पीओके में पुलिस स्ट्राइक पर (Photo- Getty)
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में अपने ही सरकार के खिलाफ 80 हजार पुलिस के जवानों ने बगावत का झंडा उठा लिया है. सरकार के खिलाफ बागी ये जवान लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. मंगलवार (22 जुलाई) को इन जवानों को समझाने के लिए पुलिस ने हाई लेवल मीटिंग की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक पीओके के इन पुलिस जवानों ने तब तक हड़ताल करने की चेतावनी दी है, जब तक इनकी मांगों को सरकार नहीं मानती है. पीओके में जवानों के इस बगावत ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है.
सवाल- पीओके में बागी क्यों हो गए जवान?
1. बागी जवानों ने सरकार को 10 सूत्री मांगों की एक सूची सौंपी है. इन जवानों का कहना है कि इनकी सैलरी पिछले 60 सालों से एक जैसी है. सरकार 2008 के अनुसार इन्हें महंगाई भत्ता और अन्य सुविधाएं दे रही है, जबकि अन्य जगहों पर 2022 के तहत दी जा रही है. जवानों ने इसी वजह से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
2. पुलिस के इन जवानों का कहना है कि उन्हें और उनके परिवारों को पाकिस्तान और पीओके के प्रमुख अस्पतालों में सेना जैसी सुविधाएं दी जाएं. इन जवानों के मुताबिक सरकार इनसे सेना की तरह काम तो करवाती है, लेकिन सुविधा नहीं देती है.
3. आंदोलन कर रहे इन जवानों का कहना है कि सरकार ने वर्दी खरीदने को लेकर जो नियम बनाए हैं, वो गलत है. वर्दी खरीदने के लिए सीधे जवानों को पैसा दिया जाए. इससे अच्छी क्वालिटी की वर्दी खरीदी जा सकेगी.
निदान के बदले धमकाने उतारी सरकार
पीओके प्रांत के आईजी अब्दुल जब्बार ने आंदोलन कर रहे पुलिस कर्मियों के लिए चेतावनी जारी की है. जब्बार ने कहा है कि पुलिस एक अनुशासनात्मक बल है. सभी जवान इस बात को समझें और जो पुलिस कर्मचारी अनुशासन का उल्लंघन कर रहे हैं, वे खुद को कमजोर कर रहे हैं.
जब्बार ने मंगलवार को पुलिस यूनियन के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें समाधान नहीं निकल सका. इसके बाद आंदोलन कर रहे पुलिसकर्मियों से उन्होंने कहा कि सरकार से हम बात करेंगे, आप लोग आंदोलन को रोक दीजिए.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आंदोलन की शुरुआत आईजी जब्बार के एक पत्र से ही हुई थी. जब्बार ने सरकार को कुछ दिनों पहले एक पत्र लिखा था, जिसमें वेतन को संशोधित करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.