14वें दलाई लामा Photo- Uday Shankar
नए दलाई लामा की नियुक्ति को लेकर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हलचल तेज हो गई है. 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो अपने जन्मदिन से पहले 3 दिन की बैठक धर्मशाला में करने जा रहे हैं. इस बैठक में दुनियाभर के 100 बौद्ध धर्मगुरु शामिल हो रहे हैं. बैठक में उत्तराधिकारी को लेकर कोई फैसला हो सकता है, जिसका ऐलान 6 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरु कर सकते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक 2019 के बाद पहली बार इतनी बड़ी बैठक धर्मशाला में बुलाई गई है. बैठक को काफी गोपनीय रखा गया है.
पहले जानिए दलाई लामा का पद क्या होता है?
ब्रिटेनिका के मुताबिक लामा बौद्ध धर्म के गुरुओं को कहा जाता था. 11वीं शताब्दी में दलाई लामा का पद बनाया गया. शुरुआत में दलाई लामा का पद सिर्फ एक धार्मिक और श्रद्धा का पद था. समय के साथ-साथ इस पद की जिम्मेदारी भी बदलती गई.
13वें दलाई लामा ने किंग राजवंश के समय तिब्ब्त से चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया. चीनी सैनिकों के तिब्बत से जाने के बाद उन्होंने यहां शासन भी किया. हालांकि, 14वें दलाई लामा के आने के बाद तिब्बत में चीन ने अलग ही मोर्चा खोल दिया.
1960 में तिब्बत में चीन का आक्रमण शुरू हुआ, जिसके बाद दलाई लामा को वहां से निर्वासित होना पड़ा. भारत में धर्मशाला में आकर दलाई लामा ने निर्वासित सरकार का गठन किया. यहीं से वे बौद्ध धर्म के अपने अनुयायियों और तिब्बत के लोगों से बात करते हैं.
नए दलाई लामा की नियुक्ति पर क्या है विवाद?
दलाई लामा की नियुक्ति को लेकर जो प्रावधान है, उसके मुताबिक तिब्बत में जन्मे उस बच्चे की खोज होती है, जिसका आत्मा वर्तमान दलाई लामा से मिलता-जुलता हो. अध्यात्मिक तौर पर होने वाल खोज काफी सालों तक चलता है.
हालांकि, इस बार तिब्बत के बदले भारत या अन्य इलाकों से बच्चे खोजने की बात कही जा रही है. ऐसा होने पर 385 साल से चली आ रही पुरानी परंपरा टूट सकती है. चीन का कहना है कि दलाई लामा की यह नियुक्ति सही नहीं है.
चीन ने अपने ढंग से नए दलाई लामा को चुनने की बात कही है. बीजिंग ने मार्च 2026 में दलाई लामा को लेकर एक बयान में कहा कि तिब्बत के लोग अगर यह स्वीकार करते हैं कि वे चीन का ही हिस्सा हैं, तो उनसे इस मसले पर बात हो सकती है.