होम राजनीति Bihar Chunav 2025: विजय सिन्हा का बार-बार भड़क जाना और नीतीश कुमार की खामोशी बिहार में NDA की एकजुटता के ‘धागे’ खोल रही! तेजस्वी के लिए क्या हैं संकेत

Bihar Chunav 2025: विजय सिन्हा का बार-बार भड़क जाना और नीतीश कुमार की खामोशी बिहार में NDA की एकजुटता के ‘धागे’ खोल रही! तेजस्वी के लिए क्या हैं संकेत

द्वारा
पटना. बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन एनडीए विधायक दल की बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी नोकझोंक ने सियासी हलचल मचा दी. यह विवाद ग्रामीण कार्य विभाग के एक उद्घाटन समारोह में स्थानीय विधायक को न बुलाए जाने से शुरू हुआ. विजय सिन्हा ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि गठबंधन धर्म का पालन सभी सहयोगियों की जिम्मेदारी है न कि केवल बीजेपी की. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुपचाप बैठे रहे. जाहिर है इस तू तू मैं मैं ने सत्ताधारी गठबंधन के अंदर सबकुछ ठीक नहीं होने की बात को जगजाहिर किया.

दरअसल, बैठक में विजय सिन्हा ने लखीसराय के सूर्यगढ़ा से विधायक प्रहलाद यादव का मुद्दा भी उठाया. बता दें कि प्रहलाद यादव ने पिछले साल नीतीश सरकार के शक्ति परीक्षण में आरजेडी छोड़कर एनडीए का समर्थन किया था जिसमें विजय सिन्हा की अहम भूमिका थी. विजय सिन्हा ने जेडीयू के केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के उस बयान पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने प्रहलाद को अगले चुनाव में टिकट न देने की बात कही थी. विजय सिन्हा ने तर्क दिया कि प्रहलाद का समर्थन सरकार बनाने में निर्णायक था और इसकी जानकारी शीर्ष नेतृत्व को थी.

अशोक चौधरी का जवाब, बीजेपी की हूटिंग, तेजस्वी का तंज

बता दें कि ग्रामीण कार्य विभाग में ग्लोबल टेंडरिंग की प्रक्रिया भी विवाद का केंद्र रही. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू सहित कई विधायकों ने आरोप लगाया कि इससे स्थानीय ठेकेदारों और विधायकों की भूमिका कमजोर हो रही है जो आगामी चुनाव में नुकसानदायक हो सकता है. विजय सिन्हा ने अशोक चौधरी पर गठबंधन की अनदेखी का आरोप लगाया जिसके जवाब में अशोक चौधरी ने बचाव किया, लेकिन बीजेपी विधायकों ने हूटिंग कर अपना गुस्सा जाहिर किया.नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस झगड़े को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर तंज कसा. उन्होंने दावा किया कि जेडीयू ने ग्लोबल टेंडरिंग के जरिए बड़े ठेकेदारों को फायदा पहुंचाकर 1000 करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा है. तेजस्वी ने ‘हर घर नल का जल’ योजना में भी हजारों करोड़ की लूट का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल उठाए.

बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया.

बिहार की सियासत में नीतीश कुमार-विजय सिन्हा की अदावत!

बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब विजय सिन्हा और नीतीश कुमार की सरकार के बीच तनाव उजागर हुआ हो. पहले भी विधानसभा में विजय सिन्हा की नीतीश कुमार से तीखी बहस हो चुकी है जो बीजेपी-जेडीयू के बीच गठबंधन की नाजुक स्थिति को बताती है. इस बार तो नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी से डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की बहस हुई है, लेकिन बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और विजय कुमार सिन्हा के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते भी समय-समय पर सुर्खियों में रहे हैं. आइये एक नजर डालते हैं विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच सियासी अदावत और तनातनी पर.

लखीसराय सरस्वती पूजा मामला और संवैधानिक विवाद

14 मार्च 2022 को बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच लखीसराय जिले में सरस्वती पूजा के दौरान कोविड गाइडलाइंस के उल्लंघन के एक मामले को लेकर हुई थी. लखीसराय विजय सिन्हा का विधानसभा क्षेत्र है. यहां पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया था जिसे सिन्हा ने खानापूर्ति करार दिया. सिन्हा ने विधानसभा में इस मुद्दे को बार-बार उठाया और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. इस पर नीतीश कुमार ने इसे संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला विशेषाधिकार समिति और कोर्ट में है, इसलिए इसे सदन में बार-बार नहीं उठाना चाहिए. नीतीश ने सिन्हा को “संविधान देखने” की नसीहत दी और कहा कि “हम न किसी को फंसाते हैं और न बचाते हैं”.इस बहस के बाद विजय सिन्हा अगले दिन (15 मार्च) सदन में नहीं आए और उनकी जगह कार्यवाहक अध्यक्ष प्रेम कुमार ने कार्यवाही संभाली. बीजेपी के कुछ अन्य विधायकों ने नीतीश कुमार के व्यवहार की निंदा की और इसे अनुचित और अपमानजनक बताया. आरजेडी ने सिन्हा के समर्थन में काली पट्टी बांधकर विरोध किया था.

बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम पर जबरदस्त हंगामा

23 मार्च 2021, बिहार विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम 2021 पर विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया. विपक्ष ने इस बिल को दमनकारी बताते हुए विरोध किया, जिसके जवाब में पुलिस ने सदन के भीतर कार्रवाई की. सिन्हा उस समय विधानसभा अध्यक्ष थे. उन्होंने इस हंगामे को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन नीतीश सरकार ने इसे अनुचित माना. बाद में आचार समिति ने 12 विपक्षी विधायकों पर कार्रवाई की सिफारिश की. तब विजय सिन्हा ने इस मामले में नीतीश सरकार की कार्रवाई को अप्रत्यक्ष रूप से पक्षपातपूर्ण बताया जिससे दोनों के बीच तनाव बढ़ा. विजय सिन्हा ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे व्यक्तिगत हमले के रूप में लिया. इस घटना ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में विजय सिन्हा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और जेडीयू-बीजेपी के बीच गठबंधन की कमजोर कड़ी को उजागर किया.

विजय सिन्हा का स्पीकर पद से इस्तीफा और नीतीश का पत्र

अगस्त 2022 में जब नीतीश ने एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई तो विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. विजय सिन्हा ने इस्तीफा देने से पहले नीतीश कुमार के पत्र का हवाला दिया, जिसमें सदन की तारीखों को लेकर निर्देश थे. विजय सिन्हा ने इसे अप्रत्यक्ष दबाव माना और कहा कि वह पद पर रहते हुए बाहर कुछ नहीं बोलेंगे. इस दौरान नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच तनाव चरम पर था, क्योंकि विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार के फैसले को अनुचित बताया था. इसके बाद विजय सिन्हा ने 24 अगस्त 2022 को स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया जिससे विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच अंदरूनी खटास सार्वजनिक हो गई.

Bihar Chunav 2025 , Ashok Choudhary , Vijay Sinha , Bihar Politics , Bihar Latest News , बिहार न्यूज़ , विजय सिन्हा , अशोक चौधरी , बिहार चुनाव , बिहार समाचार
एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान विजय सिन्हा और अशोक चौधरी के बीच बहस की खबर सामने आ रही है.

नीतीश-विजय में अप्रत्यक्ष टकराव और सियासी बयानबाजी

2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में लौटने के बाद विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि, 26 दिसंबर 2024 को विजय सिन्हा ने अटल जयंती पर कहा कि “बिहार में बीजेपी की सरकार बनने तक अटल का सपना अधूरा है,”. उनके इस बयान को नीतीश कुमार के नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी माना गया. हालांकि, बाद में विजय सिन्हा ने नीतीश की कुमार की तारीफ कर अपने बयान को बैलेंस करने की कोशिश की. वहीं, अब 21 जुलाई को प्रहलाद यादव और ग्लोबल टेंडरिंग जैसे मुद्दों पर विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी पर गठबंधन धर्म की अनदेखी का आरोप लगाया. जाहिर है ऐसे विवादों और तल्ख बयानों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में तालमेल की कमी की बात को सतह पर ला दिया है. वहीं, तेजस्वी यादव ने इसे भ्रष्टाचार और आंतरिक कलह से जोड़कर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.

सियासी तकरार एनडीए की एकजुटता पर उठा रहा सवाल

राजनीति के जानकारों का कहना है कि विजय सिन्हा और नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों के बीच तनाव का मुख्य कारण एऩडीए गठबंधन में अंदरूनी खींचतान का नतीजा है.दरअसल, विजय सिन्हा बीजेपी के मजबूत नेता के रूप में अपने क्षेत्र और पार्टी हितों की प्राथमिकता पर रखते हैं, जबकि नीतीश कुमार जेडीयू के सर्वेसर्वा के रूप में गठबंधन में अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं. लखीसराय जैसे स्थानीय मुद्दों से लेकर टिकट बंटवारे और प्रशासनिक नीतियों तक में दोनों नेताओं के बीच विश्वास की कमी साफ दिखती है. विजय सिन्हा और अशोक चौधरी की तकरार में नीतीश कुमार चुप रहे, जाहिर है यह संकेत देती है कि नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच सीधा टकराव भले नहीं दिखता हो, लेकिन अप्रत्यक्ष तनाव बरकरार है. साफ है कि विधानसभा चुनाव से पहले यह तकरार एनडीए की एकजुटता पर सवाल उठा रही है. सवाल यह भी कि क्या यह विवाद गठबंधन को कमजोर करेगा या समय के साथ शांत होगा?

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया