जनरल उपेंद्र द्विवेदी. (फाइल फोटो)
चीन की हरकत से हर कोई वाकिफ है. वह अपने पड़ोसी देशों को अस्थिर करने की कोशिश में लगा रहता है. चीन का पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने का इतिहास किसी से छुपा नहीं है. तिब्बत से लेकर लद्दाख और डोकलाम तक, ड्रैगन ने हमेशा विस्तारवादी नीति के चलते पड़ोसी देशों की जमीन पर बुरी निगाह रही है. अब उसकी नजर भूटान की जमीन पर है.
ऐसे वक्त में चीन जब भूटान में लगातार गांव बसा रहा है और विवादित इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, भारत ने एक बार फिर भूटान के साथ अपने मजबूत रिश्तों का संदेश दिया है. इसी कड़ी में थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी चार दिन के भूटान दौरे पर हैं. बताया जा रहा है कि ऐसे में इस यात्रा को लेकर चीन के खेमे में टेंशन दिख रही है.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि बतौर सेना प्रमुख यह उनका पहला भूटान दौरा है. इस दौरान जनरल द्विवेदी भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे और रॉयल भूटान आर्मी के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग के साथ रणनीतिक चर्चा भी करेंगे.
डोकलाम से सकतेंग तक चीन का विस्तारवाद!
चीन ने डोकलाम में 2017 में भारत के हाथों करारी हार चखने के बाद भी अपनी हरकतें नहीं छोड़ी है. भारतीय सेना ने चीनी पीएलए को डोकलाम में तोरसा नाले के आगे सड़क बनाने से रोका था. चीन और भूटान के बीच करीब 477 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर 1950 के दशक से ही विवाद चल रहा है. यहां के दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है, उनमें एक है 269 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला डोकलाम इलाका. दूसरा इलाका भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का है.
पिछले आठ साल में ड्रैगन ने भूटान की जमीन में घुसपैठ कर 20 से ज्यादा गांव बसा लिए हैं. डोकलाम में ही चीन ने 8 नए गांव खड़े कर लिए हैं. इसके अलावा भूटान के उत्तरी इलाके जकारलुंग और पासमलुंग घाटी को लेकर भी चीन विवाद खड़ा करता रहा है. अक्टूबर 2021 में चीन और भूटान ने थ्री-स्टेप रोडमैप के करार पर हस्ताक्षर किए थे. अब तक दोनों देशों के बीच 25 दौर की सीमा वार्ता हो चुकी है.
भूटान आर्मी को भी डराने की कोशिश
चीन ने एक नया विवाद हाल ही में शुरू किया. यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग सीमा के पास भूटान के ईस्ट में सकतेंग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है. सूत्रों के मुताबिक साल 2020 में ग्लोबल इंवायरनमेंट मीटिंग के दौरान चीन ने इस पर भी अपना दावा ठोक दिया था. हालांकि भूटान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. सकतेंग सेंचुरी से चीन की सीमा सीधी नहीं लगती फिर भी वो इस पर अपना दावा करता है. चीन इस इलाके को विवादित ठहरा रहा है.
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अब रॉयल भूटान आर्मी (RBA) को भी अपनी जमीन में पेट्रोलिंग करने से रोकने की कोशिश कर रही है. डोकलाम के पास अमो-छू नदी के किनारे भूटान सैनिकों को रोका गया. मामला इतना बढ़ा कि फरवरी में दोनों सेनाओं के बीच फ्लैग मीटिंग तक करनी पड़ी.
चरवाहों के जरिए चीन चल रहा चालबाजी
लद्दाख में चरवाहों के बहाने जमीन कब्जाने की चाल चीन पहले ही चल चुका है. अब भूटान में भी यही हो रहा है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत-भूटान सीमा पर चीन के चरवाहों ने चरागाहों पर कब्जा करने की कोशिश की. जब भूटान आर्मी ने इन्हें रोका तो चीन ने आपत्ति जताई और तिब्बती चरवाहों को चीनी चरवाहा कहने का दबाव बनाया.
भारत-भूटान दोस्ती पर नहीं पड़ेगा असर
भारत और भूटान के बीच रिश्ते मित्रता, सहयोग और भरोसे पर आधारित हैं. भूटान की ज्यादातर सामरिक ट्रेनिंग भारत के सैन्य संस्थानों में होती है. भारत भूटान के व्यापार और विकास में भी साझेदार है. कल सोमवार को ही दोनों देशों के बीच चौथी विकास सहयोग वार्ता हो चुकी है.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक संदेश भी है कि भारत अपने पड़ोसी भूटान के साथ हर चुनौती में खड़ा है और डोकलाम जैसी हरकत दोबारा नहीं होने देगा. ड्रैगन की साजिशों पर भारत की पैनी नजर बनी हुई है और भूटान भी पीछे हटने को तैयार नहीं.