हूल दिवस के अवसर पर आदिवासी छात्र संघ गिरिडीह वे सिदो-कान्हू पार्क में कार्यक्रम किया. इस दौरान सिदो-कान्हू, फूलो-झानो, चांद-भैरव को याद किया गया. बताया गया कि हूल संताली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ विद्रोह या क्रांति. यह सिर्फ एक विरोध नहीं था, बल्कि आदिवासी जनआंदोलन थाय इसमें उन्होंने अन्याय, शोषण और दमन के खिलाफ संगठित होकर आवाज उठायी. भोगनाडीह गांव से यह विद्रोह शुरू हुआ था. यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार, जमींदारों और महाजनों के अत्याचार के खिलाफ था. हूल दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना की स्मृति नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज के सशक्तीकरण और आत्मसम्मान का प्रतीक बन चुका है. यह हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने और अपने अधिकारों की रक्षा करने की प्रेरणा देता है. मौके पर छात्र संघ के अध्यक्ष प्रदीप सोरेन, सचिव मदन हेंब्रम, मीडिया प्रभारी रमेश मुर्मू, सदस्य मुजीलाल टुडू, सोनालाल मुर्मू, भोलाराम टुडू, नारायण मुर्मू, लक्ष्मण हांसदा, दिलीप मुर्मू, किरण टुडू, रेणु हांसदा, रिंकी हांसदा, अजय सोरेन, शिवलाल सोरेन, सहदेव हांसदा, मुन्ना सोरेन, मीरूलाल मरांडी, अनीता हेंब्रम व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
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