यह यात्रा पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद शुरू हुई है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी के चलते तीर्थयात्रा पर रोक लगी थी। 36 भारतीय तीर्थयात्रियों के इस पहले जत्थे को ऐतिहासिक माना जा रहा है।
भगवान शिव का निवास माने जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा पर निकले भारतीय श्रद्धालुओं का पहला जत्था गुरुवार को तिब्बत पहुंच गया। यह यात्रा पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद शुरू हुई है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी के चलते तीर्थयात्रा पर रोक लगी थी।
चीन में भारत के राजदूत शू फेइहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “यह जानकर खुशी हुई कि तीर्थयात्रियों का पहला जत्था चीन के शिजांग (तिब्बत) स्वायत्त क्षेत्र स्थित मपाम युन त्सो (मानसरोवर) झील पर पहुंच गया है।”
36 भारतीय तीर्थयात्रियों के इस पहले जत्थे को ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह वह समूह है जो चीन की जमीन से होकर कैलाश मानसरोवर पहुंचा है, जो कि भारत-चीन संबंधों में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
ज्ञात हो कि पिछले साल रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात हुई थी, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को फिर से पटरी पर लाने पर सहमति जताई थी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। लंबे समय से बंद पड़ी यह यात्रा अब आधिकारिक रूप से एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रही है।