होम देश Supreme Court said no one can occupy official residence indefinitely Ex CJI Chandrachud Case सरकारी आवास हमेशा के लिए नहीं रख सकते, SC ने पूर्व MLA को लताड़ा; चंद्रचूड़ तक से मांग लिया बंगला, India News in Hindi

Supreme Court said no one can occupy official residence indefinitely Ex CJI Chandrachud Case सरकारी आवास हमेशा के लिए नहीं रख सकते, SC ने पूर्व MLA को लताड़ा; चंद्रचूड़ तक से मांग लिया बंगला, India News in Hindi

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बिहार के एक पूर्व विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 21 लाख रुपये के दंडात्मक किराए को चुनौती दी थी। यह किराया उनके द्वारा विधायक पद छोड़ने के बाद दो साल तक एक सरकारी बंगले में रहने के लिए लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी आवास को अनिश्चितकाल तक अपने कब्जे में नहीं रख सकता। कोर्ट ने इस संदर्भ में बिहार के एक पूर्व विधायक को राहत देने से इनकार कर दिया। सरकारी आवास को लेकर यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब शीर्ष अदालत ने अपने ही पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ के आधिकारिक आवास को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की थी।

क्या है बिहार के पूर्व विधायक का मामला?

अदालत ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने पटना के टेलर रोड स्थित सरकारी बंगले में दो साल तक अवैध रूप से रहने के एवज में 21 लाख रुपये का पेनल रेंट भरने से राहत मांगी थी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजनिया की पीठ के समक्ष अविनाश कुमार सिंह पेश हुए। सिंह ने अप्रैल 2014 से मई 2016 तक सरकारी बंगले में बने रहने के बाद मिले 21 लाख रुपये के किराए के नोटिस को ‘अवैध और भारी भरकम’ बताया।

पूर्व विधायक का तर्क था कि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद ‘राज्य विधानमंडल शोध एवं प्रशिक्षण ब्यूरो’ में नामांकन पाया था और 2009 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार इस ब्यूरो के सदस्यों को विधायक स्तर की सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिसमें सरकारी आवास भी शामिल है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा, “एक बार जब आप विधायक पद से इस्तीफा दे चुके थे, तब तय समयसीमा के भीतर आपको सरकारी आवास खाली कर देना चाहिए था। कोई भी व्यक्ति अनिश्चितकाल तक सरकारी बंगला अपने पास नहीं रख सकता।”

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर अडिग

सिंह के वकील अनिल मिश्रा ने अदालत से आग्रह किया कि दो वर्षों के लिए 21 लाख रुपये का किराया अत्यधिक है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच अपने रुख पर अडिग रही, जिसके बाद याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेनी पड़ी और उन्हें कानून के तहत अन्य उपलब्ध उपाय अपनाने की अनुमति दी गई। बता दें कि सिंह पांच बार ढाका विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से इस्तीफा दिया था, परंतु चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें उक्त ब्यूरो में नामित किया गया।

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि 2009 की अधिसूचना उन्हें उसी सरकारी बंगले में रहने की अनुमति नहीं देती। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था, “यह अधिसूचना केवल सामान्य सुविधाएं प्रदान करती है, पूर्व विधायक को उसी पूर्व आवंटित आवास में बने रहने का अधिकार नहीं देती।”

हाईकोर्ट ने सिंह को 21 लाख रुपये के किराये पर 6% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ‘लोक प्रहरी’ और ‘एस डी बंदी’ मामलों में पहले ही यह निर्णय दे रखा है कि सार्वजनिक हस्तियां अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अनाधिकृत रूप से सरकारी बंगलों पर कब्जा नहीं कर सकतीं और सरकारों को ऐसे मामलों में तत्काल बेदखली की कार्रवाई करनी चाहिए।

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क्या है पूर्व CJI चंद्रचूड़ का मामला?

आठ नवंबर, 2024 को रिटायर हुए चंद्रचूड़ कथित रूप से आधिकारिक सरकारी बंगले में लंबे समय से रह रहे थे। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने एक जुलाई 2025 को केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सीजेआई बंगले में अनुमति प्राप्त अवधि से अधिक समय तक रहे हैं और उसने संपत्ति खाली कराने की मांग की थी। सूत्रों ने बताया कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को भेजे गए पत्र में सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने कहा है कि भारत के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश के लिए निर्धारित आवास को न्यायालय के ‘आवास पूल’ में वापस कर दिया जाना चाहिए।

पत्र में मंत्रालय के सचिव से बिना किसी देरी के पूर्व प्रधान न्यायाधीश से बंगले का कब्जा लेने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि न केवल आवास को अपने पास रखने के लिए उन्हें दी गई अनुमति प्राप्त अवधि 31 मई को समाप्त हो गई, बल्कि 2022 के नियमों के तहत इससे आगे की अवधि तक रहने की निर्धारित छह महीने की समय सीमा मई में ही समाप्त हो गई। सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत, भारत के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए टाइप सात बंगला (5, कृष्ण मेनन मार्ग बंगले से एक स्तर नीचे का) अपने पास रख सकते हैं।

क्या बोले चंद्रचूड़?

