Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले को लेकर यूटर्न लेने उद्धव ठाकरे ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मराठी मानुष की शक्ति के आगे हार गई है।
महाराष्ट्र सरकार के हिंदी अनिवार्य करने के फैसले को वापस लेने के बाद शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने फडणवीस सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य के स्कूलों में पहली से पांचवी तक की कक्षाओं में तीन भाषा नीति के तहत हिंदी अनिवार्य करने के फैसले को वापस ले लिया है। मतलब सरकार ने मराठी मानुष के सामने हार मान ली है। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने वाले उनके चचेरे भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस सफलता का श्रेय मराठी मानुष को ही दिया।
मीडिया से बात करते हुए उद्धव ने देवेंद्र फडणवीस की सरकार के ऊपर मराठी मानुष की एकता को तोड़ने और मराठी और गैर-मराठियों लोगों के बीच में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार मराठी मानुष की ताकत से हार गई। सरकार को यह अहसास नहीं था कि मराठी मानुष इस तरह एकजुट हो जाएगा।’’
दूसरी तरफ राज ठाकरे ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकार पर किसने दबाव डाला, यह रहस्य बना हुआ है। मनसे अप्रैल 2025 से इस मुद्दे को उठा रही थी, जिसके बाद अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसका हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘अगर (5 जुलाई को) मोर्चा होता, तो इससे संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की यादें ताजा हो जातीं। सरकार को इसका डर होना चाहिए। यह डर होना चाहिए।’’
शिवसेना (उबाठा) में ठाकरे के सहयोगी संजय राउत ने घोषणा की थी कि पांच जुलाई को मराठी आरक्षण आंदोलन के विरोध में आयोजित रैली रद्द कर दी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा फैसला वापस लिये जाने के बाद कहा कि अब यह आयोजन मराठी एकता की सफलता का जश्न मनाने के लिए एक विजय जुलूस होगा। ठाकरे ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को झूठ की फैक्टरी भी करार दिया।