होम देश Apologise to husband and his family court orders IPS wife and grants divorce पति और उसके परिवार से माफी मांगो, IPS पत्नी को अदालत का आदेश और तलाक की मंजूरी, India News in Hindi

Apologise to husband and his family court orders IPS wife and grants divorce पति और उसके परिवार से माफी मांगो, IPS पत्नी को अदालत का आदेश और तलाक की मंजूरी, India News in Hindi

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सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्ति का उपयोग करते हुए आईपीएस महिला अधिकारी और उनके पति के बीच विवाद खत्म करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तलाक की अनुमति दे दी।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानTue, 22 July 2025 10:33 PM

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की एक महिला अधिकारी और उनके अलग रह रहे पति को तलाक लेने की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने उनके द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर कई दीवानी और आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने महिला IPS अधिकारी और उनके माता-पिता को अलग रह रहे पति के परिवार से बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया है।

पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 2015 में हुई शादी के 2018 में टूट जाने के बाद उनके बीच लंबी कानूनी लड़ाई का अंत करने का आदेश दिया। आर्टिकल 142 के तहत शीर्ष अदालत को अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ के लिए आवश्यक कोई भी आदेश जारी करने का अधिकार देता है।

पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर किया कि वे बेटी की अभिरक्षा के मामलों सहित सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहते हैं और भविष्य में किसी भी मुकदमेबाजी से बचने एवं शांति बनाए रखने के लिए सभी लंबित मामलों का निपटारा करना चाहते हैं। बेटी की अभिरक्षा के मुद्दे पर पीठ ने कहा, ‘बच्ची की अभिरक्षा मां के पास होगी। पिता… और उसके परिवार को पहले तीन महीनों तक बच्ची से मिलने का निगरानी में अधिकार होगा और उसके बाद बच्ची की सुविधा और भलाई के आधार पर… हर महीने के पहले रविवार को सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक बच्ची के शिक्षण स्थल पर, या स्कूल के नियमों और विनियमों के तहत अनुमति के अनुसार, मुलाकात की जा सकेगी।’

पीठ ने इस तथ्य पर भी विचार किया कि महिला स्वेच्छा से पति से किसी भी प्रकार के गुजारा भत्ते के अपने दावे को छोड़ने के लिए सहमत हो गई है। परिणामस्वरूप पीठ ने पत्नी को प्रति माह 1.5 लाख रुपये का भरण-पोषण देने के हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘दोनों पक्षों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई को समाप्त करने और पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए, दोनों पक्ष द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर सभी लंबित आपराधिक और दीवानी मुकदमे (जिनमें पत्नी, पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारत में किसी भी अदालत या फोरम में दायर मुकदमे शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं, जैसा कि उल्लिखित है, को एतद्द्वारा रद्द और/या वापस लिया जाता है।’

पीठ ने तीसरे पक्ष द्वारा उनके खिलाफ दायर उन मामलों को भी रद्द कर दिया, जिनके बारे में दोनों पक्षों को जानकारी नहीं थी। इसने इस तथ्य पर विचार किया कि आईपीएस पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण पति और उसके पिता जेल में हैं। पीठ ने महिला अधिकारी और उनके माता-पिता को उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा। माफीनामा एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी और हिंदी दैनिक के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया। पीठ ने महिला अधिकारी को निर्देश दिया कि वह आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने पद और शक्ति का प्रयोग कभी अपने पूर्व पति के खिलाफ ना करें।

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