भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि तीनों देशों की सुविधा पर यह निर्भर करेगा। वहीं चीन ने तो इस पहल का खुलकर समर्थन किया और कहा कि यह जरूरी है ताकि क्षेत्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता कायम हो सके। चीन ने निष्क्रिय पड़े RIC त्रिपक्षीय सहयोग को दोबारा शुरू करने की रूस की पहल का स्वागत किया।
रूस की पहल के बाद चीन ने भी RIC की मीटिंग का समर्थन किया है। इस गठजोड़ में रूस, भारत और चीन शामिल हैं, जिसे फिर से शुरू करने और बैठकों के आयोजन की पहल रूस ने की है। अब इसका समर्थन चीन ने भी किया है, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि तीनों देशों की सुविधा पर यह निर्भर करेगा। वहीं चीन ने तो इस पहल का खुलकर समर्थन किया और कहा कि यह जरूरी है ताकि क्षेत्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता कायम हो सके। चीन ने निष्क्रिय पड़े RIC त्रिपक्षीय सहयोग को दोबारा शुरू करने की रूस की पहल का स्वागत किया।
उसने कहा कि त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हित साधता है बल्कि क्षेत्र और विश्व की सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी जरूरी है। इस तरह रूस के बाद चीन ने भी उस पहल का समर्थन किया, जिसमें भारत भी अहम साझीदार है। दरअसल चीन और रूस दोनों के लिए ही भारत को साथ लेकर चलना जरूरी है। रूस के लिए तो यूं जरूरी है कि हथियारों से लेकर तेल तक की खरीद भारत उससे करता रहा है। ऐसे में पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी भारत जैसा खरीददार उसके पास रहे, वह यही चाहेगा। इसके अलावा पश्चिमी देशों और अमेरिका की लॉबिंग के बीच वह चाहता है कि चीन, रूस, और ब्राजील जैसे बड़े देशों का उसे समर्थन मिल जाए।
वहीं चीन की मुश्किल यह है कि अमेरिका से टैरिफ वॉर चल रहा है और वह इस स्थिति में भारत से कारोबारी रिश्ते बेहतर चाहता है। वह चाहता है कि भारत जैसा बाजार उसके लिए खुला रहे। इसके अलावा अमेरिका से टैरिफ वॉर में डील करने के लिए भी भारत, चीन और रूस की एकजुटता प्रभावी रहेगी। बीते कई महीनों से चीन यह दोहरा रहा है कि भारत के साथ हम अच्छे रिश्ते चाहते हैं। यही नहीं चीन की पहल पर ही लद्दाख में सीमा पर तनाव कम हुआ और दोनों देशों के सैनिकों की संख्या में भी कमी आई है।
रूसी समाचार पोर्टल इजवेस्तिया ने रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुदेंको के हवाले से कहा कि मॉस्को आरआईसी की बहाली की उम्मीद करता है और इस मुद्दे पर बीजिंग और नयी दिल्ली के साथ बातचीत कर रहा है। रुदेंको ने कहा था, ‘यह विषय दोनों देशों के साथ हमारी बातचीत में शामिल है। हम इस प्रारूप को सफल बनाने में दिलचस्पी रखते हैं, क्योंकि तीनों देश (भारत, चीन, रूस) ब्रिक्स के संस्थापकों के अलावा महत्वपूर्ण साझेदार हैं।’ ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं का अंतरसरकारी समूह है, जिसमें पांच अतिरिक्त सदस्य मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को शामिल किया गया है।
भारत ने दिया सधा हुआ जवाब, चीन को भी संदेश
इस संबंध में भारत ने गुरुवार को संकेत दिया कि रूस-भारत-चीन के त्रिगुट RIC का पुनरुद्धार तीनों देशों की पारस्परिक सुविधा पर निर्भर करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘यह एक ऐसा फोरम है, जहां तीनों देश आते हैं और अपने हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं।’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘जहां तक इस विशेष बैठक के आयोजन का सवाल है, तो यह ऐसा मामला है जिस पर तीनों देश पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तरीके से काम करेंगे।’
क्यों नाटो से मुकाबले की कही जा रही बात
पिछले दिनों नाटो महासचिव मार्क रूट द्वारा चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों को धमकी दी गई थी कि वे रूस से कारोबार बंद कर लें। ऐसे में RIC की मीटिंग को नाटो के लिए जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है। जब इस पहल की शुरुआत हुई थी, तब भी इसे इसी नजरिए से देखा गया था। रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी थी कि अगर वे रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं, तो उन पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस पर भी भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि नाटो दोहरे मानदंड अपना रहा है।