होम देश What is a Bill of Lading Parliament Retires 169-Year-Old Law What Will Change क्या है बिल ऑफ लैडिंग, संसद ने 169 साल पुराने कानून को किया रिटायर, क्या-क्या बदलेगा, India News in Hindi

What is a Bill of Lading Parliament Retires 169-Year-Old Law What Will Change क्या है बिल ऑफ लैडिंग, संसद ने 169 साल पुराने कानून को किया रिटायर, क्या-क्या बदलेगा, India News in Hindi

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यह बिल समुद्री व्यापार में इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक दस्तावेज है। 169 साल पुराने औपनिवेशिक ‘इंडियन बिल ऑफ लैडिंग एक्ट’ बदलकर अब एक आधुनिक, सरल और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कानून का रूप लेगा।

Gaurav Kala एएनआई, नई दिल्लीMon, 21 July 2025 09:49 PM

संसद ने सोमवार को भारत के समुद्री व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘बिल ऑफ लैडिंग 2025’ बिल को राज्यसभा में पास कर दिया है। यह बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। यह 1856 में बना 169 साल पुराना औपनिवेशिक ‘इंडियन बिल ऑफ लैडिंग एक्ट’ बदलकर एक आधुनिक, सरल और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कानून पेश करेगा।

बिल ऑफ लैडिंग क्या है?

बिल ऑफ लैडिंग एक ऐसा दस्तावेज है, जो शिपिंग कंपनी द्वारा शिपर को दिया जाता है और यह माल के होने, उसके स्वामित्व तथा गंतव्य की जानकारी देता है। यह दस्तावेज समुद्री व्यापार में माल की आपूर्ति, रखरखाव और स्वामित्व के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। पुराने कानून में शब्दावली जटिल एवं अस्पष्ट थी, जिससे व्यापार में विवाद और कानूनी जटिलताएं बढ़ती थीं। भारत के समुद्री व्यापार के विस्तार व वैश्विक व्यापारिक परिवेश के अनुरूप इसे अपडेट करना आवश्यक था।

नए बिल में मुख्य बदलाव

समुद्री व्यापार के नियम अब साफ-सुथरे और सरल होंगे, जिससे सभी पक्षों के अधिकार और ज़िम्मेदारियां स्पष्ट हो जाएंगी। सरकार को नए नियम लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार मिलेगा। विदेशी और घरेलू व्यापार के लिए समान और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप व्यवस्था बनेगी। पुरानी औपनिवेशिक परंपराओं को हटाकर देश की जरूरतों के अनुरूप आधुनिक कानून बनाया जाएगा। विवाद और मुकदमों की संभावनाएं कम होंगी, जिससे व्यापार में आसानी और गति आएगी।

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क्या होगा असर?

भारत का समुद्री व्यापार सुचारू रूप से होगा और इज ऑफ डुइंग बिजनेस में सुधार होगा। वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी। भारत के व्यापारिक जहाजों और मालवाहक कंपनियों को कानूनी सुरक्षा और सुविधा मिलेगी।

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