होम नॉलेज संसद का सत्र कितने दिन चलेगा, क्या होगी तारीख, कौन तय करता है? मानसून सेशन की हुई शुरुआत

संसद का सत्र कितने दिन चलेगा, क्या होगी तारीख, कौन तय करता है? मानसून सेशन की हुई शुरुआत

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21 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र 21 अगस्त तक चलेगा.

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है. सोमवार को इसकी शुरुआत पीएम मोदी के सम्बोधन से शुरू हुई. पीएम मोदी ने मानसून सत्र को एक विजयोत्सव बताया है. ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए पीएम ने कहा, भारतीय सेना अपने लक्ष्य को 100 फीसदी हासिल किया और आतंकियों के आकाओं के गढ़ को 22 मिनट में अंदर तबाह कर दिया.

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा. 32 दिन तक चलने वाले इस सत्र में 21 बैठकें होंगी. इस सत्र में सात लंबित विधेयकों को पारित करने के लिए लिस्ट किया गया है. जानिए, संसद में कितनी तरह के सत्र होते हैं, सेशन कितना लम्बा चलेगा, यह कौन तय करता है.

कितनी तरह के होते हैं सत्र?

भारतीय संसद में आमतौर पर तीन तरह के सत्र होते हैं. पहला है बजट सत्र. दूसरा, मानसून सत्र और तीसरा शीतकालीन सत्र. बजट सत्र फरवरी से मई तक चलता है. मानसून सत्र जुलाई से शुरू होकर सितम्बर तक चलता है. वहीं, शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है.

भारतीय संविधान में सत्रों की संख्या तय नहीं की गई है. हालांकि, दो सत्रों के बीच कितना गैप होना चाहिए, इसका जिक्र जरूर किया गया है. अनुच्छेद 85 कहता है कि पिछले और अगले सत्र के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए.

संसद के सत्रों की तारीख कौन तय करता है?

भारतीय संसद में सत्र की तारीख तय करने की प्रक्रिया कार्यपालिका और संविधान से जुड़ी है. राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, सत्र का निर्णय केंद्र सरकार की सलाह पर होता है. प्रधानमंत्री और कैबिनेट समिति सत्र की तारीखें तय करती है. यह समिति लोकसभा और राज्यसभा के सत्रों की जरूरत और समय पर निर्णय लेती है. यह तय करने के बाद राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी जाती है. राष्ट्रपति उस सलाह के आधार पर सत्र बुलाने का नोटिफिकेशन जारी करते हैं या करती हैं.

संसद सदस्य समय-समय पर सरकारी कामों की जानकारी और जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा के लिए समय मांगते हैं. इसके अलावा बिल पेश के लिए भी संसद सदस्यों का साथ जरूरी होती है. ऐसे तमाम फैक्टर्स को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्रालय संसद के सत्र के शुरू होने की तारीख और उसकी संभावित अवधि की सिफारिश संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के पास भेजते हैं.

इसके बाद संसदीय कार्य मंत्रालय राज्य सभा सचिवालय को सूचना देता है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य सभा का सत्र इस तारीख से शुरू किया जा सकता है और इस तारीख को खत्म किया जा सकता है. यह भी बताया जाता है कि इसकी सूचना राष्ट्रपति को दे दी गई और अनुमति मिल गई है. इस सूचना के बाद एक नोट राष्ट्रपति के सचिव को अंतिम हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है.
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