होम विदेश 1 लाख अफगानों की हत्या करेगा तालिबान? लंदन से आई दुनिया को डराने वाली रिपोर्ट

1 लाख अफगानों की हत्या करेगा तालिबान? लंदन से आई दुनिया को डराने वाली रिपोर्ट

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लाखों अफगानियों की जान खतरे में.

ब्रिटेन की एक भारी लापरवाही ने 1 लाख से ज्यादा अफगानों की जान को खतरे में डाल दिया है. ब्रिटेन सरकार ने उन अफगान नागरिकों की गोपनीय लिस्ट ही गुम कर दी, जिन्होंने सालों तक ब्रिटिश सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए काम किया था. अब डर है कि ये लिस्ट तालिबान के हाथ लग गई है.

डेली मेल की खबर के मुताबिक पिछले सात दिनों में तीन हत्याएं भी हो चुकी हैं. मारे गए लोगों का सीधा संबंध ब्रिटेन से था. मंगलवार को अफगानों को सरकार की ओर से ‘सॉरी’ नोट मिला, जिसमें बताया गया कि उनका निजी डेटा लीक हो गया है. यह ब्रिटेन के इतिहास की सबसे बड़ी डेटा चूक मानी जा रही है, जिससे लगभग 1 लाख अफगानों की जान खतरे में आ गई है.

लाखों अफगानों की जान पर बन आई

डेली मेल की खबर की मानें तो अभी तक ये पुष्टि नहीं हो पाई है कि तालिबान के पास पूरी लिस्ट पहुंची है या नहीं, लेकिन जिस तरह से ब्रिटेन के मददगारों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे शक गहराता जा रहा है. एक अफगान सैनिक, जो खुद ब्रिटेन भाग गया था, का कहना है कि मेरे भाई की हत्या इसलिए की गई क्योंकि तालिबान को पता था कि मैं ब्रिटेन से जुड़ा हूं. अगर तालिबान के पास पूरी लिस्ट पहुंच गई है, तो हत्याएं और बढ़ेंगी. और इसकी जिम्मेदारी सिर्फ ब्रिटेन की होगी.

300 से ज्यादा लोगों की हत्या का डोज़यर

डेली मेल ने 300 से ज्यादा हत्याओं की एक लिस्ट देखी है. इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने ब्रिटेन की अफगान पुनर्वास योजना (ARAP) में आवेदन किया था. उदाहरण के तौर पर कर्नल शफीर अहमद खान जो ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर काम कर चुके थे उन्हें मई 2022 में उनके ही घर के बाहर गोली मार दी गई. कमांडो अहहमदजई और सैनिक कासिम, दोनों को अप्रैल 2023 में मार दिया गया.

सरकार चुप रही, मीडिया और सांसद अंधेरे में

तालिबान की हत्याओं के बीच ब्रिटिश सरकार ने ऑपरेशन रूबिफिक नाम से एक गुप्त निकासी अभियान चलाया, जिसमें अगस्त 2023 से अब तक 18,500 अफगानों को ब्रिटेन लाया गया. कुल 23,900 लोगों को लाने की योजना है. लेकिन करीब 75,000 अफगान ऐसे हैं, जो वहीं फंसे हैं. इन लोगों को सिर्फ ‘सुरक्षा संबंधी सुझाव’ देकर छोड़ दिया गया.

इस पूरे मामले को ब्रिटेन सरकार ने दबाए रखा. डेली मेल ने दो साल तक अदालत में लड़ाई लड़ी और फिर जाकर ये जानकारी सार्वजनिक हो पाई. अब ब्रिटिश संसद में हंगामा मचा हुआ है. तीन संसदीय जांच शुरू हो चुकी हैं और सांसद सवाल कर रहे हैं कि सरकार ने ये बात पहले क्यों नहीं बताई. हैरानी की बात तो ये है कि अक्टूबर में सरकार ने बिना बहस के 7 अरब पाउंड (₹75,000 करोड़) खर्च करने की भी मंजूरी दे दी थी.

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