होम देश World is Facing many problems Bharatiyata is only solution says RSS chief Mohan Bhagwat पश्चिम पूरी तरह विफल, भारतीयता ही विश्व की सभी समस्याओं का समाधान: मोहन भागवत, India News in Hindi

World is Facing many problems Bharatiyata is only solution says RSS chief Mohan Bhagwat पश्चिम पूरी तरह विफल, भारतीयता ही विश्व की सभी समस्याओं का समाधान: मोहन भागवत, India News in Hindi

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दुनिया में विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों ने विलासिता की चीजें ला दीं। इससे लोगों का जीवन आसान तो हुआ, लेकिन दुखों का अंत नहीं हुआ। अब पूरी दुनिया जीवन में खुशी और संतोष के लिए भारत की तरफ देख रही है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 23 July 2025 10:30 AM

दुनिया में विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों ने विलासिता की चीजें ला दीं। इससे लोगों का जीवन आसान तो हुआ, लेकिन दुखों का अंत नहीं हुआ। अब पूरी दुनिया जीवन में खुशी और संतोष के लिए भारत की तरफ देख रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को यह बातें कहीं। उन्होंने लोगों से भारतीयता को आत्मसात करने और दुनिया को उन सभी समस्याओं का समाधान दिखाने का आह्वान किया, जिनका वह सामना कर रही है। भागवत ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भौतिकवाद के चलते विश्व अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है। अब वह इनके उत्तर के लिए भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने कहाकि पिछले 2,000 साल में लोगों के जीवन में खुशी और संतोष लाने के लिए पश्चिमी विचारों पर आधारित सभी प्रयास विफल हो गए हैं।

बढ़ रही गरीब और अमीर के बीच की खाई
इग्नू और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में भागवत ने कहा, ‘शोषण बढ़ा, गरीबी बढ़ी। गरीब और अमीर के बीच की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।’ उन्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति की वकालत करते हुए कई किताबें लिखी गईं, भविष्य में फिर से युद्ध न हो, इसके लिए राष्ट्र संघ का गठन किया गया, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ। लेकिन आज हम सोच रहे हैं कि क्या तीसरा विश्व युद्ध होगा। भागवत ने कहा कि भारतीयता ही आज दुनिया के सामने मौजूद सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

सोच भी बदलनी होगी
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत का होने का क्या अर्थ है? भारतीयता नागरिकता नहीं है। बेशक, नागरिकता आवश्यक है। लेकिन, भारत का हिस्सा बनने के लिए भारत का स्वभाव होना जरूरी है। भारत का स्वभाव पूरे जीवन के बारे में सोचता है। हिंदू दर्शन में चार पुरुषार्थ हैं…मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य है। इसी धर्म के अनुशासन के कारण भारत कभी सबसे समृद्ध राष्ट्र था और दुनिया इसे जानती है। मोहन भागवत ने कहा कि इसलिए दुनिया भारत की ओर देखती है और उम्मीद करती है कि यह उन्हें एक नया रास्ता दिखाएगा। हमें दुनिया को रास्ता दिखाना होगा। इसके लिए हमें अपना ‘राष्ट्र’ तैयार करना होगा, जिसकी शुरुआत खुद से और अपने परिवार से होगी।

परिवर्तन के लिए रहें तैयार
उपस्थित लोगों से परिवर्तन के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए भागवत ने कहा, ‘हम जो इतिहास जानते हैं, वह पश्चिम द्वारा पढ़ाया जाता है। मैं सुन रहा हूं कि हमारे देश के पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं।’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पश्चिमी देशों के लिए, भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। यह विश्व मानचित्र पर तो दिखाई देता है, लेकिन उनके विचारों में नहीं। अगर आप किताबों में देखेंगे, तो आपको चीन और जापान ही मिलेंगे, भारत नहीं।

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