन के बीच में लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौता हो गया है। इस समझौते से भारतीय व्यापारियों के लिए ब्रिटेन में अपनी पैठ जमाने के दरवाजे खुल गए हैं।

भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते को लेकर आखिरकार सहमति बन ही गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटेन में उनके समकक्ष कीर स्टार्मर ने दोनों देशों के बीच में हुए इस अहम समझौते पर मुहर लगाई। इस समझौते के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच में व्यापार करना काफी ज्यादा आसान हो गया है। इससे दोनों ही देशों के कृषि, टेक्नोलॉजी और फार्मा क्षेत्र का विकास होगा और लोगों को लाभ होगा। भारतीयों को ब्रिटेन से आयात होने वाली चीजें सस्ते दामों में मिलेंगी तो वहीं ब्रिटेन में भी लोगों को भारत में निर्मित चीजों के लिए कम पैसे अदा करने पड़ेंगे। इसके अलावा यह डील भारत के कई सेक्टर्स के लिए भी लाभदायक होगी।

आइए जानतें हैं यह डील भारत के किन सेक्टर्स के लिए एक वरदान साबित हो सकती है।

कृषि उत्पादों के निर्यात में फायदा

भारत और ब्रिटेन के बीच हुए समझौते का फायदा भारत के किसानों को भी होगा। इस समझौते के बाद भारत से फल, अनाज, सब्जियां, हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसे कई इलायची जैसे कई कृषि उत्पादों और खाने के लिए तैयार खाद्य, आम का गूदा, अचार और दालों जैसे प्रसंस्कृत चीजों पर शुल्क से छूट मिलेगी। इस समझौते के बाद अगले तीन साल में भारत के कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो कि भारत के 2030 तक 100 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।

दूसरी ओर भारतीय तिलहन की दृष्टि से भी यह समझौता काफी महत्वपूर्ण है। इसके बाद एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया के तहत भारतीय तिलहन ब्रिटिश बाजार में अपनी अलग पहचान बना सकता है।

मछली उद्योग को फायदा

इस समझौते के तहत भारत के समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन की तरफ से लगाया जाने वाला टैक्स खत्म कर दिया या है। इससे भारतीय निर्यातकों को ब्रिटिश बाजार में अपनी पैठ जमाने में आसानी होगी। इससे तटीय मछुआरों को भी लाभ मिलेगा। आपको बता दें कि ब्रिटेन करीब 5.4 अरब डॉलर की समुद्री वस्तुओं का आयात करता है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है। यह क्षेत्र भारत के लिए खास हो सकता है।

चाय-कॉफी उद्योग

भारत की चाय और कॉफी ब्रिटेन में काफी पसंद की जाती है। ब्रिटेन पहले से ही भारत के लिए एक खास बाजार है। हमारे कुल निर्यात का 1.7 फीसदी कॉफी, 5.6 प्रतिशत चाय और 2.9 प्रतिशत मसाला जाता है। अब इन उत्पादों पर शुल्क मुक्त पहुंच के साथ इसमें तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र में टैक्स से राहत मिलने के बाद भारतीय व्यापारी अपने यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों के सामने ज्यादा मजबूती से खड़े हो पाएंगे।

बढ़ेगा भारत का कपड़ा उद्योग

भारत का कपड़ा उद्योग एक बार फिर से ब्रिटिश बाजारों में अपनी पहुंच बनाने के लिए तैयार हैं। फिलहाल भारत को अपने पड़ोसी देशों जैसे की बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया से पीछे रहना पड़ता था। क्योंकि यह देश ब्रिटेन के साथ पहले से ही मुक्त व्यापार समझौता करके बैठे थे, लेकिन अब जबकि भारत को भी इसमें राहत मिल गई है, तो प्रतिस्पर्धा बराबर की हो गई है। आपको बता दें इस क्षेत्र में ब्रिटेन का कुल आयात करीब 27 अरब डॉलर का है, जो कि भारत के कुल वैश्विक निर्यात से कम है। लेकिन भारत ब्रिटेन में सिर्फ 1.79 अरब डॉलर का निर्यात करता है, इसलिए यह भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़े बाजार के रूप में उभर सकता है।

