Bilal Gani Lone: कश्मीर के पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन का कहना है कि क्षेत्र में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है। युवाओं को सलाह देते हुए बिलाल ने कहा कि उन्हें अतीत को भूलकर भारत में अपनी जगह बनानी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में मुख्य धारा की राजनीति में शामिल हुए तमाम अलगाववादी नेता अब राज्य के युवाओं के भी हुर्रियत प्रेम से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन ने भी हुर्रियत को मौजूदा समय में पूरी तरह से अप्रासंगिक बताया। इतना ही नहीं उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हिंसा और गड़बड़ी फैलाने के लिए पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह कभी भी कश्मीर को अपने साथ नहीं जोड़ सकता।
पीटीआई से बात करने हुए जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के संस्थापक अब्दुल गनी लोन के बेटे बिलाल ने कहा कश्मीर में हुर्रियत की प्रासंगिकता पर बात की। उन्होंने कहा, “अगर आप आज की तारीख में देखेंगे तो हुर्रियत मौजूदा कश्मीर में कहीं भी मौजूद नहीं है। इसका कुछ काम नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “एक समय था जब राज्य के लोगों को हुर्रियत पर भरोसा था.. लेकिन वर्तमान की वास्तविकता बिल्कुल अलग है। कहीं न कहीं हम लोगों का भरोसा बरकरार रखने में नाकामयाब रहे।”
पाकिस्तान को सुनाया
लोन ने कश्मीर में फैलने वाली अशांति के लिए पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “हमने कई बयान सुने हैं.. लेकिन उनका कोई नतीजा सामने नहीं आया है। पाकिस्तान को कश्मीर में दरार पैदा करने की बजाय यहां के हालातों को बेहतर बनाने के लिए मदद करनी चाहिए।”
लोन ने ताकत की दम पर कश्मीर के पाकिस्तान के साथ जाने की पाकिस्तानी सोच को बेवकूफी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह एक पागलपन वाली सोच है। हालिया घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए लोन ने कहा कि दोनों देशों के बीच में 48 घंटे का युद्ध हुआ, लेकिन कोई भी सेना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ीं। लोन ने कहा कि कश्मीरियों की भलाई इसी में है कि वह कैसे भी करके इस हिंसा और अशांति के वातावरण से बाहर निकलें।
कश्मीरी युवाओं को सलाह
पूर्व अलगाववादी नेता ने कश्मीर की युवा पीढ़ी को भी एक बेहतर सलाह दी। उन्होंने कहा, “कश्मीरी युवाओं को भारत को राजनीतिक चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है। भारत लड़ाई करने के लिए एक बहुत बड़ी ताकत है, जिन्होंने भी भारत से लड़ाई करने की कोशिश की है वह बुरी तरीके से हारे हैं। लोगों को यह स्वीकार कर लेना चाहिए। हमें भारत को भारत की तरह देखना होगा और अतीत को पीछे छोड़कर देश में अपने लिए जगह बनानी होगी।”