निशांत का नाम और कुशवाहा का मकसद!
उपेंद्र कुशवाहा की बिहार का मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रही है और नीतीश कुमार से उनके रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा की सलाह का सियासी मतलब
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि नीतीश का स्वास्थ्य और उम्र अब सरकार और पार्टी दोनों को एक साथ चलाने की इजाजत नहीं देता. दरअसल, 74 साल के नीतीश लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हाल के वीडियो में उनकी कमजोरी और भूलने की आदत चर्चा में रही है. उपेंद्र कुशवाहा ने निशांत कुमार को ‘JDU की नई उम्मीद’ कहकर यह संदेश दिया कि नीतीश को उत्तराधिकारी चुनने की जरूरत है. उनका यह भी कहना है कि JDU के कार्यकर्ता नीतीश से यह बात कहने से डरते हैं या उन तक पहुंच नहीं पाते, यह बयान JDU के अंदर असंतोष और नेतृत्व संकट की ओर भी संकेत करता है.
कुशवाहा का निशांत पर दांव लगाने के मायने!
JDU और बिहार की सियासत पर क्या असर?
उपेंद्र कुशवाहा का यह बयान बिहार की राजनीति में कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है. दरअसल, JDU के लिए 2025 का विधानसभा चुनाव अहम है, क्योंकि नीतीश की सरकार पर अपराध और शराब माफिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इस बीच उपेंद्र कुशवाहा का निशांत कुमार को आगे लाने का सुझाव JDU के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा ला सकता है, लेकिन इसके खतरे भी हैं. ऐसा इसलिए कि यह नीतीश कुमार की छवि (परिवारवाद का विरोध) को भी कमजोर कर सकता है. शायद यही कारण है कि JDU के प्रवक्ता राजीव रंजन ने उपेंद्र कुशवाहा की सलाह को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश ही पार्टी का चेहरा हैं और कार्यकर्ता उनके साथ हैं. लेकिन कुशवाहा का बयान NDA के अंदरखाने ही ‘अनदेखा टेंशन’ पैदा कर सकता है, क्योंकि चिराग पासवान जैसे नेता भी मजबूत नेतृत्व की मांग कर चुके हैं.
जेडीयू कार्यकर्ताओं की आड़ में नीतीश पर दबाव!

उपेंद्र कुशवाहा की महत्वाकांक्षा की राह में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेता रोड़ा. वहीं, सवाल यह कि निशांत कुमार के नाम को आगे लाना नीतीश कुमार को कमजोर बताकर NDA में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कवायद तो नहीं है.
उपेंद्र कुशवाहा का असली सियासी मकसद क्या?
राजनीति के जानकारों की नजर में कुशवाहा का यह बयान सिर्फ निशांत कुमार को आगे लाने की वकालत नहीं, बल्कि नीतीश और JDU को दबाव में लाने की कोशिश प्रतीत हो रही है. शायद वह चाहते हैं कि नीतीश कुमार जल्दी उत्तराधिकारी चुनें, ताकि वे खुद या उनके समर्थक नेतृत्व की दौड़ में शामिल हो सकें.उपेंद्र कुशवाहा का बार-बार JDU छोड़ना और लौटना उनकी ‘सियासी चुतुराई’ को बताता है.ऐसा लगता है कि वह NDA में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं, खासकर तब जब BJP नीतीश कुमार पर निर्भरता कम करना चाहती है.
कुशवाहा के बयान का राजनीतिक निहितार्थ यह तो नहीं!
बहरहाल, राजनीति के जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार को उपेंद्र कुशवाहा की सलाह बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकती है, क्योंकि यह JDU के अंदर नेतृत्व संकट और नीतीश की उम्र को लेकर चर्चा को तेज करती दिख रही है. निशांत कुमार को सामने लाने का सुझाव नीतीश की विरासत को बचाने की कोशिश हो सकता है, लेकिन यह कुशवाहा की अपनी सियासी महत्वाकांक्षा को भी बताता है. बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है और यह कुशवाहा का यह बयान NDA और JDU के लिए चुनौतियां बढ़ा सकता है. ऐसे में नीतीश कुमार के सामने अब यह सवाल है कि वे अपनी पार्टी और बिहार को कैसे आगे ले जाएंगे, जबकि कुशवाहा और चिराग जैसे सहयोगी नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं.