मिसाइल परीक्षण से चौंकाने वाले किम जोंग उन अब रिजॉर्ट से पर्यटन को बढ़ाने की तैयारी में हैं.
अपने मिसाइल परीक्षण के लिए दुनियाभर में फेमसनॉर्थ कोरिया ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में वानसन में एक भव्य रिजॉर्ट का उद्घाटन किया है. 15 सालों में तैयार हुए वानसन कलमा नाम के इस रिजॉर्ट का प्रचार खुद नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन ने किया. इसका लक्ष्य पर्यटकों को आकर्षित कर देश की आय बढ़ाना है. पर बड़ा सवाल है कि दुनिया भर से कटा रहने वाला यह देश आखिर कमाई कैसे करता है? यह दुनिया को क्या-क्या देता है और भारत से कैसा रिश्ता है?
दरअसल, ऐतिहासिक रूप से कोरिया एक स्वतंत्र राज्य रहा है. रूस-जापान युद्ध के बाद कोरिया पर जापान का कब्जा हो गया और साल 1905 से 1945 तक यह जापान के कब्जे में रहा. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने कोरिया के उत्तरी इलाके में तत्कालीन सोवियत संघ और दक्षिणी इलाके में अमेरिका के सामने सरेंडर कर दिया. आज यही दोनों इलाके दो अलग-अलग देश नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के रूप में जाने जाते हैं. नया देश बनने के बाद नॉर्थ कोरिया ने अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था भारी उद्योगों और सैन्य अर्थव्यवस्था पर केंद्रित कर दी. इस तरह से देश की पूरी अर्थव्यवस्था सरकार और सेना के कब्जे में चली गई.
सेमी प्राइवेट मार्केट का स्वरूप सामने आया
हालांकि, साल 2002 में नॉर्थ कोरिया ने अपने प्रतिबंधों में कुछ ढील दी और सेमी प्राइवेट मार्केट का स्वरूप सामने आया. इसके तहत कीमतों और वेतन में बढ़ोतरी की गई. मूल्य तय करने की प्रणाली और वितरण व्यवस्था में बदलाव किया. राष्ट्रीय योजना को विकेंद्रीकृत किया. उद्योगों के प्रबंधन को स्वायत्तता दी. उत्पादन आधारित वितरण बाजार को खोला. इसका नतीजा रहा कि कुछ सालों तक आर्थिक विकास देखने को मिला. बैंक ऑफ कोरिया के मुताबिक लगातार तीन सालों तक आर्थिक घाटे के बाद साल 2023 में नॉर्थ कोरिया के जीडीपी में तीन फीसदी की वृद्धि देखने को मिली.

किम जोंग उन का देश नॉर्थ कोरिया अब रासायनिक वेपन बना रहा है.
हथियारों से कमाई
नॉर्थ कोरिया को वैसे तो कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण इसके आयात-निर्यात भी सीमित हैं. फिर भी इसकी जीडीपी को बढ़ाने के साथ ही घटाने में भी सबसे बड़ा योगदान हथियारों और सेना का है. एक ओर नॉर्थ कोरिया हथियार बनाकर उनसे धन कमाता है तो दूसरी ओर अपनी सेना पर भारी भरकम खर्च करता है. ईरान जैसे देश को नॉर्थ कोरिया ने ही शुरू में मिसाइल निर्माण में सहयोग किया था. नॉर्थ कोरिया अपने हथियारों का निर्यात भी करता है. इसके बावजूद साल 2022 में इसने अपनी सेना पर कुल जीडीपी का 33 फीसदी खर्च कर दिया था.
शैडो इकोनॉमी भी आय का साधन
वैसे तो एक रहस्यमय देश होने के कारण नॉर्थ कोरिया के बारे में बहुत सी जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं. इसके बावजूद बताया जाता है कि देश की आय का एक बड़ा साधन खनिज हैं. वहां लौह अयस्क, कोयला, सोना और खनिजों का खनन कर उनका निर्यात किया जाता है. इसके अलावा नॉर्थ कोरिया कानूनी के अलावा गैर कानूनी व्यापार के जरिए भी कमाई करता है. यह समुद्री भोजन, कपड़ों और कृषि उत्पादों का भी निर्यात करता है. इलेक्ट्रिसिटी, उपकरण, सिल्क और आलू का आटा भी इसकी निर्यात सूची में शामिल हैं. यह भी दावा किया जाता रहा है कि नॉर्थ कोरिया ने एक छाया अर्थव्यवस्था (shadow economy) भी विकसित कर रखी है. यह कई महाद्वीपों तक फैली है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद नॉर्थ कोरिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. देश की आय के स्रोतों में पर्यटन भी शामिल है पर विदेशी पर्यटन के मामले में यह केवल चीन और रूस पर निर्भर है.
बताया जाता है कि पिछले चार सालों में नॉर्थ कोरिया काफी मजबूत देश बनकर उभरा है. नॉर्थ कोरिया एक ओर जहां अपने परमाणु हथियारों को लगातार बढ़ा रहा है, वहीं हाइपरसोनिक से लेकर छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की अत्याधुनिक मिसाइलों पर भी काम कर रहा है. इन मिसाइलों से वह अपनी सुरक्षा तो करता ही है, दूसरे देशों को तकनीक और मिसाइलें देकर पैसे भी कमाता है.

नॉर्थ कोरिया के पूर्वी समुद्र तट पर स्थित वानसन नामक स्थान पर लग्जरी बीच रिजॉर्ट बनाया गया है.
चीन है सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
वैसे भी वर्तमान में चीन ही नॉर्थ कोरिया का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. यह पूरी तरह से आर्थिक और रणनीतिक मदद के लिए चीन पर आश्रित है. साल 2022 में नॉर्थ कोरिया ने चीन को 1.59 बिलियन डॉलर के सामान का निर्यात किया और 3.25 बिलियन डॉलर का सामान वहां से आयात किए. चीन के बाद रूस इसका एक और बड़ा पार्टनर है. यही दोनों देश एक तरह से ऩॉर्थ कोरिया के सबसे बड़े पिलर हैं, जो उसे सहारा देते हैं.
भारत और नॉर्थ कोरिया के बीच कूटनीतिक संबंध
भारत और नॉर्थ कोरिया के बीच कूटनीतिक संबंध हैं. साल 1973 में ही भारत ने नॉर्थ और साउथ कोरिया के साथ अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति के तहत राजनयिक संबंध बनाए थे. वहां भारतीय दूतावास स्थापित किए थे. हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण जुलाई 2021 में प्योंगयांग में भारतीय दूतावास को अस्थायी रूप से बंद किया गया था. साल 2024 में भारतीय दूतावास फिर से खुल गया और नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में फिर से दूतावास के कर्मचारियों ने काम करना शुरू कर दिया है.
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