मानसून सत्र के पहले ही दिन सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणाें से इस्तीफा दिया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन अचानक इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे की पहली लाइन में अपने स्वास्थ्य को मुख्य कारण बताया है. वे पहले दिन राज्यसभा के सभापति के रूप में संसद में मौजूद थे. इस्तीफे की जानकारी देर शाम सार्वजनिक हुई. उन्होंने अपने इस्तीफे में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) का उल्लेख भी किया है. जिसके तहत उन्होंने इस्तीफा दिया है. उन्होंने इस्तीफे का पत्र राष्ट्रपति को संबोधित किया है.
इस्तीफे की असली वजह स्वास्थ्य हो या राजनीति पर, कुछ जरूरी सवाल जरूर उठते हैं, जिनका जवाब सबको जानना चाहिए. जानिए, उपराष्ट्रपति का काम क्याहै, उनके इस्तीफे की प्रक्रिया क्या है, इस्तीफे के बाद कौन जिम्मेदारी संभालेगा, अनुच्छेद 67(ए) क्या है और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य क्या हैं.
उपराष्ट्रपति का पद क्यों जरूरी?
भारत के संवैधानिक ढांचे में उपराष्ट्रपति का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है. उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, बल्कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या असमर्थता की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति का दायित्व भी निभाते हैं. सदन में अनुशासन बनाए रखना, सदस्यों को बोलने की अनुमति देना और बहस को नियंत्रित करना, इनकी जिम्मेदारी का हिस्सा होता है. अगर कोई विधेयक या प्रस्ताव असंवैधानिक हो, तो उसे रोकने की पावर होती है.
राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफा, बर्खास्तगी, या विदेश यात्रा पर होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं. ऐसी स्थिति में वो राष्ट्रपति के अधिकारों और जिम्मेदारियों का पालन करते हैं. ऐसे में अचानक इस्तीफा एक महत्वपूर्ण पद को रिक्त करता है. व्यवस्था के तहत अगर राष्ट्रपति इस्तीफा मंजूर करते हैं तो भारत निर्वाचन आयोग को छह महीने के भीतर उप राष्ट्रपति का चुनाव करवाना पड़ेगा. यह प्रॉसेस राष्ट्रपति के चुनाव की तरह ही होता है.
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार, उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. यह इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित किया जाता है. संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अनुच्छेद 67(ए) के तहत उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को लिखित रूप में अपना त्यागपत्र देकर दे सकते हैं. जैसा कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति को पत्र लिखा भी है. जबकि उनका कार्यकाल अभी लगभग दो साल बचा हुआ है. जैसे ही राष्ट्रपति उस इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं, उपराष्ट्रपति का पद रिक्त घोषित कर दिया जाता है.
इस्तीफे के बाद कौन संभालेगा जिम्मेदारी?
जब उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो संविधान के अनुसार, राज्यसभा के उपसभापति को राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करनी होती है. उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद, नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक उपसभापति ही राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि इस्तीफा मंजूर होते ही वर्तमान उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सभापति के रूप में कार्य देखेंगे. संविधान में इससे आगे की प्रक्रिया भी दर्ज है. अगर उपसभापति का पद रिक्त हो या वे उपलब्ध न हों तो राज्यसभा अपने सदस्यों में से किसी अन्य सदस्य को सभापति नियुक्त कर सकती है, जो अस्थायी रूप से यह जिम्मेदारी निभाएगा.
नया उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने के छह महीने के भीतर नया चुनाव जाना आवश्यक है. चुनाव की प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव के समान ही होती है, जिसमें संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान करते हैं. चुनाव की अधिसूचना भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी की जाती है.
क्या है अनुच्छेद 67(ए)?
अनुच्छेद 67(a) उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है. इसके तहत निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं.
- इस्तीफा केवल राष्ट्रपति को ही दिया जा सकता है, किसी अन्य को नहीं.
- इस्तीफा लिखित रूप में होना चाहिए.
- इस्तीफा स्वीकार होते ही पद रिक्त हो जाता है.
- इस्तीफे के बाद, नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के उपसभापति कार्यवाहक सभापति बन जाते हैं.
- उपराष्ट्रपति के इस्तीफे से जुड़े कुछ अन्य जरूरी तथ्य
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन वे इस्तीफा देकर या अन्य कारणों से पद छोड़ सकते हैं.
- उपराष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से हटाया भी जा सकता है, लेकिन इस्तीफा स्वैच्छिक प्रक्रिया है.
- यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं. लेकिन यदि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया है, तो यह जिम्मेदारी मुख्य न्यायाधीश को मिलती है.
- अब तक भारत में उप राष्ट्रपति के रूप में वी.वी. गिरी ने इस्तीफा दिया था, जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ना था.
भारत के संविधान ने उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रक्रिया को पूरी तरह स्पष्ट और पारदर्शी बनाया है. अनुच्छेद 67(ए) के तहत उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति को लिखित इस्तीफा देना होता है. इस्तीफे के बाद, राज्यसभा के उपसभापति जिम्मेदारी संभालते हैं और छह महीने के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुना जाता है. यह व्यवस्था देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक मजबूती को दर्शाती है, जिससे सत्ता का हस्तांतरण सुचारू रूप से हो सके.
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