मालदीव के राष्ट्रपति मो. मुइज्जू और पीएम नरेंद्र मोदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रिटेन और मालदीव की महत्वपूर्ण यात्रा के लिए रवाना हो रहे हैं. यह दौरा न सिर्फ भारत की वैश्विक रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा, बल्कि खासतौर से मालदीव में एक ऐसा कूटनीतिक संदेश देगा, जिसे मिशन मालदीव के नाम से याद किया जाएगा.खास बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में राजकीय यात्रा पर जाने वाले पहले विदेशी नेता बनेंगे. पीएम मोदी मालदीव के 60 वें स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भी शिरकत करेंगे.
मालदीव और भारत की दोस्ती दक्षिण एशिया की सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारियों में से एक मानी जाती है. दो साल पहले इस रिश्ते में एक खटास का दौर शुरू हुआ. ऐसा करने वाले थे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू , जिन्होंने देश की सत्ता हासिल करने के लिए ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था, उस समय तमाम एक्सपर्ट का ये मानना था कि नई दिल्ली ने अपने सबसे करीबी समुद्री साझेदार को खो दिया. कोई इसे भारत के लिए झटका बता रहा था तो कोई साझेदारी के भविष्य को लेकर चिंता जता रहा था, मगर हुआ इससे उलट, पीएम मोदी की कूटनीति और Soft Diplomacy की बदौलत भारत ने मालदीव के नए नेतृत्व को भारत के महत्व और भरोसे का एहसास कराया. डॉ. मोइज़्ज़ु ने भी यह महसूस किया की चीन की तुलना में भारत न सिर्फ अधिक भरोसेमंद है बल्कि संकट की घड़ी में सच्चा सहयोगी भी है.
भारत ने कैसे बदला समीकरण?
- आर्थिक सहायता: भारत ने 2024 में मालदीव को 400 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद एवं 3,000 करोड़ रुपये की करेंसी स्वैप सुविधा दी.
- डिफेन्स सहयोग: भारत ने नौसैनिक उपकरण, ट्रेनिंग और विमानों की सेवा बरकरार रखी.
- विकास में सहयेाग : 2025 में भारत ने मालदीव के लिए MVR 100 मिलियन की सहायता से फेरी सेवा का विस्तार किया.
- राजनीतिक संवाद: जनवरी और मई 2025 में नई दिल्ली और माले में High-Level Core Group (HLCG) की बैठकें हुईं.
ये मोदी की तीसरी मालदीव यात्रा
पीएम मोदी तीसरी बार मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं, वह सबसे पहले 2018 में राष्ट्रपति सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे. इसके बाद 2019 में पीएम मोदी ने मालदीव की द्विपक्षीय यात्रा की थी. अब पीएम मोदी राष्ट्रपति मुइज्जू के आमंत्रण पर मालदीव जा रहे हैं, वे वहां मालदीव की स्वतंत्रता की 60 वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे.
भारत -मालदीव के बीच संबंध
राष्ट्रपति मोइज्जू ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने कार्यकाल में पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के रूप में आमंत्रित किया जो दर्शाता है कि अब भारत और मालदीव के रिश्ते कितने मजबूत हैं. इससे पहले अक्टूबर 2024 में मुइज्जू की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों में Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership की घोषणा हुई. इसी साल की शुरुआत में दोनों देशेां के बीच 13 नए एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, इसमें ferry services के विस्तार का ऐलान किया गया है. मालदीव की ओर से रक्षा और समुद्री सहयोग के लिए भारत को सबसे भरोसेमंद साझीदार माना गया है. दोनों देशों के बीच पिछले साल व्यापार भी तकरीबन 548 मिलियन डॉलर से ज्यादा का हुआ है.
पीएम मोदी की यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण
1. भारत-मालदीव संबंधों में स्थायित्व और भरोसे की पुनर्स्थापना.
2. राष्ट्रपति मोइज़्ज़ु द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को सार्वजनिक मंच से मुख्य अतिथि के रूप में बुलाना भारत की रणनीतिक जीत.
3. चीन को यह संदेश कि दक्षिण एशिया में भारत की कूटनीति अब भी प्रभावी और निर्णायक है.
शांति से लिखी गई एक कूटनीतिक विजय की पटकथा
मिशन मालदीव सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि वह रणनीतिक संवाद है जिसमें बिना शोर किए भारत ने मालदीव को वापस अपनी सामरिक परिधि में लाया. प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इस बात की पुष्टि करती है कि भारत अभी भी इस क्षेत्र की कूटनीतिक धुरी है और यह धुरी मजबूती से घूम रही है.