अमेरिका के B-2 बॉम्बर्स ने ईरान से पहले भी कई देशों में मचाई है तबाही
ईरान के परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बमों से हमलों के बावजूद अमेरिका को वो कामयाबी नहीं मिली, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी. खास तौर पर फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर सिर्फ ढांचागत नुकसान ही हुआ. जिससे अमेरिका को एहसास हो गया कि, उसके GBU-57 MOP की क्षमता उतनी नहीं है, जितनी आंकी गई थी.
इसलिए अब अमेरिका ने युद्ध स्तर पर नया प्रोग्राम शुरू कर दिया है. ईरान पर हमले के बाद संघर्ष विराम के एलान से जितनी हलचल अमेरिकी कमांड सेंटर पेंटागन में नहीं दिखी, उससे ज्यादा हलचल सिर्फ इस आकलन पर मची है कि ईरान को नुकसान क्या हुआ और ये हलचल कितनी बड़ी है, इसका अनुमान ट्रंप की बेचैनी से लगाया जा सकता है. ट्रंप इस बात ये ज्यादा बेचैन हैं कि, जिन बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल ईरान में किया गया, उससे ईरानी न्यूक्लियर सेंटर बच कैसे गए?
इस सवाल का जवाब ढूंढने पर अमेरिकी सेना को पहले तो और भी खतरनाक बंकर बस्टर बम की जरूरत महसूस हुई और दूसरी जरूरत महसूस हुई हाइपरसोनिक हथियार की हालांकि हाइपरसोनिक हथियार की जरूरत अमेरिका में पहले से ही थी, लेकिन सवाल और भी खतरनाक बंकर बस्टर बम की जरूरत पर है कि ऐसा क्या हुआ कि इस बम को और भी खतरनाक बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
बंकर बस्टर से ईरान को नहीं हुआ नुकसान
अमेरिका ने ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट्स पर 6 बंकर बस्टर बम दागे थे. ये बम अंडरग्राउंड न्यूक्लियर साइट के वेटिलेशन शाफ्ट के पास गिराए गए. जिनसे अंडरग्राउंड धमाके भी हुए, लेकिन 90 मीटर की चट्टान के नीचे बने न्यूक्लियर सेंटर पर असर नहीं हुआ.
ऐसा ही नतांज के न्यूक्लियर सेंटर पर भी देखने मिला, हमले के बाद अमेरिकी विशेषज्ञों ने असर का आकलन किया, तो पाया कि ईरान के न्यूक्लियर सेंटर पर हमले के लिए GBU-57 बम सक्षम नहीं थे.
और खतरनाक बंकर बस्टर बम की जरूरत
विशेषज्ञों ने माना कि पहली बार इस्तेमाल किए गए GBU-57 मैसिव ऑर्डिनेंस पेनिट्रेटर सिर्फ 60 मीटर तक ही जमीन में प्रवेश कर सकता है. यानी अमेरिकी बंकर बस्टर बम सिर्फ 200 फीट तक हमले में ही सक्षम रहे हैं. इसलिए अमेरिका ने इस बम को और भी ज्यादा घातक बनाने का कार्यक्रम शुरू कर दिया है. जिसे बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है.
ईरान और ज्यादा गहराई में ले जा रहा यूरेनियम
जब अमेरिका गहराई से मार्क करने वाले बम बनाने में जुट गया है तभी ईरान ने अपना 400 किलो संवर्धित यूरेनियम कुह-ए-कोलांग गज ला यानी पिकैक्स माउंटेन के नीचे अंडरग्राउंड ठिकाने पर छिपाया है. इस चोटी की ऊंचाई ही 5000 फीट है
और इसका भूमिगत सेंटर 328 फीट नीचे है.
जहां तक मौजूदा GBU-57 बंकर बस्टर का पहुंचना नामुमकिन है. इसलिए अमेरिका इसी मानक के आधार पर तैयारी में जुट गया है. हालांकि ये बम कैसे होंगे? क्षमता क्या होगी? इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है…
लेकिन ये जानकारी जारी कर दी गई है कि, अमेरिका ने नए बंकर बस्टर बम के लिए नेक्स्ट जनरेशन पेनिट्रेटर (NGP) प्रोग्राम शुरू कर दिया है. जिसमें स्टैंड ऑफ स्ट्राइकर क्षमता के लिए रॉकेट बूस्टर भी फिट किया जा सकता है. जो किसी भी वातावरण में सटीक हमलो की क्षमता के साथ बनाया जाएगा.