होम नॉलेज कब होती है भुखमरी की घोषणा, गाजा में भूखे मर रहे लोग, फिर भी क्यों नहीं उठाया गया कदम?

कब होती है भुखमरी की घोषणा, गाजा में भूखे मर रहे लोग, फिर भी क्यों नहीं उठाया गया कदम?

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गाजा में मासूम बच्चे, बड़े, बूढ़े, महिलायें, सब भूख से बिलबिला रहे हैं और असमय मौतें हो रही हैं.

गाजा में रहने वाले लोग इजराइली हमले में तबाह हो गए हैं. उनके सिर से छत गायब है. शहर से अस्पताल-स्कूल गायब हैं. कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही है. मासूम बच्चे, बड़े, बूढ़े, महिलायें, सब भूख से बिलबिला रहे हैं. असमय मौतें हो रही हैं. इसके बावजूद इसके गाजा पट्टी में भुखमरी की घोषणा नहीं हो पा रही है. अगर ऐसा हो जाता तो पीड़ितों की मदद हो जाती.

गाजा पट्टी के बहाने जानना जरूरी है कि आखिर यह जिम्मेदारी किसकी है? कैसे होती है भुखमरी की घोषणा? कौन सी संस्था इसके लिए अधिकृत है? दुनिया में कितने देश भुखमरी के शिकार हुए और उन्हें इस घोषणा के बाद मदद मिली? आइए, एक-एक सवाल का जवाब विस्तार से जानते हैं.

भुखमरी की स्थिति दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बनती है. समय-समय पर इसकी घोषणा भी हो जाती है. उसके बाद मदद भी पहुंचती है. विकसित, विकासशील देश तो मदद करते ही हैं, यूनाइटेड नेशन भी आगे आता है. पर, न जाने क्यों भुखमरी के बावजूद गाजा को लेकर यह घोषणा नहीं हो रही है.

कौन करता है भुखमरी की घोषणा?

पूरी दुनिया जानती है कि भुखमरी की घोषणा कोई साधारण या राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक, मानवीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय मानक के हिसाब से होती है. आमतौर पर भुखमरी की घोषणा संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन (IPC) के माध्यम से की जाती है. IPC एक वैश्विक मानक है, जो किसी क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा की स्थिति का विश्लेषण करता है और उसे पाँच चरणों में वर्गीकृत करता है. उसी की रिपोर्ट के आधार पर भुखमरी घोषित की जा सकती है.

Starvation In Gaza

इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन (IPC) के सामान्य नियम कहते हैं कि भूखमरी की घोषणा तब होती है जब आबादी का कम-से-कम 20 फीसदी हिस्सा भोजन पाने के अत्यधिक अभाव में जूझ रहा हो. हर दस हजार की आबादी में से कम-से-कम दो लोगों की रोजाना भूख या कुपोषण से मृत्यु हो रही हो. 30 फीसदी से अधिक बच्चों में अधिक कुपोषण (Acute Malnutrition) के मामले सामने आ रहे हों.

इन तीन शर्तों के आधार पर ही किसी क्षेत्र में भुखमरी की आधिकारिक घोषणा की जाती है. यह घोषणा आमतौर पर IPC की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित देश की सरकार, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ या मानवीय सहायता संगठन करते हैं.

गाजा में हालात बद से बदतर, फिर भी भुखमरी की घोषणा क्यों नहीं?

गाजा पट्टी में 2023-2024 के दौरान इजरायल-हमास संघर्ष के कारण हालात बेहद गंभीर हो गए हैं. यह बात बिल्कुल सही है. संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों की रिपोर्टों के अनुसार, गाजा के लाखों लोग भुखमरी के कगार पर हैं, बच्चों में कुपोषण तेजी से बढ़ रहा है, और भोजन, पानी, दवाओं की भारी कमी है. फिर भी, अब तक गाजा में आधिकारिक तौर पर भुखमरी की घोषणा नहीं हुई है. इसके पीछे एक नहीं, अनेक कारण हो सकते हैं.

डेटा की कमी

भुखमरी की घोषणा के लिए इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन (IPC) जैसी संस्थाओं को विश्वसनीय और व्यापक डेटा की जरूरत होती है. गाजा में लगातार संघर्ष, सीमाओं की बंदी और मानवीय संगठनों की सीमित पहुँच के कारण पर्याप्त डेटा इकट्ठा करना मुश्किल हो गया है. गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा था या यूं कहें कि है. फिलिस्तीन की कहने को देश है लेकिन उसका अपना कोई सिस्टम गाजा पट्टी में काम नहीं करता. ऐसे में इस भुखमरी का डाटा संबंधित एजेंसीज तक आखिर कौन पहुंचाए? यह बड़ा सवाल है.

