केरल सरकार ने राज्य के स्कूलों में जुंबा की शुरुआत की है, इसका मकसद छात्रों को फिट रखना है.
केरल के स्कूलों में मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन की अगुवाई वाली सरकार ने जुंबा डांस आधारित फिटनेस कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है, जिसका विरोध हो रहा है. कुछ धार्मिक संगठनों का आरोप है कि यह पश्चिमी देशों का चलन है. स्कूलों में इससे छात्र-छात्राओं के नैतिक मूल्यों पर गलत असर पड़ेगा. दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि जुंबा करने से छात्रों को हिंसा और नशे से दूर रखने में सहायता मिलेगी और उनकी शारीरिक-मानसिक फिटनेस में सुधार होगा. आइए जान लेते हैं कि क्या है जुंबा, कहां से आया और शरीर पर यह कितना असर दिखाता है?
जुंबा एक डायनेमिक डांस आधारित फिटनेस प्रोग्राम है, जिसमें लैटिन और इंटरनेशनल म्यूजिक पर डांस किया जाता है. इसे एक प्रभावशाली एरोबिक वर्कआउट के लिए डिजाइन किया गया है.
कैसे दुनिया में आया जुंबा?
जुंबा की उत्पत्ति का इतिहास बेहद रोचक है. 1990 के दशक में जुंबा का आविष्कार कोलंबिया के फिटनेस इंस्ट्रक्टर बेटो पेरेज (Beto Perez) द्वारा दुर्घटनावश हो गया था. एक दिन की बात है, पेरेज अपनी एरोबिक्स की क्लास में रेगुलर एरोबिक्स म्यूजिक ले जाना भूल गए थे. इस पर उन्होंने अपने पास मौजूद लैटिन म्यूजिक टेप का इस्तेमाल कर खुद का एरोबिक्स म्यूजिक मिक्स तैयार कर लिया.
यह क्लास इतनी हिट रही कि आगे इस पर बाकायदा संतुलित ढंग से एक फिटनेस प्रोग्राम का विकास हुआ. इसमें डांस और एरोबिक्स के साथ लैटिन रिदम को समाहित किया गया और समय के साथ इसे जुंबा कहा जाने लगा.

जुंबा की खोज करने वाले फिटनेस इंस्ट्रक्टर बेटो पेरेज.
जुंबा में तमाम तरह के म्यूजिक और डांस स्टाइल का मिश्रण पाया जाता है, जिनमें सालसा, मेरेंग (merengue), कुंबिया, सांबा आदि शामिल हैं. इससे जुंबा बेहद ऊर्जावान और आनंद महसूस कराता है. सबसे खास बात तो यह है कि इसमें बड़ी संख्या में लोग डांस की क्षमता और फिटनेस लेवल की चिंता किए बिना हिस्सा ले सकते हैं.
केरल के शिक्षा मंत्री ने शेयर किया स्कूल में जुंबा डांस का वीडियो
दुनिया भर के देशों में पहुंचा
अपनी उत्पत्ति के बाद से बेहद कम समय में ही जुंबा को दुनिया भर में लोकप्रियता मिलती गई और अब तो यह 125 से भी अधिक देशों तक अपनी पहुंच बना चुका है और लाखों लोग इसका अभ्यास करते हैं. यह हर संस्कृति, उम्र और फिटनेस स्तर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके इंस्ट्रक्टर हर व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से क्लास तैयार करते हैं.
जुंबा के आविष्कारक का मानना था कि उनका उद्देश्य फिटनेस को आनंददायक और हर किसी की पहुंच तक ले जाना था. दुर्घटनावश जुंबा की उत्पत्ति ने फिटनेस जगत में एक क्रांति ला दी, जो डांस के आनंद, समुदाय और स्वास्थ्य पर जोर देता है. पेरेज की कोशिश रहती है कि जुंबा कम्युनिटी में उनका ओरिजनल विजन बरकरार रहे और पूरी दुनिया इसका अभ्यास करती रहे. जुंबा के भारत पहुंचने में सबसे बड़ा रोल डिजिटल युग का है.

शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा जुंबा मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में भी अहम भूमिका निभाता है. फोटो: Luis Alvarez/DigitalVision/Getty Images
फिजिकल और मेंटल हेल्थ को कैसे सुधारता है?
जुंबा केवल एक फिटनेस प्रोग्राम नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है. इसकी अनोखी अपील इस बात में समाहित है कि यह स्वास्थ्य और वेलनेस के लाभ तो प्रदान करता ही है, लाखों लोगों को आनंद के साथ फिट रहने का प्रभावशाली तरीका प्रदान करता है. जुंबा फुल बॉडी वर्कआउट प्रदान करता है. यह वैज्ञानिक रूप से भी सत्यापित हो चुका है कि इससे कैर्डियोलवैस्कुलर स्वास्थ्य में सुधार आता है.
यह फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है और शरीर को मजबूती देता है. इसके हाई एनर्जी इंटरवल और रिदम एक प्रभावी एरोबिक एक्सरसाइज प्रदान करता है, जिससे कैलोरी का इस्तेमाल होता है और हृदय का स्वास्थ्य सुधरता है. शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा जुंबा मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में भी अहम भूमिका निभाता है. इससे तनाव कम होता है, मूड सुधरता है और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए यह लाभदायक होता है. इससे हर्ट रेट में सुधार होता है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इससे हृदय को होने वाली बीमारियों की आशंका घटती है. तमाम तरह के डांस से मसल और ज्वाइंट में होने वाली दिक्कतें दूर होती हैं.
सामुदायिक और सामाजिक लाभ
जुंबा के जरिए सामुदायिक और सामाजिक लाभ भी देखने को मिलता है. इसके जरिए सामुदायिक सेंस का विकास होता है. इसकी क्लासेज में वर्कआउट के बजाय एक डांस पार्टी का अहसास होता है, जिससे इसमें हिस्सा लेने वालों के बीच एक अर्थपूर्ण संबंध स्थापित होता है. इसमें इंस्ट्रक्टर एक ऐसा माहौल तैयार करता है, जिससे हर कोई अपने आप को खास महसूस करता है, भले ही उसकी डांस की योग्यता कैसी भी हो. यह सामुदायिक सेंस जिम के ऊपर उठकर आगे तक विस्तृत रूप से पहुंचता है, जिसमें बहुत से भागीदारों में दोस्ती होती है जो न केवल एक-दूसरे की फिटनेस यात्रा में सपोर्ट करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के निजी जीवन में भी सहायक होते हैं.
समग्रता में जुंबा एक ऐसी फिटनेस का कारक बनता है जो केवल शरीर को ही मजबूत नहीं बनाता, बल्कि दिमाग और आत्मा को भी फिटनेस प्रदान करता है. इसके जरिए लोग एक-दूसरे करीब आते हैं और वैश्विक समुदाय का गठन होता है.
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