Seraikela News | सरायकेला, शचींद्र कुमार दाश: सरायकेला में स्थित महाप्रभु जगन्नाथ के मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर में मंगलवार को धूमधाम से विपदतारिणी पूजा की गयी. इस दिन हजारों की संख्या में सुहागिन महिलाएं स्नान कर नये कपड़े पहनकर मंदिर पहुंचीं. सुहागिनों में मां विपदतारिणी की पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने माता को 13 प्रकार के फल-फूल और मिठाई अर्पित किए. इस दौरान विधि-व्यवस्था को नियंत्रित रखने के लिए प्रशासन और मेला कमेटी मुस्तैद रही.
मां दुर्गा का ही स्वरूप हैं मां विपदतारिणी

मालूम हो कि मां विपदतारणी को मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है. माता की आराधना संकटों और विपदाओं से मुक्ति पाने के लिए की जाती है. इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने परिवार की सुरक्षा और कल्याण के लिए किया जाता है. इस व्रत में, भक्त देवी विपदतारिणी की पूजा करते हैं और उनसे अपने व अपने परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.
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क्यों होती है विपदतारिणी पूजा
विपदतारिणी पूजा को लेकर पुरोहित सानो आचार्य जी ने बताया कि यह पूजा परिवार से संकट दूर करने के लिए की जाती है. मां विपदतारणी को मां दुर्गा का एक रूप माना जाता है. इस अवसर पर गुंडिचा मंदिर में पुरोहित ब्रह्मानंद महापात्र सानो आचार्य एवं अन्य ने महिलाओं को विधि-विधान से पूजा कराई.
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परिवार के सदस्यों को बांधा रक्षा सूत्र
मां विपदतारिणी की पूजा के बाद महिलाओं ने दूर्वा घास से रक्षा सूत्र बनाकर परिवार के सदस्यों के हाथों में बांधा. मान्यता है कि यह रक्षा सूत्र हर प्रकार की विपत्ति से इंसान को बचाता है. मालूम हो कि यह पूजा हर साल रथयात्रा के बाद मंगलवार को की जाती है. पूजा के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और प्रसाद लेकर अपने घर गयीं. सुबह से ही बाजारों में पूजा सामग्री और फलों की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ दिखी.
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