भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कर्नाटक स्थित कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक के 92.9 प्रतिशत ग्राहक जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीीसी) से अपनी जमा की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कर्नाटक स्थित कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है क्योंकि उसके पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावना नहीं है।इससे, बैंक 23 जुलाई 2025 को कारोबार बंद होने से बैंकिंग गतिविधि बंद कर देगा। वहीं, केंद्रीय रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि सहकारी समितियों के पंजीयक, कर्नाटक से बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।
ग्राहकों का क्या होगा?
परिसमापन पर प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से पांच लाख रुपये की सीमा तक अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। आरबीआई ने कहा कि बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 92.9 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी जमा की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। बता दें कि डीआईसीजीसी 30 जून, 2025 तक कुल बीमित जमाराशियों में से 37.79 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। आरबीआई ने कहा कि सहकारी समिति के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं।
शहरी सहकारी बैंकों को मिली सलाह
बता दें कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों से कामकाज एवं जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाने और सुरक्षित प्रौद्योगिकी अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “बैंकों का कामकाजी संचालन और भी बेहतर होना चाहिए। जोखिमों को बेहतर ढंग से समझें और उनका प्रबंधन करें। प्रौद्योगिकी को सोच-समझकर और सुरक्षित रूप से अपनाया जाना चाहिए। सबसे अहम यह है कि आपके जमाकर्ताओं का विश्वास अटूट होना चाहिए।”
स्वामीनाथन ने कहा कि शहरी सहकारी बैंक एक ऐसे मॉडल का प्रतिनिधित्व करते हैं जो न केवल मुनाफे पर, बल्कि उद्देश्य पर आधारित है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि यह सहकारी मॉडल के सार को दर्शाता है जो बैंकिंग संबंधों, स्थानीय ज्ञान और जमीनी जुड़ाव पर आधारित है।