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Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा में ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ केवल एक रैली नहीं, बल्कि चिराग पासवान की दीर्घकालिक सियासी रणनीति का हिस्सा कही जा रही है. यह रैली बिहार की जातिगत और सामाजिक ग…और पढ़ें
बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा के चर्चे.
हाइलाइट्स
- ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ के जरिए दलित-पिछड़े वोटों को एकजुट कर रहे चिराग.
- चिराग पासवान की बहुजन नेतृत्व की महत्वाकांक्षा बिहार में नए समीकरण बना सकती है.
- LJP(RV) की नालंदा रैली से सीट बंटवारे की जंग तेज, सीएमनीतीश कुमार के लिए चुनौती.
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP-RV) ने अपनी सियासी रणनीति को धार देने के लिए कमर कस ली है. केंद्रीय मंत्री और LJP(RV) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने दलित और पिछड़े वर्गों को साधने के लिए आज नालंदा के राजगीर में ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ का आयोजन किया है. यह रैली न केवल एक शक्ति प्रदर्शन है, बल्कि चिराग की महत्वाकांक्षी सियासी रणनीति का हिस्सा है जिसके जरिए वे बिहार की सियासत में ‘नई लीडरशिप’ और ‘बहुजन’ चेहरे के रूप में अपनी पहचान स्थापित करना चाहते हैं. इस रैली के जरिए चिराग पासवान आगामी विधानसभा चुनाव की सियासी रणनीति तो साधना ही चाहते हैं, परन्तु यह उनकी दीर्घकालिक राराजनीतिक-रणनीतिक योजना का हिस्सा है.
NDA में बड़ा दबदबा और सीटों की मोलभाव
चिराग पासवान की यह रैली NDA के भीतर उनकी स्थिति को मजबूत करने का हिस्सा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में LJP(RV) ने पांच सीटों पर जीत हासिल की जिससे चिराग की सियासी ताकत बढ़ी है. अब वे विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए दबाव बना रहे हैं. चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा को सांसद अरुण भारती के के शब्दों से भी समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा, अगर एक सांसद वाली HAM 40 सीटें मांग सकती है तो पांच सांसदों वाली LJP(RV) को कितनी सीटें मिलनी चाहिए? यह बयान NDA के सहयोगियों, खासकर JDU पर दबाव बनाने की रणनीति को स्पष्ट करता है. बता दें कि चिराग ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने को तैयार हैं. हालांकि, इसके साथ ही वह NDA के साथ गठबंधन में रहने की बात भी कहते हैं. जाहिर है उनकी रणनीति में दलित और पिछड़े वोटों को एकजुट कर NDA के वोट शेयर को बढ़ाना और साथ ही अपनी पार्टी को बिहार की सियासत में एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने की है.
NDA में तनाव और नीतीश कुमार पर दबाव
चिराग पासवान की इस कवायद के मायने
राजनीति के जानकार बताते हैं कि चिराग पासवान की यह रैली बिहार की सियासत में एक नए समीकरण को जन्म दे सकती है. पहला तो यह कि पूरी कवायद दलित और पिछड़े वर्गों को एकजुट कर LJP(RV) को एक बड़े सियासी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने का प्रयास है. दूसरा यह NDA के भीतर सीट बंटवारे में चिराग पासवान की सौदेबाजी की ताकत को बढ़ा देता है. हालांकि, HAM के नेता जीतन राम मांझी के साथ तनाव और दलित वोटों के बंटवारे की आशंका LJP(RV) के लिए चुनौती है. वहीं तीसरा यह कि चिराग की रणनीति नीतीश कुमार की सियासी विरासत को चुनौती दे रही है जो उनके राजनीतिक करियर के अंतिम चरण में माने जा रहे हैं. अगर चिराग पासवान बहुजन वोटों को एकजुट करने में सफल रहे तो वे भविष्य में बिहार की सियासत में एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें
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