कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों फेसबुक यूजर्स का डेटा गैरकानूनी तरीके से हासिल कर लिया। इसी के बाद FTC ने जुर्माना लगाया था। शेयरहोल्डर्स का आरोप था कि जुकरबर्ग और सैंडबर्ग जानबूझकर फेसबुक को डेटा हथियाने वाला अवैध ऑपरेशन चला रहे थे।
मार्क जुकरबर्ग और मेटा प्लेटफॉर्म्स के वर्तमान व पूर्व डायरेक्टर्स ने गुरुवार को एक समझौता कर लिया है। यह समझौता उस ₹8 अरब डॉलर के मुकदमे को खत्म कर देता है, जिसमें शेयरहोल्डर्स ने आरोप लगाया था कि फेसबुक यूजर्स की प्राइवेसी बार-बार लीक होने पर इन अधिकारियों ने कंपनी को नुकसान पहुंचाया। दोनों पक्षों ने समझौते की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
शेयरहोल्डर्स के आरोप क्या थे?
मेटा के निवेशकों ने जुकरबर्ग, निदेशक मार्क एंड्रीसेन और पूर्व सीओओ शेरिल सैंडबर्ग समेत 11 लोगों पर मुकदमा किया था। उनका कहना था कि इन लोगों की लापरवाही की वजह से कंपनी को पिछले सालों में भारी जुर्माना और कानूनी खर्चे उठाने पड़े। इनमें अमेरिकी ट्रेड कमीशन (FTC) का 2019 में लगाया गया ₹5 अरब डॉलर का जुर्माना भी शामिल था। निवेशक चाहते थे कि ये अधिकारी अपनी निजी संपत्ति से कंपनी को नुकसान की भरपाई करें।
कैम्ब्रिज एनालिटिका कनेक्शन
यह विवाद 2016 की उस घटना से जुड़ा है, जब डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव टीम के लिए काम करने वाली कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों फेसबुक यूजर्स का डेटा गैरकानूनी तरीके से हासिल कर लिया। इसी के बाद FTC ने जुर्माना लगाया था। शेयरहोल्डर्स का आरोप था कि जुकरबर्ग और सैंडबर्ग जानबूझकर फेसबुक को “डेटा हथियाने वाला अवैध ऑपरेशन” चला रहे थे।
ट्रायल क्यों था अहम?
यह मामला दिलचस्प इसलिए भी था, क्योंकि इसमें कंपनी निदेशकों की जिम्मेदारी तय करने वाले केयरमार्क दावों पर पहली बार सुनवाई हो रही थी। ये दावे साबित करना बेहद मुश्किल माना जाता है। अगर शेयरहोल्डर्स जीत भी जाते, तो दूसरी अदालतें फैसला पलट सकती थीं। समझौते से दोनों पक्षों ने इस जोखिम से बच लिया।
गवाही का ड्रामा
ट्रायल के दूसरे दिन ही समझौता हो गया। उसी दिन मार्क एंड्रीसेन की गवाही होनी थी। सैंडबर्ग पर मुकदमे के दौरान संवेदनशील ईमेल मिटाने का आरोप लगा था, जिससे अदालत ने उनकी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। अगर ट्रायल चलता, तो अगले हफ्ते जुकरबर्ग और सैंडबर्ग को भी सवालों के जवाब देने पड़ते। यह जुकरबर्ग का दूसरा मौका था जब वे अदालती पूछताछ से बच निकले।
विशेषज्ञों की नाराजगी
डिजिटल कंटेंट नेक्स्ट के जेसन किंट का कहना है, “यह समझौता शायद पक्षों को राहत देगा, लेकिन इससे जनता के सामने जवाबदेही तय होने का मौका छूट गया। फेसबुक ने ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ घोटाले को कुछ बुरे लोगों की करतूत बता दिया, जबकि असली मसला उनकी पूरी व्यापारिक रणनीति (यूजर डेटा बेचकर पैसा कमाना) का था। वह सवाल अब भी अनुत्तरित है।”