इंजीनियरिंग फील्ड का बढ़ेगा जोर

ब्रिटेन भारत का छठा सबसे बड़ा इंजीनियरिंग निर्यात बाजार है। इसने 2024-25 में सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत व्यापार गति दर्ज की है। भारत का वैश्विक निर्यात 77.79 अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन 193.52 अरब डॉलर मूल्य के ऐसे उत्पादों का आयात करता है, फिर भी भारत से केवल 4.28 अरब डॉलर का ही आयात होता है, जो विस्तार की मजबूत संभावना का संकेत देता है।

एफटीए के तहत टैक्स में राहत मिलने के साथ ही भारत का ब्रिटेन को इंजीनियरिंग निर्यात अगले पांच वर्षों में लगभग दोगुना हो सकता है, जो 2029-30 तक 7.5 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर

इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में वृद्धि आने की उम्मीद है। इसके अलावा स्मार्ट फोन, ऑप्टिकल फाइबर केबल और इन्वर्टर जैसी चीजों की वजह से ब्रिटेन में भारतीय उद्योगों की स्थिति मजबूत होगी। आने वाले कुछ सालों में इस क्षेत्र में भारत का ब्रिटेन को निर्यात करीब 15-20 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।

फार्मा सेक्टर

भारत वैश्विक स्तर पर 23.31 अरब डॉलर का निर्यात करता है और ब्रिटेन लगभग 30 अरब डॉलर का आयात करता है, लेकिन इसमें भारतीय फार्मा का योगदान एक अरब डॉलर से कम है, जो वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण गुंजाइश दर्शाता है। इस समझौते के बाद भारत की जेनेरिक दवाओं के ऊपर से टैक्स हट गया है, जिसकी वजह से भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन के बाजार की आसान पहुंच मिलेगी। भारत वैसे भी यूरोप में सबसे ज्यादा दवा निर्यात करता है।

इन उद्योगों के अलावा भारत के केमिकल उद्योग को भी इस समझौते से फायदा होगा। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक एफटीए साइन होने के बाद ब्रिटेन को भारत के रासायनिक निर्यात में बढ़ी वृद्धि होने उम्मीद है। इसके अलावा प्लास्टिक और रत्न आभूषण और चमड़ा उद्योग में भी तेजी देखने की उम्मीद की जा रही है।

इन सेक्टर्स को होने वाले फायदे के अलावा यह डील आम जनमानस के लिए भी फायदे मंद साबित होगी। ब्रिटेन से आने वाला तमाम सामान भारतीयों को सस्ते दामों में मिलेगा। इससे दोनों देशों के बीच में भारी वृद्धि होने की संभावना है। आपको

लग्जरी कारें, व्हिस्की, कॉस्मेटिक्स होंगे सस्ते

इस व्यापार समझौते के दोनों देशों लिए फायदेमंद रहने की उम्मीद है। इसका असर आम जनमानस पर भी पड़ेगा। ब्रिटेन की जनता को भारत से जाने वाला सामान सस्ता पड़ेगा, तो वहीं भारत की जनता को ब्रिटेन से आने वाला सामान सस्ता मिलेगा। यूके से आने वाली लग्जरी कारें, व्हिस्की और फुटवियर जैसे सामान सस्ते होंगे।

आपको बता दें अभी ब्रिटेन से आयात होने वाली स्कॉच व्हिस्की पर भारत 150 प्रतिशत तक टैरिफ लगाता था उन पर अब केवल 75 फीसदी ही होगा। इसके अलावा ब्रिटेन से आने वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि लैंब, चॉकलेट्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स पर भी टैरिफ को कम किया जाएगा। इसके अलावा यूके से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट भी सस्ते होंगे और इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्नीचर के दाम भी कम हो जाएंगे।

गौरतलब है कि भारत और यूके साल 2022 से ही इस समझौते को लेकर बातचीत कर रहे हैं। लेकिन कुछ न कुछ कारणों से यह ठंडे बस्ते में चला जाता था। दोनों ही देश डेयरी उद्योग को लेकर अपनी-अपनी चिंता जताते रहे हैं। अंत में दोनों सरकारों ने मिलकर एक-दूसरे की चिंता को समझकर एक बेहतर साझेदारी तैयार की। वर्तमान में ब्रिटेन और भारत के बीच में 4.6 लाख करोड़ का व्यापार होता है। इसमें में भारत 2.75 लाख करोड़ का निर्यात ब्रिटेन को करता है। इस व्यापार समझौते के तहत भारत सरकार का उद्देश्य 2030 तक इस निर्यात को 108 लाख करोड़ रुपए करने का है।

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