बिहार में हाल के दिनों में अपराध की बढ़ती घटनाओं से ‘जंगलराज’ की चर्चा फिर से बढ़ गई है। जुलाई में 60 से अधिक हत्याएं हुई हैं। 2015 से 2024 के बीच राज्य में अपराधों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि…
बिहार में हाल के दिनों में हुई हत्याओं और दूसरे अपराध की बढ़ती घटनाओं से ‘जंगलराज’ एक बार फिर चर्चा में है.जुलाई महीने के 20 दिनों में 60 से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं.आंकड़ों के अनुसार राज्य में 2015 से 2024 के बीच अपराधों की संख्या में 80 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि भारत के राष्ट्रीय औसत में बढ़ोतरी करीब 24 प्रतिशत की रही.हालांकि, जनसंख्या के हिसाब से प्रति लाख आबादी पर अपराध दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है.चुनावी साल में यह एक राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है.सोमवार को इस मुद्दे पर बिहार में विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा के अंदर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया.इसी महीने की चार तारीख को पटना में प्रसिद्ध उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के बाद से ही बढ़ते अपराध की चर्चा तेज हो गई थी.इसके बाद 13 जुलाई को एडवोकेट जितेंद्र मेहता और फिर 17 जुलाई को पटना के ही पारस हॉस्पिटल में पैरोल पर इलाज करा रहे कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या कर दी गई.इसके बाद खगड़िया में एक जेडीयू नेता की हत्या हुई.अपराध और अराजकता से सुर्खियां बटोरता बिहारपुलिस ने इन सभी मामलों में तुरंत कार्रवाई की और एनकाउंटर से भी परहेज नहीं किया.इन वारदातों में शामिल अपराधी पकड़े भी गए.सुपारी देकर टारगेट किलिंग की बढ़ती संख्या को देखते हुए बिहार पुलिस ने कांट्रैक्ट किलर निगरानी सेल का भी गठन किया है.जून तक हत्या के 1379 मामले दर्जबिहार के राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2024 के बीच राज्य में कुल अपराधों की संख्या में 80. 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.जबकि, राष्ट्रीय स्तर के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2022 तक औसत वृद्धि 23.7 प्रतिशत रही.इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 से हर साल (कोरोना की महमारी के दौरान 2020 और 2024 को छोड़ कर) बिहार में अपराध की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और यह कुल अपराध दर के मामलों में दस सबसे खराब राज्यों में से एक रहा.हालांकि, जनसंख्या के हिसाब से प्रति लाख आबादी पर अपराध की दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम रही.2022 में बिहार में अपराध दर 277 रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 422 था.2023 में राज्य में करीब 3.54 लाख अपराध हुए, जो बीते दस वर्षों में अधिकतम थे.2024 में यह संख्या 3.52 लाख हो गई.वहीं, इस साल जून तक कुल 1.91 लाख अपराध दर्ज किए जा चुके हैं. क्या बिहार के बलात्कार पीड़ित बच्ची की जान बच सकती थीएससीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बिहार में जून, 2025 तक हत्या के 1379 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 2,786 तथा 2,023 में 2,863 था.बिहार पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार अवैध हथियार, फर्जी लाइसेंस और गोला-बारूद की अवैध बिक्री बढ़ते हिंसक अपराधों की वजहों में से एक है.संपत्ति और प्रतिशोध के लिए बढ़ रहा अपराधहत्या के अधिकतर मामलों में एक बड़ा कारण सालों से प्रॉपर्टी का विवाद और व्यक्तिगत प्रतिशोध रहा है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का पता इससे भी चलता है कि 2015 से 2022 तक हर साल हत्या के प्रयासों की दर के मामले में बिहार शीर्ष पांच राज्यों में शामिल रहा है, वहीं इसी अवधि में संपत्ति विवाद से जुड़ी हत्या की घटनाएं सबसे अधिक हुईं.2018 में प्रॉपर्टी के कारण 1,016 हत्याएं हुईं.बिहार पुलिस के अनुसार, अधिकांश घटनाएं व्यक्तिगत दुश्मनी, विवाद, अवैध संबंध या प्रेम प्रसंग के कारण हुई हैं.आंकड़ों के अनुसार फिरौती के लिए अपहरण व डकैती जैसे अपराधों में काफी कमी आई है, किंतु बलात्कार और दंगे जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी चिंताजनक है.इस साल केवल जनवरी माह में बलात्कार के 121 मामले दर्ज हुए, जबकि 2005 से 2020 तक बलात्कार के मामलों में 47.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.कानून व्यवस्था पर तेज हुई सियासतअक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है.महागठबंधन के जंगलराज रिटर्न के जवाब में उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा कहते हैं, “”बढ़ती आपराधिक घटनाओं के पीछे बालू, शराब और जमीन माफिया की बड़ी भूमिका है.ये माफिया तत्व आरजेडी से जुड़े हैं और विधानसभा चुनाव नजदीक आने के कारण ये लोग राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं””वहीं, आंकड़ों का हवाला देते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कहते हैं, “”एक अचेत मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बिहार अराजकता में डूब गया है.नीतीश कुमार ने जिस जंगलराज को खत्म करने की बात कही थी, आज फिर वही जंगलराज लौट आया है”” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा कि बिहार क्राइम कैपिटल ऑफ इंडिया बन चुका है. हर गली में डर और हर घर में बेचैनी का माहौल है.विपक्ष को तो छोड़िए एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) के प्रमुख व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी अपनी सरकार को घेरे में लिया.कहा, “”बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है, अपराधियों का मनोबल चरम पर है””क्या कमजोर हो रही है पुलिस राजनीतिक समीक्षक सौरव सेनगुप्ता कहते हैं, “”आम आदमी तो इसे पुलिस का कमजोर होता इकबाल ही समझेगा.इसकी वजह तो ढूंढनी ही होगी कि अपराधी क्यों पुलिस पर भारी पड़ जा रहे.क्या उनमें कानून का खौफ नहीं रह गया है?””चाहे संगठित अपराध हो या परिस्थितिजन्य, हर हाल में दोषी को सजा से ही आपराधिक प्रवृति पर अंकुश लग सकेगा.वहीं, नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी कहते हैं, “”अपराध बढ़ने के सामाजिक-आर्थिक कारण तो हैं ही, पुलिस-प्रशासन की कमजोर कड़ी और भ्रष्टाचार भी एक बड़ा कारण है.अगर सच कहा जाए तो शराबबंदी के बाद से पुलिस का खौफ कम हुआ है, जिसकी तस्दीक पुलिस पर हमले की बढ़ती घटनाएं कर रही हैं””अधिवक्ता राजेश के.सिंह कहते हैं, “”अदालतों में मुकदमों का अंबार लगा है.हर हाल में अपराधी को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए.एक अपराध के बाद किसी भी वजह से बरी हो गए अपराधी का हौसला बढ़ जाता है और फिर वह आदतन अपराधी बन जाता है””फास्ट ट्रैक कोर्ट और स्पीडी ट्रायल कई मामलों में असरदार साबित हुए हैं.कई मामले तो जांच अधिकारी की लापरवाही की वजह से भी साल दर साल चलते रहते हैं.वैसे, हाल के दिनों में पुलिसिंग में काफी सुधार किया गया है, लेकिन उसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे.