सीरिया पांच देशों तुर्किए, जॉर्डन, इजराइल, लेबनान और इराक से घिरा है.
इजराइल ने सीरिया पर हमला कर दिया है. जबरदस्त बमबारी हुई है. ज्यादातर हमले हवाई किए गए हैं. सीरिया में चारों ओर भगदड़ सी स्थिति है. ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर इजराइल और सीरिया के दुश्मनी की असली वजह क्या है? यह कैसे शुरू हुई? सीरिया की किन देशों से दोस्ती है और किनसे दुश्मनी?
सीरिया पश्चिमी एशिया का एक महत्वपूर्ण देश है, जो अपने भूगोल और इतिहास के कारण हमेशा चर्चा में रहा है. सीरिया की सीमा कुल पांच देशों से लगती है. उत्तर में तुर्की, पूर्व में इराक, दक्षिण में जॉर्डन, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल और पश्चिम में लेबनान. इसके अलावा, पश्चिम में भूमध्य सागर भी इसकी सीमा को छूता है. इन सभी देशों के साथ सीरिया के संबंध अलग-अलग समय में बदलते रहे हैं. कहीं दोस्ती, कहीं दुश्मनी, तो कहीं तटस्थता.
इजराइल और सीरिया की दुश्मनी वजह?
सीरिया और इजराइल के बीच दुश्मनी की जड़ें 1948 में इजराइल के निर्माण के समय से ही शुरू हो गई थीं. जब इजराइल एक स्वतंत्र देश बना, तो अरब देशों ने इसका विरोध किया. 1948 की अरब-इजराइल युद्ध में सीरिया भी अरब गठबंधन का हिस्सा था. इसके बाद साल 1967 की छह दिन की जंग में इजराइल ने सीरिया के गोलान हाइट्स नामक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. यह इलाका सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से इजराइल और सीरिया दोनों की सीमाओं पर नजर रखी जा सकती है.
गोलान हाइट्स पर कब्जे के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है. सीरिया ने कई बार इस क्षेत्र को वापस लेने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका. साल 1973 की यौम किप्पुर युद्ध में भी सीरिया ने इजराइल पर हमला किया, लेकिन इजराइल ने फिर से जीत हासिल की. इसके बाद से दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक शांति समझौता नहीं हुआ है. इजराइल और सीरिया के बीच सीमावर्ती इलाकों में अक्सर झड़पें होती रहती हैं, और दोनों एक-दूसरे को अपना दुश्मन मानते हैं.

इजराइल का सीरिया पर हमला.
और भी हैं दुश्मनी की वजहें
सीरिया और इजराइल की दुश्मनी के गोलान हाइट्स के अलावा भी कई कारण हैं. एक इजराइल गोलान हाइट्स छोड़ने को तैयार नहीं है. वहां उसने अपने लोगों को बसा दिया है. दूसरा महत्वपूर्ण कारण फिलिस्तीन है. सीरिया हमेशा से फिलिस्तीनियों का समर्थन करता आया है, जबकि इजराइल के साथ उनका संघर्ष जारी है. तीसरा कारण क्षेत्रीय राजनीति है- सीरिया खुद को अरब राष्ट्रवाद का केंद्र मानता है, जबकि इजराइल को पश्चिमी देशों का सहयोगी और बाहरी ताकत के रूप में देखता है.
सीरिया के पड़ोसी में कितने दोस्त, कितने दुश्मन?
अब बात सीरिया के अन्य पड़ोसी देशों तुर्की, इराक, जॉर्डन और लेबनान से उसके रिश्तों के बारे में करते हैं.
तुर्की: प्रांत-पानी पर तनाव, कुर्द लड़ाकों की की जंग
सीरिया और तुर्की के संबंध ऐतिहासिक रूप से जटिल रहे हैं. दोनों के बीच सीमा विवाद, खासकर हाटे प्रांत को लेकर और पानी के बंटवारे को लेकर तनाव रहा है. हाल के वर्षों में, सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान तुर्की ने सीरिया के खिलाफ कई सैन्य अभियान चलाए हैं, खासकर कुर्द लड़ाकों के खिलाफ. तुर्की ने लाखों सीरियाई शरणार्थियों को भी शरण दी है, लेकिन दोनों देशों के बीच भरोसे की भारी कमी है.
इराक: साथ हैं पर दोस्त नहीं
सीरिया और इराक के संबंध भी समय के साथ बदलते रहे हैं. दोनों देश बाथ पार्टी के शासन में करीब आए थे, लेकिन आपसी प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय राजनीति के कारण संबंधों में खटास भी रही. साल 2011 के बाद, जब सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ, तो इराक के कुछ हिस्सों में ISIS का प्रभाव बढ़ा, जिससे दोनों देशों को आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई लड़नी पड़ी. आज दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं, लेकिन संबंध पूरी तरह से दोस्ताना नहीं कहे जा सकते.
जॉर्डन: व्यापारिक सम्बंध लेकिन विश्वास नहीं
सीरिया और जॉर्डन के संबंध आमतौर पर शांतिपूर्ण रहे हैं, लेकिन सीरियाई गृहयुद्ध के बाद जॉर्डन ने अपनी सीमाएं सीरियाई शरणार्थियों के लिए खोल दीं। हालांकि, जॉर्डन को सीरिया से आने वाले आतंकवाद और तस्करी की चिंता भी रही है. दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंध बने हुए हैं, लेकिन गहरा विश्वास नहीं है.
लेबनान: गहरे जटिल सम्बंध
सीरिया और लेबनान के संबंध ऐतिहासिक रूप से बहुत करीबी रहे हैं. सीरिया ने लंबे समय तक लेबनान में सैन्य उपस्थिति बनाए रखी थी. लेबनान की राजनीति में सीरिया का प्रभाव आज भी देखा जाता है, खासकर हिजबुल्लाह जैसे संगठनों के जरिए. हालांकि, लेबनान के कुछ वर्ग सीरिया के हस्तक्षेप का विरोध भी करते हैं. कुल मिलाकर, दोनों देशों के संबंध जटिल लेकिन गहरे हैं.

5 देशों से घिरा है सीरिया.
सीरिया के दोस्त देश कौन हैं?
सीरिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय दोस्त रूस और ईरान हैं. रूस ने साल 2015 से सीरियाई सरकार को सैन्य और कूटनीतिक समर्थन दिया है, जिससे बशर अल-असद की सरकार को बचाए रखने में मदद मिली. ईरान भी सीरिया का करीबी सहयोगी है, जो उसे आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक समर्थन देता है. ईरान के लिए सीरिया एक रणनीतिक सहयोगी है, जिससे वह लेबनान के हिजबुल्लाह तक अपनी पहुंच बनाए रखता है.
इस तरह हम पाते हैं कि सीरिया का भूगोल, इतिहास और राजनीति उसे एक जटिल पड़ोसी संबंधों वाला देश बनाते हैं. इजराइल के साथ उसकी दुश्मनी मुख्यतः गोलान हाइट्स और फिलिस्तीन मुद्दे पर आधारित है, जो दशकों से चली आ रही है. तुर्की, इराक, जॉर्डन और लेबनान के साथ उसके संबंध समय-समय पर बदलते रहे हैं. कहीं दोस्ती, कहीं दुश्मनी, तो कहीं तटस्थता. रूस और ईरान उसके सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोगी हैं. सीरिया की स्थिति यह दिखाती है कि कैसे भूगोल, इतिहास और राजनीति मिलकर किसी देश के संबंधों को आकार देते हैं, और कैसे एक देश के पड़ोसी उसके लिए दोस्त भी हो सकते हैं और दुश्मन भी.
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