डेथ टू अमेरिका (अमेरिका की मौत) एक ऐसा नारा जो ईरान के कई प्रदर्शनों में सुना जाता है. ईरान ही नहीं बल्कि ईरान का जहां भी इंफ्लूएंस रहा है, चाहें वो यमन, सीरिया और लेबनान हो. वहां “डेथ टू अमेरिका, डेथ टू इजराइल” का नारा सुनने मिलता है. इस नारे की वजह से आम अमेरिकी नागरिकों में ईरान को लेकर एक गलत छवि बन गई है और इजराइल की लॉबी करने वाले ग्रुप भी अमेरिकी जनता को इस नारे के सहारे ईरान के खिलाफ भड़काते आए हैं.
इसको लेकर अब ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सफाई दी है. अराघची ने इस बात से इनकार किया कि ईरान इजराइल को ‘नक्शे से मिटा देना’ चाहता है और अमेरिका को मौत देने की मांग को कमतर बताया है. ईरान के विदेश मंत्री ने सोमवार को ‘स्पेशल रिपोर्ट’ पर दिए इंटरव्यू में इस बात से इनकार किया कि ईरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके पहले कार्यकाल के अन्य शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों की हत्या की कोशिश कर रहा है.
Iran’s FM Abbas Araghchi was asked whether Iran is attempting to assassinate U.S. President Trump and other American leaders.
Death to America is in fact deaths to the hegemonic policies of the U.S and not the people of the U.S, Abbas responded. pic.twitter.com/ho7oYTpNOB
— Mr. zhang (@zhangkuancheng) July 22, 2025
डेथ टू अमेरिका का क्या मतलब?
अराघची ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमने हमेशा कहा है, ईरान के सर्वोच्च नेता और अन्य अधिकारियों ने हमेशा कहा है कि ‘डेथ टू अमेरिका’, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम अमेरिका के नागरिकों को या देश को मारना चाहता है. इस नारे का मतलब अमेरिका की आधिपत्यवादी नीतियों की मौत है.
ईरान के नेताओं ने अक्सर इजराइल को मिटाने की बात की है
भले ही अराघची ने ईरान शासन की इजराइल को नक्शे से मिटाने की मंशा से इंकार किया है, लेकिन सुप्रीम लीडर समेत ईरान के कई नेताओं ने सार्वजनिक मंचों से इस तरह के बयान दिए हैं. पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने 2005 में ‘जियोनिज्म रहित विश्व’ सम्मेलन में ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खोमैनी के एक वाक्यांश को दोहराया था कि इजराइल को “मानचित्र से मिटा दिया जाना चाहिए.”