होम नॉलेज बिहार में मटन खाने का इतना क्रेज क्यों है? 5 बड़ी वजह, सावन में नॉनवेज पार्टी से राजनीति में मचा बवाल

बिहार में मटन खाने का इतना क्रेज क्यों है? 5 बड़ी वजह, सावन में नॉनवेज पार्टी से राजनीति में मचा बवाल

द्वारा

मटन एक बार फ‍िर बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है.

बिहार में एक बार फिर मटन चर्चा में आ गया है. सावन के महीने में सोमवार को यहां NDA के एक विधायक ने अपने आवास पर पार्टी दी. पार्टी में मटन रोगन जोश परोसा गया. चिकन और फिश करी का भी इंतजाम किया गया था. इसका एक वीडियो वायरल हुआ और अब देश में मटन-पॉलिटिक्स की चर्चा होने लगी है. यह पहला मौका नहीं है जब बिहार में मटन की चर्चा हो रही है.

इससे पहले राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद अपनी दिल्ली के आवास पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मटन का प्रशिक्षण देते हुए देखे गए थे. मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि कुछ दिनों पहले ही सूर्यगढ़ा में केंद्रीय मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह ने समर्थकों को मटन का भोज दिया था. विपक्ष ने सवाल उठाया था कि सावन के पवित्र महीने में ये मटन क्यों परोसा जा रहा है.

बिहार की पॉलिटिक्स में रह-रहकर मटन चर्चा में आ रहा है. ऐसे में सवाल है कि आखिर बिहार के लोगों को मटन इतना क्यों पसंद है, क्या हैं इसकी बड़ी वजह?

बिहार का मतलब सिर्फ लिट्टी-चोखा-सत्तू नहीं

आमतौर बिहार के खाने के नाम पर सत्तू, लिट्टी और चोखा की तस्वीर उभरती है, लेकिन बिहार के बारे में एक भ्रम यह है कि बिहार का खाना शाकाहारी होता है. भले ही बिहार में एक बड़ी अबादी जैसे- यादवों में शाकाहारी खाने की परंपरा रही हो, लेकिन यहां शक्ति की उपासना करने वाले बिहारी ब्राह्मणों में भी मांसाहार खाने का चलन है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल की सीमा से लगे मिथिला क्षेत्र के रहने वाले मैथिली ब्राह्मण न केवल मांस और मछली खाते हैं, बल्कि इसे बेहतरीन तरीके से बनाना भी जानते हैं.

बिहार के लोग दावा करते हैं कि जिसे बकरे को खासतौर पर घास खिलाया जाता है वो सबसे अच्छे होते हैं. पटना में, रविवार को मटन की दुकानों के बाहर अभी भी कतारें देखी जा सकती हैं. राज्य भर में बिहारी मटन तैयार करने की अपनी खास शैली के लिए ढाबे भी मशहूर हैं.

Bihari Mutton

बिहारियों को क्यों पसंद है मटन?5 बड़ी वजह

  1. बिहारियों को मटन क्यों पसंद है, इसके पीछे कई कारण गिनाए जाते हैं. पहला, बिहार में बकरे आसानी से उपलब्ध हैं और यहां के लोग चिकन के मुकाबले मटन को ज्यादा हेल्दी और टेस्टी मानते हैं. यह यहां की मेहमाननवाजी का हिस्सा है और छोटे-बड़े आयोजनों में इसे मेहमान के सामने परोसने की परंपरा रही है.
  2. दूसरी वजह है, इसका खास तरह का स्वाद. बिहारी मटन को मसालों, सरसों के तेल, लहसुन, तेजपत्ता से मिलने वाले स्वाद और खुशबू के लिए भी जाना जाता है. इसे धीमी आंच में पकाया जाता है ताकि मसालों का फ्लेवर गहराई तक पहुंचे. यह तरीका बिहारी मटन को खास बनाता है जिसका स्वाद जुबां को अच्छा लगता है.
  3. मटन का स्वाद बिहारियों को कितना पसंद है, यह इससे समझा जा सकता है कि जब भी घर पर मेहमाननवाजी करनी हो या फिर शादी का आयोजन ईद या होली जैसा त्योहार हो, मटन हर खास आयोजन के मेन्यु में शामिल होता है. नाॅन-वेज खाना वाला शख्स आयोजन में मटन को नजरंदाज नहीं कर पाता.
  4. बिहार में रहने वाले लोगों का इमोशन मटन से जुड़ा है. यहां रविवार के दिन खासतौर मटन बनाने की परंपरा रही है. ज्यादातर लोग इसे अपनी यादों के तौर पर भी देखते हैं और खाना पसंद करते हैं. पीढ़ियां दर पीढ़ियां यह चलन जारी है.
  5. बिहार के लोगों को उनकी बचपन की यादें ताजा करने वाला मटन उनका साथ दूसरे देशों सा शहरों में भी नहीं छोड़ता है. घर से दूर रहते हुए भी घर के मटन की रेसिपी से वही स्वाद चखने की कोशिश करते हैं.

मटन बनाने का बिहारी तरीका पॉपुलर

कुछ समय पहले चंपारण का मटन तैयार करने का एक तरीका काफी लोकप्रिय हुआ है. मोटे मसाले के पेस्ट, सरसों के तेल, लहसुन, प्याज और अदरक की साबुत कलियों के साथ मैरीनेट किए गए मटन को कोयले की आग पर सीलबंद मिट्टी के बर्तनों में धीमी आंच पर पकाया जाता है.

मटन ताश चंपारण का एक और लोकप्रिय व्यंजन है. इसमें एक बड़े तवे पर धीमी आंच पर मैरीनेट किए हुए बिना हड्डी वाले मटन के टुकड़े तले जाते हैं. इस क्षेत्र में मटन बनाने की एक और मूल विधि है नून-पानी-मटन, जिसे बिना तेल डाले,फैट में पकाया जाता है और इसमें बहुत कम मसाले मिलाए जाते हैं.

यह भी पढ़ें:अंग्रेजों ने दुनिया के किस देश से क्या-क्या लूटा? चर्चा में PM मोदी का ब्रिटेन दौरा

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया