Raghuram Rajan on RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि हाल के दिनों में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दरों में की गई कटौती कोई ‘जादुई की गोली’ नहीं है जो एकदम से निवेश को बढ़ावा दे।
Raghuram Rajan on RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि हाल के दिनों में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दरों में की गई कटौती कोई ‘जादुई की गोली’ नहीं है जो एकदम से निवेश को बढ़ावा दे। अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में कई अन्य कारक भी भूमिका निभाते हैं। राजन ने कहा कि इस समय ब्याज दर बहुत ज्यादा नहीं हैं और आरबीआई की कटौती का असर दिखने में समय लगेगा।
क्या बोले राजन
उन्होंने पीटीआई-वीडियो से बातचीत मे कहा, ‘‘… पहले उच्च ब्याज दर को लेकर एक तर्क था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब यह तर्क बना रह सकता है।’’ राजन ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती निवेश को बढ़ावा देने के लिए कोई जादुई गोली साबित होगी।’’ बता दें कि आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने छह जून को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.5 प्रतिशत की कटौती की। इससे फरवरी से लेकर अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती हो चुकी है। इसके अलावा, नीतिगत रुख को उदार से बदलकर न्यूट्रल कर दिया गया।
‘भारतीय उद्योग निवेश करते नहीं दिख रहे’
यह पूछे जाने पर कि क्या हाल में आरबीआई द्वारा रेपो दर में कटौती से कंपनियां अपनी निवेश योजनाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगी, जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘अधिक पारदर्शी चीजें और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक प्रतिस्पर्धा से उद्योग जगत अपने लाभ और नेतृत्व को बनाए रखने के लिए निवेश पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे नहीं लगता कि यह केवल ब्याज दर की बात है। मुझे लगता है कि इसके पीछे कई कारक हैं… लेकिन मुझे उम्मीद है कि आगे और अधिक कंपनियों के निवेश आएंगे।’’ राजन ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट से पहले हुए बड़े पैमाने पर निवेश के बाद से भारतीय उद्योग निवेश करते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वे (भारतीय उद्योग) बहुत ज्यादा सतर्क हो गए हैं और वे यह नहीं कह सकते कि घरेलू अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत है। पहले वे कहते थे कि निम्न मध्यम वर्ग खर्च नहीं कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्र खर्च नहीं कर रहा है।’’
शिकॉगो बूथ (शिकॉगो विश्विद्यालय) में वित्त के प्रोफेसर ने कहा, ‘‘बात अब पलट गई है। उच्च मध्यम वर्ग ही खर्च नहीं कर रहा है।’’ सांख्यिकी मंत्रालय के हाल के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भारत में निजी क्षेत्र के निवेश की हिस्सेदारी 11 साल के निचले स्तर पर आ गई है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले ब्याज दर को लेकर एक तर्क था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस तर्क का अब कोई मतलब है।’’ जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत पर आ गयी ऐसे में क्या आरबीआई के लिए नीतिगत दर में और कटौती की कोई गुंजाइश है, राजन ने कहा कि वह केंद्रीय बैंक की नीति पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है, हम बहुत ही संतोषजनक स्थिति में हैं। औद्योगिक देशों में आयात पर शुल्क, जो अमेरिका से दूसरे देशों में फैल सकते हैं, निर्यात करने वाले देशों के लिए महंगाई बढ़ाने वाले नहीं होते हैं।’’ राजन ने कहा कि वह सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति पर उतना ध्यान नहीं देंगे। हालांकि, आरबीआई सकल मुद्रास्फीति का ही लक्ष्य लेकर चलता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं ऐसे समय में मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति पर भी नजर रखूंगा, ताकि मैं खुद को आश्वस्त कर सकूं कि महंगाई में नरमी की स्थिति सभी स्तर पर है।’’ राजन ने कहा, ‘‘और अगर आप मुख्य मुद्रास्फीति पर गौर करें, तो यह कुल मुद्रास्फीति से कुछ अधिक है। हालांकि, यह संतोषजनक स्तर पर है।’’ राजन ने कहा, ‘‘आरबीआई की नीतिगत दर में कटौती के बाद प्रमुख ब्याज दर इस समय बहुत ज्यादा नहीं हैं और हमें यह देखने के लिए कुछ और समय इंतजार करना होगा कि आगे क्या होता है।’’