तेज प्रताप यादव अक्सर लालू यादव का अंदाज दिखाते हुए अपनी तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर करते हैं.
तेज प्रताप यादव की सियासी अनिश्चितता

पिता लालू यादव से हमेशा भावुक तौर पर हमेशा जुड़े रहे तेज प्रताप यादव का सामाजिक और सिायासी तौर पर कठिन दौर.
तेज प्रताप की सोशल मीडिया में सक्रियता
राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप की यह अनिश्चितता उनकी सियासी रणनीति की कमी को बताती है. ‘टीम तेज प्रताप’ फेसबुक पेज पर समर्थकों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन यह उत्साह अभी संगठित राजनीतिक ताकत में तब्दील नहीं हुआ है. तेज प्रताप की सोशल मीडिया उपस्थिति को देखें तो उनके पुराने फेसबुक पेज (Tej Pratap Yadav) के 23 जुलाई 2025 तक लगभग 5,69,511 लाइक्स और 8,514 लोग बात कर रहे हैं. इस पर उनके 7 लाख से अधिक फॉलोअसर्स हैं. यह पेज उनके निजी प्रोफाइल से जुड़ा है न कि ‘टीम तेज प्रताप’ से. वहीं, उनके इंस्टाग्राम पर 6 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं और उनके ‘L-R Vlog’ फेसबुक पेज पर 15 हजार फॉलोअर्स हैं, जबकि ‘L-R Vlog’ यूट्यूब चैनल पर 1 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं. ‘टीम तेज प्रताप’ पेज की तुलना में ये आंकड़े उनकी व्यापक लोकप्रियता दिखाते हैं, लेकिन तेज प्रताप यादव का नया फेसबुक पेज अभी शुरुआती दौर में है. इस पर न तो अधिक फॉलओर्स हैं और न ही ज्यादा लाइक ही मिल रहे हैं.
परिवार से निष्कासन और सियासी असमंजस

अपने आवास पर प्राय: जनता दरबार लगाकर उसकी तस्वीरें शेयर कर अपनी राजनीति सक्रियता दर्शाने का प्रयासत करते हैं तेज प्रताप यादव.
तेज प्रताप यादव की रणनीति पर उठते सवाल
दरअसल, कुछ जानकारों का मानना है कि उनकी नई पार्टी अगर बनी तो आरजेडी के परंपरागत वोटबैंक में सेंध लगा सकती है जिसका फायदा एनडीए को मिल सकता है. लेकिन बिना संगठनात्मक ढांचे और स्पष्ट रणनीति के यह संभावना कमजोर दिखती है. खास बात यह है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव की तुलना में उनकी सियासी समझ और संगठनात्मक क्षमता कमजोर मानी जाती है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी का मजबूत वोटबैंक और संगठनात्मक ढांचा तेज प्रताप के लिए चुनौती है, क्योंकि उनकी नई पहल अभी तक एक ठोस राजनीतिक मंच में तब्दील नहीं हुई है. राजनीति के जानकारों की नजर में लालू परिवार से दूरी और उनकी अनिश्चित रणनीति उनकी सियासी राह को धुंधला कर रही है. अगर तेज प्रताप 2025 के चुनाव से पहले ठोस कदम उठाते हैं तो उनकी प्रासंगिकता बढ़ सकती है, अन्यथा लालू यादव और तेजस्वी यादव की छाया में उनकी सियासी पहचान सीमित रह सकती है.