होम विदेश लीडर नहीं ‘कूटनीतिक डीलर’ बन गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप! भारत से डील के लिए क्यों हैं बेचैन?

लीडर नहीं ‘कूटनीतिक डीलर’ बन गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप! भारत से डील के लिए क्यों हैं बेचैन?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.Image Credit source: Getty Images

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया में वर्ल्ड लीडर के दौर पर मशहूर होना चाहते हैं. नोबेल पीस प्राइज चाहते हैं लेकिन उनकी हरकतें ऐसी हैं कि वो वर्ल्ड डीलर बन कर रह गए हैं. उनके भाषणों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए बयानों को आप सुन लें तो ऐसा लगाता है कि उन्हें लीड करने से ज्यादा आनंद डील करने में आता है. इसको लेकर अक्सर उनकी आलोचना होती रहती है लेकिन उनका रवैया ऐसा ही रहा है तो उन्हें वर्ल्ड का सबसे बड़ा डीलर कहा जाने लगेगा है. वैसे ट्रंप बिजनेसमैन भी हैं और उनके लिए बिजनेस से बड़ा कुछ नहीं है.

अब एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ डील को लेकर बेचैनी दिखाई है. इससे पहले भी अलग-अलग देशों के साथ डील-डील खेल चुके हैं. ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका की बीच जल्द ही बड़ी ट्रेड डील हो सकती है. ट्रंप के मुताबिक वो दुनिया के सभी देशों से शानदार डील कर रहे हैं, जिनमें चीन भी शामिल है और ट्रंप के मुताबिक अगला नंबर भारत का है.

डील को बनाया कूटनीति का फॉर्मूला

डोनाल्ड ट्रंप ने डील को अपनी कूटनीति का फॉर्मूला बना लिया है. उन्हें दोस्ती में डील चाहिए और दुश्मनी में भी. दुनिया में कहीं भी कोई संकट हो ट्रंप उसमें अपने लिए डील वाला अवसर ढूंढने की कोशिश करते हैं. इसके कई उदाहरण हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में उन्होंने डील वाली डिप्लोमेसी दिखाई. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को व्हाइट हाउस बुलाया. उन्हें युद्ध रुकवाने के बदले खनिज डील करने के लिए कहा.

इसी तरह भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच भी ट्रंप को डील ही दिखाई दी. उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी चीफ मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर लंच कराया. अब ऐसी चर्चाएं हैं कि उनसे भी ट्रंप ने खनिज और क्रिप्टोकरेंसी पर डील करने को कहा. ताजा उदाहरण ईरान का है, जिस पर कुछ दिन पहले अमेरिका ने बम बरसाए. अब अमेरिकी मीडिया में खबर है कि ट्रंप ईरान को 30 बिलियन डॉलर की मदद दे सकते हैं और बदले में तेल और न्यूक्लियर प्रोग्राम पर डील कर सकते हैं.

भारत से ट्रेड डील को लेकर बेचैनी

मगर, ट्रंप की सबसे ज्यादा बेचैनी भारत से ट्रेड डील को लेकर है. इसको लेकर वो कई बार बयान दे चुके हैं. कई बार उन्होंने ऐसे झूठे बयान दिए, जिनका भारत को खंडन करना पड़ा. 8 मार्च को ट्रंप ने कहा था कि भारत टैरिफ कटौती के लिए तैयार है और डील होने वाली है. मगर भारत ने कहा अभी तो डील को लेकर कुछ फाइनल ही नहीं हुआ.

इसी तरह 17 मई को ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ ना लगाने का फैसला किया है. ट्रंप के इस दावे का भी भारत ने खंडन किया. ट्रंप के बयान उनकी डील डिप्लोमेसी का हिस्सा हैं और वो भारत पर दवाब बनाना चाहते हैं. मगर, भारत कई बार साफ कर चुका है कि इस ट्रेड डील में भारत के हितों से कोई समझौता नहीं होगा.

भारत का क्या कहना है?

11 जून 2025 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, जो भी डील होगी दोनों अर्थव्यवस्थाओं, दोनों पक्षों के व्यवसायों और दोनों देशों के लोगों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होगी. हम व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छा, निष्पक्ष और संतुलित समझौता करने के लिए बातचीत कर रहे हैं.

मई 2025: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, कोई भी व्यापार समझौता पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए. किसी भी व्यापार समझौते को दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए. मुझे लगता है कि व्यापार समझौते से हमारी यही अपेक्षा होगी और जब तक ऐसा नहीं हो जाता, मुझे लगता है कि इस पर कोई भी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी.

ब्यूरो रिपोर्ट टीवी9 भारतवर्ष.

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