ईरान ने अपना स्वदेशी डिफेंस सिस्टम तैनात किया है
ईरान ने ध्वस्त पड़े अपने एयर डिफेंस सिस्टम में जान फूंकने के लिए बावर-373 को शामिल किया है. ईरान का दावा है कि यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 और अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम से काफी मजबूत है. ईरान ने इसे 2016 में बनाया था, जिसका अनावरण 2024 में किया था.
इजराइल से हाल ही में हुए जंग में ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से तितर-बितर हो गया था. जंग के दौरान इजराइली जेट आसानी से ईरान के आसमान में उड़ रहे थे. इजराइल ने जहां राजधानी तेहरान सहित कई बड़े शहरों पर मिसाइलें दागीं, वहीं अमेरिका ने बॉम्बर भेजकर ईरान के 3 शहरों पर बी-2 बम गिराए.
बावर-373 की ही तैनाती क्यों?
इजराइल जंग से पहले ईरान ने रूस का एयर डिफेंस सिस्टम एस-300 की तैनाती कर रखा था. जंग में एस-300 फुस्स साबित हुआ. एस-300 की नाकामी की जब चर्चा शुरू हुई, तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़ा बयान दे दिया.
पुतिन ने कहा कि अगर ईरान एस-400 खरीदता, तो उसे फायदा होता. हमने उसे इसकी सलाह दी थी, लेकिन ईरान की सरकार ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. पुतिन का कहना था कि एस-400 से ही ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को बचाया जा सकता था.
जंग खत्म होने के बाद ईरान ने अपना बावर-373 तैनात करने का फैसला किया है. हालांकि, ईरान ने प्रयोग के तौर पर इसे पहले भी तैनात किया था, लेकिन कुछ जगहों पर ही. ईरान के मुताबिक यह एस-400 के बराबर ही है.
बावर-373 की मजबूती क्या है?
बावर-373 एक स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है. बावर का मतलब होता है- विश्वास. इसमें तैनात मिसाइलें हवा से हवा में मार करने में सक्षम है. यह 300 किमी तक मार करने में भी सक्षम है. इजराइल से जंग के दौरान ईरान ने दावा किया कि उसने बावर-373 का इस्तेमाल कर इजराइल का एफ-35 मार गिराया. हालांकि, ईरान ने इसके सबूत कभी पेश नहीं किए.
ईरान ने बावर-373 की तैनाती ऐसे वक्त में की है, जब अमेरिका ने अगस्त 2025 के आखिर तक उसे समझौता करने का डेडलाइन दे रखा है. अमेरिका का कहना है कि अगस्त 2025 तक अगर ईरान समझौता नहीं करता है तो उस पर कार्रवाई होगी.