बिहार में परिवारवाद का नया अध्याय!
निशांत बनाम तेजस्वी में मुख्य मुकाबला?
बता दें कि निशांत कुमार की राजनीतिक एंट्री की चर्चा पहले से है और राबड़ी का बयान इसे और आगे बढ़ा सकता है. अगर निशांत सीएम बनते हैं तो बिहार में सियासी समीकरण बदल जाएंगे. तेजस्वी याद पहले से ही युवा चेहरा के रूप में उभर रहे हैं और निशांत कुमार के साथ मुख्य राजनीतिक मुकाबले में होंगे. चिराग पासवान का जनाधार सीमित है, और अगर निशांत आते हैं तो नीतीश कुमार के वोट बैंक से सीधा लाभ वही ले जाएंगे. ऐसे में चिराग पासवान के सियासी दायरे (वोट बैंक) के विस्तार के प्रयास को झटका लग सकता है.
तेजस्वी यादव की राह आसान होगी!
राजनीतिक लाभ हैं तो कुछ जोखिम भी!
राबड़ी के बयान का लालू परिवार के लिए बड़ा फायदा यह होगा कि नीतीश को परिवारवाद के आरोप से मुक्त कर वे खुद को बचाएंगे. अगर निशांत सीएम बनते हैं तो लालू परिवार नीतीश को धन्यवाद दे सकता है, क्योंकि यह उनके लिए नैरेटिव की जंग जीतने जैसा होगा. लेकिन इसके साथ जोखिम भी है. अगर निशांत की एंट्री से जदयू मजबूत होता है तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है जो नीतीश के गठबंधन में अहम है. दूसरी ओर, तेजस्वी को निशांत से मुकाबला करना होगा जो उनकी तैयारियों को परखेगा. राबड़ी देवी का यह कदम 2025 के चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भी हो सकती है, लेकिन सफलता इस पर निर्भर करेगी कि नीतीश इस सलाह को कैसे लेते हैं.
CM नीतीश की चुप्पी और निशांत का भविष्य?
बिहार की राजनीति में यह नया मोड़ आने वाला है?
राबड़ी देवी का निशांत को सीएम बनाने का बयान सीधे तौर पर नीतीश सरकार पर निशाना, तंज या व्यंग्य कह लीजिये, लेकिन इसकी गहराई में सियासी मास्टरस्ट्रोक है जो तेजस्वी यादव की राह आसान करेगा और लालू परिवार को एक साथ कई सवालों से छुटकारा दिलादेगा. यह नीतीश कुमार को भी परिवारवाद के दायरे में लाकर लालू परिवार को बचाने की बड़ी कोशिश है जो तेजस्वी-निशांत के बीच मुख्य मुकाबले के तौर पर तय कर सकता है. वहीं, चिराग पासवान का प्रभाव कमजोर हो सकता है. बहरहाल 2025 का बिहारविधानसभा चुनाव इस रणनीति की परख होगी.बहरहाल, बिहार की सियासत में यह नया मोड़ आता है या नहीं यह आने वाले दिनों में और साफ होगा.