होम देश high court Judge does not like the lawyer calling him lordship told in the court what should he call him जज साहब को पसंद नहीं वकील का मीलॉर्ड कहना, भरे कोर्ट में बताया क्या कहकर बुलाएं, India News in Hindi

high court Judge does not like the lawyer calling him lordship told in the court what should he call him जज साहब को पसंद नहीं वकील का मीलॉर्ड कहना, भरे कोर्ट में बताया क्या कहकर बुलाएं, India News in Hindi

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मार्च 2021 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि वह नहीं चाहते कि ‘मीलॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित किया जाए। खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस तरह का मुद्दा उठ चुका है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 July 2025 09:57 AM

वकीलों का ‘मीलॉर्ड’ या ‘माय लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित करना न्यायाधीशों को रास नहीं आ रहा है। इसका ताजा उदाहरण पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से आया है, जहां चीफ जस्टिस ने ऐसे संबोधन पर आपत्ति जता दी। खास बात है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अप्रैल 2011 में एक प्रस्ताव के जरिए सदस्यों से जजों को ‘सर’ कहने की अपील की थी।

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। उस दौरान एक वकील ने उन्हें ‘योर लॉर्डशिप’ कहा। इसपर जज ने उन्हें टोका और कहा, ‘नहीं, नहीं। सारे लॉर्डशिप ने साल 1947 में इस भारतीय तट को छोड़ दिया था। हम या तो सर है या योर ऑनर हैं। बस इतना ही पर्याप्त है।’ खास बात है कि पहले भी कई जज आपत्ति जता चुके हैं।

न्यायाधीशों को ‘मीलॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित करने का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है। दरअसल, कुछ वकील इस प्रथा को जारी रखना सही मानते हैं। वहीं, कुछ का तर्क है कि ये अधीनता के पुराने प्रतीक हैं। साल 2011 में जारी प्रस्ताव में ‘गुलामी के प्रतीक’ को छोड़ने की अपील की गई थी। साथ ही जजों को सर कहने के लिए कहा गया था। इसके अलावा निर्देशों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि वह नहीं चाहते कि ‘मीलॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित किया जाए।

खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस तरह का मुद्दा उठ चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 में एक सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था कि ऐसी औपचारिक जरूरी नहीं है। बेंच ने कहा था, ‘हमने कब कहा कि ये अनिवार्य है? आप हमें सम्मानित तरीके से बुला सकते हैं…। हमें लॉर्डशिप ना करें। हम कुछ नहीं करेंगे। हम सिर्फ इतना कहते हैं कि सम्मान से हमें संबोधित करें।’

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