Gaza

तरह-तरह के दबाव

कई बार स्थानीय सरकारें या अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भुखमरी की घोषणा को रोकने या टालने का प्रयास करती हैं, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय दबाव, आलोचना और हस्तक्षेप बढ़ सकता है. गाजा पट्टी के केस में स्थिति इसलिए भी खराब है क्योंकि इस क्षेत्र के लोग आज की तारीख में लगभग लावारिस हैं. इस इलाके में कथित तौर पर सरकार चलाने वाला संगठन हमास है. उसके लगभग सारे बड़े लीडर्स मारे जा चुके हैं. जो बचे हैं वे छिपे हुए हैं. हमास दुनिया की नजर में एक आतंकी संगठन है. ऐसे में अगर वे चाहें भी तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होगी. इजरायल-अमेरिका की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में पड़ोसी देश भी गाजा पट्टी में रुचि नहीं ले रहे हैं.

गाजा में भुखमरी की घोषणा हुई तो क्या फायदा होगा?

अगर जरूरी डाटा यूनाइटेड नेशन के सहयोगी संगठनों को मिल जाता तो संभव है कि अब तक घोषणा हो जाती और आम नागरिकों को इसका लाभ भी मिलता. घोषणा के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर मानवीय सहायता भेजने का दबाव बढ़ जाता है, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. कई बार संबंधित पक्ष इस स्थिति से बचना चाहते हैं और यहां तो कोई पक्ष ही नहीं है, जो आवाज उठाए.

IPC की घोषणा के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम को क्षेत्र में जाकर सर्वेक्षण करना होता है, जो गाजा जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्र में लगभग असंभव है. इसके भी अनेक कारण हैं. यहां इजरायल लगातार हमले कर रहा है. कब कौन स बम आकर उसी टीम को शिकार बना ले, कहना मुश्किल है. बीते दो वर्षों में अनेक मामले सामने आए हैं, जब गाजा पट्टी में मदद की कोशिश करने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

भुखमरी की आधिकारिक घोषणा केवल एक शब्द नहीं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चेतावनी और कार्रवाई का आह्वान है. इससे मानवीय सहायता, फंडिंग, और वैश्विक ध्यान केंद्रित होता है. लेकिन, कई बार राजनीतिक, प्रशासनिक या तकनीकी कारणों से यह घोषणा देर से या कभी-कभी नहीं हो पाती, जिससे लाखों लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है.

भुखमरी की घोषणा एक वैज्ञानिक और मानवीय प्रक्रिया है, जिसमें IPC जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने का नियम है. गाजा जैसे क्षेत्रों में हालात बेहद गंभीर होने के बावजूद, डेटा की कमी, राजनीतिक दबाव और सुरक्षा कारणों से भुखमरी की आधिकारिक घोषणा नहीं हो पाती. आज भी कई देश और क्षेत्र इस संकट के कगार पर हैं.

भुखमरी की घोषणा का उद्देश्य केवल स्थिति को उजागर करना नहीं, बल्कि वैश्विक समुदाय को तत्काल और प्रभावी सहायता के लिए प्रेरित करना है. जब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति, पारदर्शिता और मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक गाजा जैसे क्षेत्रों में लाखों लोग अनदेखे संकट का सामना करते रहेंगे.

Gaza Food Starving

अब तक कितने देश भुखमरी का शिकार हुए?

आधुनिक इतिहास में भुखमरी की कई घटनाएं दर्ज हैं, जिनमें से कुछ को आधिकारिक तौर पर IPC या संयुक्त राष्ट्र ने घोषित भी किया है। 21वीं सदी में भुखमरी की घोषणा बहुत कम हुई है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ है, लेकिन अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में यह समस्या अब भी गंभीर है.

  • इथियोपिया में साल 1984-85 में 20वीं सदी की सबसे भीषण भुखमरी थी, जिसमें लगभग 10 लाख लोगों की मौत हुई.
  • सूडान में दो बार भुखमरी घोषित की गई. एक बार 1998 में और दोबारा साल 2017 में. यहां कई हिस्सों में आम लोग परेशान थे. खासकर दक्षिणी सूडान में. IPC ने यहाँ भुखमरी घोषित की थी, जहां लाखों लोग प्रभावित हुए थे.
  • संयुक्त राष्ट्र ने सोमालिया के दो क्षेत्रों में आधिकारिक तौर पर भुखमरी घोषित की थी. यह साल 2011 की बात है. करीब 2.6 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से आधे से अधिक बच्चे थे.
  • नाइजीरिया, यमन, और अफगानिस्तान में सत्ता संघर्ष की वजह से हाल के वर्षों में भी भुखमरी जैसी स्थिति बनी, लेकिन कई बार आधिकारिक घोषणा नहीं हो पाई. क्योंकि स्थिर सरकारें नहीं थी. जरूरी आंकड़े नहीं थे.

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