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पाकिस्तान देगा ईरान को अब तक का सबसे बड़ा धोखा? अब्राहम समझौते मे शामिल होने की चर्चा

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और ईरान के सुप्रीम लीडर

क्या पाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होने की तैयारी कर रहा है? क्या इसका मतलब यह है कि वह अब ईरान का साथ छोड़ देगा? पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक बयान के बाद इन अटकलों को और हवा मिल गई है.

वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ईशाक डार इस तरह की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर चुके हैं. आइए समझते हैं इस पूरे मामले को टुकड़ों में.

पहले समझिए अब्राहम समझौता क्या है?

अब्राहम समझौता 2020 में अमेरिका की मध्यस्थता में इजराइल और कई अरब देशों के बीच हुआ था. इसमें UAE, बहरीन, मोरक्को जैसे देशों ने इजराइल को मान्यता दी थी. अगर पाकिस्तान इस समझौते में शामिल होता है, तो वो भविष्य में ईरान के साथ सैन्य या कूटनीतिक स्तर पर सहयोग करने की स्थिति में नहीं रहेगा.

आसिफ का बयान और अब्राहम समझौते की गूंज

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने समा टीवी पर दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका की तरफ से अब्राहम समझौते में शामिल होने का दबाव है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दबाव पड़ेगा तो हम अपने राष्ट्रीय हितों को देखकर फैसला लेंगे. इस बयान ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दे दिया कि क्या पाकिस्तान अब इजराइल से रिश्ते सुधारने की दिशा में बढ़ रहा है?

ईशाक डार की दो टूक: इजराइल को मान्यता नहीं देंगे

पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ईशाक डार ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये साफ कर दिया कि अब्राहम समझौते में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि हम तब तक इजराइल को मान्यता नहीं देंगे, जब तक फिलीस्तीन को दो-राष्ट्र समाधान के तहत उसका हक और राजधानी यरुशलम नहीं मिल जाती. डार ने कहा कि अमेरिका की तरफ से चाहे कोई भी दबाव क्यों न आए, पाकिस्तान अपनी सात दशक पुरानी फिलीस्तीन नीति नहीं बदलेगा.

ईरान से रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा?

पाकिस्तान ने हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष में खुलकर ईरान का साथ दिया था. लेकिन अगर पाकिस्तान अब्राहम समझौते का हिस्सा बनता है, तो उसे इजराइल के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पीछे हटना होगा. यही वजह है कि इसकी चर्चा भी हो रही है क्योंकि एक तरफ अमेरिका है, जो चाहता है कि पाकिस्तान इजराइल को मान्यता दे और अब्राहम समझौते में शामिल हो. दूसरी ओर ईरान है, जो फिलीस्तीन का समर्थन करता है और इजराइल के खिलाफ मोर्चा खोलता रहा है. पाकिस्तान दोनों से रिश्ते बनाए रखना चाहता है.

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