होम बिज़नेस Sebi proposes review of categorisation of mutual fund schemes to avoid overlap check detail म्यूचुअल फंड स्कीम में करते हैं निवेश? सेबी लेकर आया प्रपोजल, जानें डिटेल, Business Hindi News

Sebi proposes review of categorisation of mutual fund schemes to avoid overlap check detail म्यूचुअल फंड स्कीम में करते हैं निवेश? सेबी लेकर आया प्रपोजल, जानें डिटेल, Business Hindi News

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बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं को लेकर एक अहम फैसला लिया है। सेबी ने योजनाओं के वर्गीकरण की समीक्षा का प्रस्ताव रखा है। इसका मकसद योजनाओं में स्पष्टता लाने के साथ ही इसके पोर्टफोलियो में ओवरलैप की स्थिति से बचाना है

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 18 July 2025 08:56 PM

बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं के वर्गीकरण की समीक्षा का प्रस्ताव रखा है। इसका मकसद योजनाओं में स्पष्टता लाने के साथ ही इसके पोर्टफोलियो में ‘ओवरलैप’ की स्थिति यानी दोहराव से बचाना है। निवेश पोर्टफोलियो में ओवरलैप की स्थिति उस समय बनती है जब कोई निवेशक अलग-अलग म्यूचुअल फंड या योजना में निवेश करता है, लेकिन उन फंड में अधिकतर निवेश एक ही कंपनियों या क्षेत्रों में किया गया होता है। इससे निवेश को लेकर जोखिम बढ़ जाता है।

प्रस्ताव लाने की नौबत क्यों आई?

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का यह प्रस्ताव कुछ एमएफ योजनाओं में पोर्टफोलियो का ‘ओवरलैप’ नजर आने के बाद आया है। सेबी ने यह महसूस किया कि समान पोर्टफोलियो वाली योजनाओं से बचने के लिए स्पष्ट सीमाएं तय करने की जरूरत है। सेबी ने सुझाव दिया है कि म्यूचुअल फंडों को ‘वैल्यू’ और ‘कॉन्ट्रा’ दोनों फंड पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन इसकी शर्त यह हो कि किसी भी समय योजनाओं के पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत से अधिक ओवरलैप न हो।

क्या हैं वैल्यू फंड

वैल्यू फंड के तहत उन कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है जिनका मूल्यांकन भले ही कम हो लेकिन उनका आंतरिक मूल्य मजबूत हो। वहीं कॉन्ट्रा फंड के तहत कोष प्रबंधक लोकप्रिय बाजार भावना के उलट शेयरों का चुनाव करता है। नई कोष पेशकश (एनएफओ) लाने के समय और उसके बाद महीने के अंत में पोर्टफोलियो का उपयोग करके छमाही आधार पर ओवरलैप की स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए।

सेबी के मुताबिक स्वीकृत सीमा से अधिक ओवरलैप होने की स्थिति में परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) को 30 कारोबारी दिवसों के भीतर पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करना चाहिए। एएमसी की निवेश समिति से 30 दिनों तक का अतिरिक्त विस्तार लिया जा सकता है लेकिन इसके कारणों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। बाजार नियामक ने पोर्टफोलियो के शेष हिस्से को इक्विटी, ऋण, सोना एवं चांदी, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) और ढांचागत निवेश ट्रस्ट (इनविट) में निवेश की अनुमति देने का सुझाव भी दिया है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर आठ अगस्त तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

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