सरकारी आवास पर निर्धारित समय से अधिक वक्त तक रहने को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि सामान बांध लिया गया है और वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ जल्द ही किराये पर सरकारी आवास में चले जाएंगे। चंद्रचूड़, उनकी पत्नी कल्पना और बेटियां प्रियंका व माही पांच कृष्ण मेनन मार्ग, नयी दिल्ली स्थित प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के आधिकारिक आवास में रह रहे हैं। प्रियंका और माही दोनों दिव्यांग हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बंगले में निर्धारित समय से अधिक वक्त तक रहने के कारणों को विस्तार से बताते हुए कहा, “हमने वास्तव में अपना सामान बांध लिया है। हमारा सामान पहले ही पूरी तरह बांधा जा चुका है। कुछ सामान पहले ही नए घर में भेज दिया गया है और कुछ यहां भंडार कक्ष में रखा हुआ है।” पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने विवाद पर दुख जताया और अपनी बेटियों की चिकित्सा स्थिति का हवाला दिया, जिन्हें !‘व्हीलचेयर’ अनुकूल घर की आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा, “मैं आपको नहीं बताऊंगा कि मैं कैसा महसूस करता हूं, लेकिन आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं इसके बारे में कैसा महसूस करता हूं… एक बात जो मैं बताना चाहता हूं वह यह है कि हम दो बच्चों, प्रियंका और माही, के माता-पिता हैं। वे विशेष बच्चे हैं और उनकी विशेष ज़रूरतें हैं। उन्हें ‘नेमालाइन मायोपैथी’ नामक एक बीमारी है… और आप जानते हैं, यह एक बहुत ही दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों को प्रभावित करता है।” उन्होंने आगे कहा, “यहां तक ​​कि घर पर भी हम स्वच्छता और सफाई का उच्च स्तर बनाए रखते हैं और हमारे पास एक बहुत ही विशेषज्ञ नर्स है जो उनकी देखभाल करती है। तो अब यह शायद कुछ दिनों की बात है, या कुछ दिनों की नहीं, बल्कि शायद ज्यादा से ज्यादा कुछ हफ्तों की। जैसे ही वे मुझे बताएंगे कि घर रहने के लिए तैयार है, मैं वहां चला जाऊंगा।”

चंद्रचूड़ ने बेटियों के स्वास्थ्य का किया जिक्र

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याद किया कि उनकी बड़ी बेटी प्रियंका 2021 में और जनवरी 2022 में पीजीआई चंडीगढ़ में 44 दिनों तक गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रही थी। उन्होंने कहा, “और आप जानते हैं, जब हम शिमला में छुट्टियां मना रहे थे, तो उसे कुछ परेशानी हुई थी, और अब उसे ट्रैकियोस्टोमी ट्यूब (सांस लेने में मदद के लिये) लगायी गयी है…।” पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि उनकी बेटी का दर्द और बोलने में सहायता संबंधी उपचार किया जा रहा है और इसके अलावा नियमित छाती, श्वसन और तंत्रिका संबंधी चिकित्सा उपचार के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि एक बच्ची को निगलने में कठिनाई होती थी, और बहु-विषयक दल दैनिक आधार पर उनके दोनों बच्चों की देखभाल करता है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एन.वी. रमण तथा शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें भी अपने आधिकारिक आवासों में रहने के लिए समय विस्तार दिया गया था। पूर्व प्रधान न्यायाधीश यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी बेटियां धूल, एलर्जी या किसी भी प्रकार के संक्रमण के संपर्क में न आएं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह ‘पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसे सरकार द्वारा आवास आवंटित किया गया’ है। उन्होंने दावा किया कि समय विस्तार भारत के प्रधान न्यायाधीश के विवेक पर निर्भर है।

घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना से बात की थी, जो उनके उत्तराधिकारी बने थे, और उन्हें बताया था कि उन्हें 14, तुगलक रोड स्थित बंगले में लौटना है, जहां वह प्रधान न्यायाधीश बनने से पहले रहते थे। न्यायमूर्ति खन्ना ने हालांकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को प्रधान न्यायाधीश के बंगले में ही रहने को कहा, क्योंकि न्यायमूर्ति खन्ना आधिकारिक आवास में नहीं रहना चाहते थे।

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