राजनाथ सिंह और ख्वाजा आसिफ
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च होने के बाद पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल होने चीन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने चीन की धरती से आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दुनिया के सामने रख दिया. जिस समय उन्होंने आतंकवाद पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई उस समय पाकिस्तानी के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे. दोनों देशों के रक्षा मंत्री एक ही मंच पर आमने-सामने बैठे हुए थे.
भारत ने आतंकवाद पर न केवल सख्त मैसेज दिया है बल्कि पाकिस्तान और चीन की ओर से संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिशों को भी नाकाम कर दिया. इस बैठक में संयुक्त घोषणा पत्र का मसौदा तैयार किया गया था, लेकिन इसमें पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था बल्कि इसके उल्टे पाकिस्तान की मांग पर बलूचिस्तान का उल्लेख शामिल किया गया था. इस मसौदे पर राजनाथ सिंह ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. आइए आपको बताते हैं कि ये कौन सा मसला है जिसको पाकिस्तान घसीटकर लाया और वो कौन सी ट्रेन है जिसके चलते पाकिस्तान के रक्षा मंत्री भारत के सामने फंस गए, साथ ही उसके सभी मंसूबों पर पानी फिर गया…
SCO राजनाथ सिंह ने क्या खरी-खरी सुनाईं?
पहले जानते हैं कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ मीटिंग क्या कहा है? उन्होंने कहा, ‘2 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आतंकी संगठन रेजिस्टेंस फ्रंट ने मासूम पर्यटकों पर एक आतंकी हमला किया. ये हमला भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में किया गया था. एक नेपाली पर्यटक को मिलाकर कुल 26 पर्यटकों को मार दिया गया था. पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर निशाना बनाया गया. रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है, जिसने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.’
उन्होंने कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले का तरीका भारत में पहले होते रहे आतंकी हमलों की तरह ही था. भारत ने आतंकी हमलों के खिलाफ अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सफलतापूर्वक बॉर्डर के उस पार मौजूद आतंकी इंफ्रास्ट्रक्टर को खत्म कर दिया.’ उन्होंने आगे कहा कि शांति और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते. आतंकवाद पर दोहरे रवैए को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बना चुके हैं. कट्टरपंथ और आतंकवाद आज की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई जरूरी है. SCO को आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाना चाहिए. जिस समय राजनाथ सिंह ने ये बयान दिया उस समय पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ सिर झुकाए सुनते रहे.
SCO में क्या दुखड़ा रोए ख्वाजा आसिफ?
वहीं, एससीओ बैठक में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हमारी सभी देशों से अपील करते हैं कि उन देशों जवाबदेही तय होनी चाहिए जिन्होंने बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस के रूप में आतंकवादी हमले की योजना बनाई, उसे फाइनेंस किया और स्पोंसर्ड किया. हालांकि ख्वाजा आसिफ ने किसी भी देश का नाम नहीं लिया. पाकिस्तान रक्षा मंत्री जाफर एक्सप्रेस घटना को बेवजह खींच लाए, जिसके चलते संयुक्त बयान पर आम सहमति बन सकी और उन्हें मुंह की खानी पड़ी है.
कहां से कहां चलती है जाफर एक्सप्रेस ट्रेन
जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पाकिस्तान में चलने वाली एक ट्रेन है, जोकि दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत की प्रांतीय राजधानी क्वेटा से रावलपिंडी होते हुए उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर तक जाती है. यह ट्रेन क्वेटा रेलवे स्टेशन से सुबह 9 बजे से चलती है और अगले दिन शाम 7 बजे पेशावर रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है. इसके रूट पर 40 स्टेशन आते हैं.
क्या था जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक?
इस साल 11 मार्च 2025 को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाईजैक कर लिया था. इस ट्रेन में कम से कम 380 यात्री सवार थे. ट्रेन को तब निशाना बनाया गया जब वह क्वेटा से करीब 160 किलोमीटर (100 मील) दूर सिबी शहर के पास सुरंगों से गुजर रही थी. BLA के लड़ाकों ने ट्रेन पर गोलीबारी की थी और रेल की पटरियों को विस्फोट कर उड़ा दिया था, जिसके चलते ट्रेन एक पहाड़ी क्षेत्र में रुक गई. इस क्षेत्र में सुरक्षाबलों का पहुंचना मुश्किल था. पाकिस्तानी तुरंत कार्रवाई करते हुए BLA के साथ मुठभेड़ की और उन्होंने दावा किया था सैन्य अभियान खत्म होने तक 346 यात्रियों को बचा लिया गया.
बीएलए क्या लगाता है पाकिस्तान पर आरोप?
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी एक अलगाववादी समूह है जो बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने की मांग कर रहा है. बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन सबसे कम विकसित है. यहां की आबादी डेढ़ करोड़ है. ये इलाका तांबे और गैस सहित खनिजों व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. इसके बावजूद ये विकास से अछूता है.
पाकिस्तान से आजादी की मांग करने वाले बलूच अलगाववादियों का आरोप है कि पाकिस्तान के खिलाफ बोलने वालों का या तो अपहरण कर लिया जाता है या फिर उन पर अत्याचार किया जाता है. यही वजह है कि बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से अलग होना चाहते हैं. यही नहीं, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक दशक पहले शुरू की गया 62 बिलियन डॉलर का मेगा डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट भी लड़ाई की एक वजह है. BLA ने चीनी हितों पर कई बार चोट पहुंचाई है.