पटना. बिहार चुनाव से पहले समाजवाद का विकास और नमाजवाद की सियासत पर लड़ाई शुरू हो गई है. आरजेडी सुप्रीमो तेजस्वी यादव के कब्रिस्तान और मस्जिद पर कब्जा की साजिश वाले बयान पर बीजेपी ने भी बड़ा हमला बोला है. बिहार में अचानक बेरोजगारी, पलायन और आरक्षण वाला मुद्दा गायब होकर मजहब पर आ गया है. आरजेडी और बीजेपी वक्फ बिल पर एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से हमला बोल रही है. बिहार की सियासत में एक तरह से हांडतोड़ लड़ाई की शुरुआत हो गई है. लोग बोलने लगे हैं कि ‘जवन नाव में छेद हो, ऊ पार कहां लगाई?’ समाजवादी लालू के लाल तेजस्वी यादव एक तरफ तो दूसरी तरफ बीजेपी का धुरंधर खेमा, जो संविधान की दुहाई दे रहा है. अब सवाल ये है कि बिहार में शरिया बड़ा या संविधान?
बीजेपी का पलटवार, कहा- जंगलराज वाले ज्ञान न दें
दूसरी ओर, बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी ने दिल्ली से गर्जना निकाला और तेजस्वी को करार जवाब देते हुए सोमवार को बड़ा हमला बोला है. त्रिवेदी ने कहा, ‘जिन्हें जंगलराज की विरासत मिली है,वो लोकतंत्र पर भाषण न दें. वक्फ बिल से पारदर्शिता आएगी, ना कि कोई धार्मिक अधिकार छीने जाएंगे.’ वोटर लिस्ट को लेकर उन्होंने कहा, ‘ई तो चुनाव आयोग का रूटीन काम है, न कि कोई ‘साजिश की सैंया’
शरिया बनाम संविधान, असली मुद्दा या अफवाह की आग?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कूद पड़ा मैदान में
वक्फ बिल को लेकर इमारत-ए-शरिया और AIMPLB ने भी मोर्चा खोल दिया है। बोले कि यह “इबादतगाहों पर कब्जे की चाल” है. लेकिन बीजेपी का दावा है कि कुछ मुस्लिम सांसद भी बिल के साथ हैं यानी एक ही मुद्दा, पर नजरिया अलग-अलग.
चुनावी बिसात में कौन बनेगा महा-मोहरा?
अगर तेजस्वी ने अल्पसंख्यक और गरीब वोटरों को झकझोरने की कोशिश की है तो बीजेपी ने भी राष्ट्रवाद और पारदर्शिता की चादर ओढ़ ली है. अभी तो चुनावी पिच तैयार हो रहा है लेकिन असली मैच तो अक्टूबर-नवंबर में होगा. ऐसे में बड़ा सवाल बिहार में ‘समाजवाद’ का झंडा ऊंचा होगा या ‘नमाजवाद’ का नारा गूंजेगा?, बिहार में सरिया मजबूत है या संविधान?